दमन, 28दिसंबर09। पश्चिम की गंगा यानी दमन गंगा अब अरब सागर के पानी में जहर घोल रही है जिसके चलते उथले समुद्र की मछलियां खत्म हो चुकी हैं। पुर्तगाली संस्कृति को संजोए इस खूबसूरत सैरगाह के मछुवारे अब बहुत कम समुद्र में जाते हैं। नानी दमन में जहाँ पर दमन गंगा और अरब सागर का पानी मिलता है वहाँ पर मछुवारों की नावें खड़ी नज़र आती हैं। पहले यहां के मछुवारे तड़के ही समुद्र में चले जाते थे और लौटते तो इकनी मछली मिल जाती कि खर्चा निकाल कर समूचे परिवार का हफ्ते भर का खर्चा आराम से निकाल जाता। पर नदी और समुद्र के पानी में जहर घुलने के बाद मछुआरे बदहाली के शिकार हो चुके हैं। नावें खड़ी हो गई हैं और मछुवारे पुस्तैनी काम-धंधा छोड़ नौकरी ढूंढ़ रहे हैं। पर मामला यहीं तक सीमित नहीं है पानी में घुला जहर अब भूजल पर असर डाल रहा है। दमन में मध्य वर्गीय परिवार मिनरल वाटर की केन इस्तेमाल करने सगे हैं। दमन गंगा की मछलियां खत्म होती जा रही है और तट से लगा अरब सागर का बीस किलोमीटर का इलाका मछली विहीन हो चुका है।
आज सुबह ही जम्पोर के समुद्र तट एक जोड़ा समुद्र के पानी में जाने के बाद रेत पर लौटते ही मिनरल वाटर से पैर धोता नज़र आया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी कितना प्रदूषित हो चुका है। दमन वही जगह है जहाँ सन 1531 में पुर्तगाली राज शुरू हुआ जो 1961 तक चला। यहां के समाज, संस्कृति और आबोहवा पर पुर्तगाल का असर महसूस किया जा सकता है। कभी पुर्तगालियों का कॉलोनी रहा गोवा, दमन व दीव तीन हिस्सों में बंटा है और दमन से दोनों की दूरी 600 किलोमीटर से ज्यादा है। गोवा अलग राज्य बन चुका है तो दमन-दीव केंद्र शासित इलाका है। सैलानी और शराब यहां की अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार हैं। गोवा, दमन और दीव का इतिहास और संस्कृति साझा है। यही वजह है कि गोवा के बाद सबसे ज्यादा सैलानी दमन दीव में जुटते हैं। बीते 25 दिसंबर को दमन के जम्पोर और देविका समुद्र तट पर मेले जैसा माहौल था। जम्पोरे समुद्र तट के आसमान पर पैरासूट से उड़ाते बच्चे नज़र आते है तो पानी में दौड़ती घोड़ो वाली बग्घियां। सैलानियों की भीड़ के साथ वीआईपी भी यहां आ रहे हैं। दिल्ली के उप राज्यपाल तेजिंदर खन्ना सर्किट हाउस में ऊपर के कमरे में ठहरे हुए थे। पर इस सब के बावजूद किसी की नज़र काली रेत के इस समुद्र तट पर काले होते पानी पर नहीं जा रही है। बच्चों के एक पार्क का उद्घाटन करते हुए तेजिंदर खन्ना ने दमन को एक साल में और साफ़ सुथरा बनाने का सुझाव जरूर दिया पर पानी के प्रदूषण पर उनका भी ध्यान नहीं गया।
दमन गंगा को गटर बनाने का काम गुजरात के औद्योगिक शहर वापी ने किया है जो खुद दुनिया के प्रदूषित शहरों में शुमार किया जाता है। यहां के केमिकल उद्योग के जहरीले कचरे ने दमन गंगा के पानी को इतना जहरीला बना दिया है कि मछलियां खत्म हो गई हैं। दमन वाइन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष लखन तंदेल खुद भी मछुवारे रहे हैं और प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। लखन तंदेल ने जनसत्ता से कहा-वापी के केमिकल उद्योग ने दमन गंगा का पानी जहरीला बना दिया है। दर्जनों उद्योग ऐसे हैं, जो जहरीला कचरा सीधे नदी में बहा देते है। कुछ तो अब जमीन में जहरीला कचरा डाल रहे है, जिससे भूजल पर असर पड़ रहा है। सरकार ने प्रदूषित पानी को साफ़ करने का संयंत्र लगाया है पर वह बंद पड़ा है। इस सब की कीमत यहां के मछुवारे चुका रहे हैं। अब जहरीले पानी की वजह से छोटे मछुवारे बर्बाद हो गए हैं। वे छोटी नावों से गहरे समुद्र में जा नहीं सकते और उथले समुद्र की मछलियां मर चुकी हैं।
दमन प्रशासन के चीफ इंजीनियर आरएन सिंह ने कहा -दमन गंगा का पानी इतना जहरीला हो चुका है कि अब उसमें मछली खत्म हो चुकी है। जब यह पानी अरब सागर में मिलता है तो कई किलोमीटर इलाके में यह फैल जाता है, जिससे समुद्र में भी प्रदूषण बढ़ गया है। केंद्र ने इस बारे में ठोस पहल करने का भरोसा भी दिया है।
सबसे ज्यादा समस्या बरसात में होती है जब वापी के उद्योग अपना कचरा पानी में बहा देते है। कई मछुवारों ने बताया कि बरसात में तो समुद्र में भी मरी हुई मछलियां उतराई नज़र आती हैं। (जनसत्ता)
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