महात्मा शीतलदास की बगिया का एक सफेद फूल
तुम्हारे पानी में निडर तैर रहा है बड़ी झील!
जैसे यह घाट उसका ननिहाल हो
उधर घाट पर केचुए मिट्टी को स्वच्छ कर रहे हैं
कछुए पानी को
फूल पानी की गोद में हँस रहा है
फूल-हँसी
फूल हँसी को
उतनी ही वत्सल कोमलता से
अपने सीने पर सजाए
पानी बह रहा है मंद-मंद
और सुन्दरता का जीवन
पा रहा है सजल-उर!
तुम्हारे पानी में निडर तैर रहा है बड़ी झील!
जैसे यह घाट उसका ननिहाल हो
उधर घाट पर केचुए मिट्टी को स्वच्छ कर रहे हैं
कछुए पानी को
फूल पानी की गोद में हँस रहा है
फूल-हँसी
फूल हँसी को
उतनी ही वत्सल कोमलता से
अपने सीने पर सजाए
पानी बह रहा है मंद-मंद
और सुन्दरता का जीवन
पा रहा है सजल-उर!
Path Alias
/articles/saphaeda-phauula
Post By: Hindi