समुद्री शैवाल पृथ्वी के सभी भागों में खाद्य और निर्यात साधन (एगार, अलिजन और कैरागीनन जेस) के लिए संग्रहण किया जाता है। वर्ष 1980 तक संसाधन उद्योग समुद्री शैवालों की प्राकृतिक संपदा पर निर्भर करता था। कई एशियायी देश जैसे फिलिपीन्स चीन कोरिया, जापान और इंडोनेशिया में कुछ हद तक समुद्री शैवालों को पैदावार किया जाता था (ट्रोणो 1990). फिलिपीन्स में ग्रासिलेरिया, यूकिमा और पोरफिइरा जैसे प्राकृतिक शैवालों का संग्रहण किया जाता था परंतु यूकिमा का पैदावार वर्ष 1967 से 1980 के दौरान बाजार में 675 मेट्रिक टन से 13191 मेट्रिक टन तक था। वर्ष 1985 के दौरान इसका पैदावार दुगुना (28000 में टन) हो गया। स तरह इंडोनेशिया में 1939 से 1966 के बीच यूकिमा का पैदावार 1000 से 6000 तक पाया गया (Soegiarto and sulustijo 1990) और 1984 और 1991 के दौरान इसका पैदावार 9100 टन से 19000 टन तक बढ़ गया। यह पाया जाता है कि इंडोनेशिया के कुल समुद्री शैवाल उत्पादन का 78 प्रतिशत यूकिमा ही है।
वर्ष 1970 के दौरान समुद्री शैवाल के कच्चा माल की मांग ज्यादा थी और इस मांग की पूर्ति के लिए एक मात्र उपाय पैदावार ही था। कच्चे माल की मांग पूर्ति के लिए शैवाल की उत्पादन प्रणाली उद्योगों में समस्याएं जैसे शैवाल की गुणता, मूल्य में उतार-चढ़ाव मछुआरों की आजीविका तथा उनकी समाज-आर्थिक स्थिति के बारे में अनुसंधान व विकास कार्यों के लिए प्रेरणा बन गए।
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वर्ष 1970 के दौरान समुद्री शैवाल के कच्चा माल की मांग ज्यादा थी और इस मांग की पूर्ति के लिए एक मात्र उपाय पैदावार ही था। कच्चे माल की मांग पूर्ति के लिए शैवाल की उत्पादन प्रणाली उद्योगों में समस्याएं जैसे शैवाल की गुणता, मूल्य में उतार-चढ़ाव मछुआरों की आजीविका तथा उनकी समाज-आर्थिक स्थिति के बारे में अनुसंधान व विकास कार्यों के लिए प्रेरणा बन गए।
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