शंकराचार्यों ने केन्द्र को चेताया


द्वारिका पीठ व ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य के उत्तराधिकारी श्री अविमुक्तेश्वरा नन्द ने भागीरथी में नैसर्गिक प्रवाह की मांग को लेकर अनशन पर बैठे प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. जी.डी. अग्रवाल के समर्थन में बोलते हुए केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसने सही दिशा में सही कदम नहीं उठाया तो उसे आगामी चुनाव में इसके नतीजे भुगतने होंगे। कल शाम यहां पंजाबी भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में डा. अग्रवाल के सहयोगियों व आई.आई.टी. में रहे उनके पूर्व विद्यार्थियों के साथ मीडिया कर्मियों को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि चारों पीठों के सभी शंकरार्चायों का मत इस मुद्दे को लेकर एक समान है।

श्री अविमुक्तेश्वरा नन्द ने कहा कि हमको हमारी पवित्र भागीरथी गंगाजी का प्रवाह गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक निर्वाध रुप से चाहिये। डॉ अग्रवाल के गिरते स्वस्थ्य पर चिन्ता व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि सभी डॉ अग्रवाल के साथ हैं।

विगत् वर्ष 4 नवम्बर को प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये इस बयान कि गंगा बेसिन प्राधिकरण की स्थापना दो माह में कर दी जायेगी की आलोचना करते हुये श्री अविमुक्तेश्वरा नन्द ने कहा कि इस बात को तीन महिने से अधिक हो चुका है और सरकार को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिये।

सम्वाददाता सम्मेलन में डॉ अग्रवाल के शिष्य श्री एसके गुप्ता ने जानकारी दी कि केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय ने भागीरथी नदी में 16 क्यूमेक जल प्रवाह छोड़े जाने की बात को स्वीकृती प्रदान कर दी है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय उर्जा मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे व सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरिय विशेषज्ञ समूह के तीन सदस्यों के साथ एक बैठक में यह फैसला लिया गया कि लोहारीनाग पाला परियोजना से 16 क्यूमेक जल प्रवाह छोड़ा जायेगा अथवा जैसा गंगा बेसिन प्राधिकरण द्वारा निZर्देशित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि जबकी उच्च स्तरिय विशेषज्ञ समूह ने अपने पिछली संस्तुति में केवल 4 क्यूमेक पानी छोड़े जाने की बात यह कह कर की थी कि इतना जल एक नदी को जीवित रखने के लिये पर्याप्त है। सरकार की मंशा पर उंगली उठाते हुये कहा उन्होंने कहा कि अगर मंत्रालय को अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जल विद्युत परियोजनाओं से भागीरथी नदी को हानि हो रही है तो फिर भागीरथी गंगाजी पर नई परियोजनाओं का निर्माण क्यों किया जा रहा है। श्री गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा डॉ अग्रवाल को दिया गया यह आश्वासन की भागीरथी गंगा नदी पर आगे से कोई निर्माण नहीं किया जायेगा को और अधिक स्पष्ट करना चाहिये। सरकार द्वारा 5 फरवरी 2009 के एक लिखित आश्वासन के अन्तर्गत भागीरथी गंगा नदी पर अब से कोई निर्माण कार्य नहीं किया जायेगा।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व डॉ अग्रवाल के सहयोगी श्री पी.सी.त्यागी ने सरकार की धीमी कार्यवाही की आलोचना करते हुये कहा कि उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह का मूल उद्धेश्य भागीरथी गंगा नदी को जीवित रखना है। जल विद्युत परियोजनाओं की पर्यावरणीय सामाजिक व आर्थिक हानियों का उल्लेख करते हुये उन्होंने बताया कि समान मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाले एक सुपर थर्मल विद्युत परियोजना की अपेक्षा एक जल विद्युत परियोजना से कहीं अधिक हानि होती है। भागीरथी गंगा नदी पर आगे से कोई भी नया निर्माण न किये जाने की डॉ अग्रवाल की मांग का समर्थन करते हुये उन्होंने कहा कि वर्तमान मनेरी प्रथम व द्वितीय चरण से 16 क्यमेक पानी का प्रवाह छोड़ा जाना चाहिये जबकी टिहरी डैम के पर्यावरणीय प्रवाह का पून:निर्धारण होना चाहिये।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व लेखक श्री भरत झुनझुनवाला ने बांधों से होने वाली हानियों को विस्तार से बताते हुये उनकी लागत-लाभ अनुपात का विश्लेषण किया। श्री झुनझुनवाला ने कहा कि गंगाजी के अप्रत्यक्ष सौन्दर्यपरक मूल्य कहीं अधिक हैं और इनका आर्थिक मूल्य भी निर्माण लागत में जोड़ कर प्राप्त लाभों की गणना की जानी चाहिये। उनका कहना था कि गंगाजी के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभों की गणना भी अगर कर ली जाये तो भी विद्युत उत्पादन की लागत इससे कहीं अधिक ही है।

सेन्टर फॉर साईंस एण्ड इनवायरनमेन्ट की सुनीता नारायण ने सरकार से डॉ. अग्रवाल को एक पत्र प्राप्त होने की जानकारी दी जिसमें उसने यह स्वीकार किया गया है कि 5 फरवरी 2009 से भागीरथी गंगा नदी पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जायेगा। डॉ. अग्रवाल के भागीरथी गंगा में नैसिर्गक प्रवाह को लेकर किये जा रहे आमरण अनशन के प्रति अपना सहयोग व समर्थन प्रकट करते हुये सुनीता नारायण ने कहा कि अगर इस मुद्दे को लेकर सरकार की नियत ठीक है तो उसे तत्काल लोहारीनाग पाला परियोजना पर कार्य बंद कर देना चाहिये।

पूरी के शंकराचार्य के प्रतिनिधि ने मांग की कि गंगोत्री से गंगा सागर तक भागीरथी गंगाजी का प्रवाह निZबाध होने देना चाहिये।

जलपुरुष के नाम से प्रख्यात मैग्सेसे पुरुस्कार विजेता श्री राजेन्द्र सिंह ने सरकार से मांग की कि अगर उसने भागीरथी गंगाजी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया है तो उसे सभी निर्माण कार्य रोक कर गंगाजी का आदर एक राष्ट्रीय चिन्ह की तरह करना चाहिये, ठीक उसी तरह जैसे कि राष्ट्रीय घ्वज, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय वृक्ष व राष्ट्रीय पक्षी का किया जाता है।

आई.आई.टी कानपुर के भूतपूर्व छात्रों के संघ के अघ्यक्ष श्री ज्ञानेश ने इस अवसर पर एक संकल्प पत्र व मार्ग निर्देशिका को जारी किया जिसमें भागीरथी गंगाजी नदी को व्यवहारिक रुप से आदर व सम्मान देने के विषय में कई बिन्दुओं का उल्लेख किया गया है।

अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - अनिल गौतम : 9412176896
पवित्र सिंह : 011-32088803 / 9410706109

Tags - Flow in the Bhagirathi, Dr. G D Agarwal, IIT, Ganga, Ganga Sagar, Ganga Basin Authority, the Central Ministry of Energy, the project raised Loharinag, Cumec, the Central Pollution Control Board, Shri Bharat Jhunjhunwala famous economist and author, Center For science and Environment
 
Path Alias

/articles/sankaraacaarayaon-nae-kaenadara-kao-caetaayaa

Post By: admin
×