जलवायु परिवर्तन से इंसान, जीव-जंतु और पशु-पक्षी सबके लिए खतरा पैदा हो गया है। इसी प्रकार समुद्र और इसके तटीय क्षेत्रों में तापमान बढ़ने से कछुओं की आबादी में असंतुलन पैदा हो गया है। आने वाले समय में ये लुप्त हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि समुद्र और तटीय क्षेत्र गर्म होने से नर कछुओं की संख्या में गिरावट आनी शुरू हो गई है। इसके चलते दुनियाभर में सर्वाधिक पाए जाने वाले लग्गरहेड प्रजाति के कछुए भविष्य में विलुप्त हो सकते हैं।888 रिपोर्ट के अनुसार, अनेक स्थानों पर समुद्र का तापमान 30 डिग्री से ज्यादा हो गया है, जिसका असर तट पर भी पड़ रहा है। वे भी गर्म रहे हैं। अध्ययन में कहा गया है कि 28-30 डिग्री तापमान में कछुओं का प्रजनन सामान्य रहता है।
नर एवं मादा बच्चों के पैदा होने की करीब-करीब बराबर सम्भावना रहती है, लेकिन जहाँ तापमान 32 डिग्री से अधिक हुआ है, वहाँ मादा कछुओं का जन्म ज्यादा हो रहा है। इस प्रकार कछुओं की संख्या तेजी से घट रही है। भारत के तटों समेत पूरी दुनिया में यह रुझान देखा गया है।
इसी अध्ययन में यह भी पाया गया कि ज्यादा गर्मी से मादा कछुओं में भ्रूण का समुचित विकास नहीं होता है। इसी से मादा कछुओं के पैदा होने का मामला भी जुड़ा है, लेकिन समस्या यहीं तक सीमित नहीं है। यह भी पाया गया है कि जन्म हो चुके कछुओं को भी गर्मी भारी पड़ रही है। इसके चलते ज्यादातर कछुए वयस्क होने से पहले ही मौत का शिकार हो रहे हैं।
भारत समेत कई देशों के तटों पर समुद्र का जलस्तर बढ़ने से कछुओं के आवास नष्ट हो रहे हैं। इसलिए वे समुद्र से दूर जाकर आवास बनाते हैं, जहाँ वे इंसानी हमलों आदि का शिकार हो रहे हैं। यह उन पर दोतरफा संकट है। आशंका जताई जा रही है कि इस स्थिति के चलते भविष्य में उनके समक्ष अस्तित्व बचाए रखने की चुनौती पैदा हो जाएगी। प्रवासी प्रजातियों के सम्मेलन में कछुओं पर मंडरा रहे इस खतरे पर भी चर्चा होगी।
प्रवासी पक्षियों के लिए दो योजनाएं जल्द आएंगी
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय दो नई योजनाएं शुरू करने की तैयारी कर रहा है। पहली योजना पक्षी विहारों (वेटलैंड) में सुधार कर उन्हें अनुकूल बनाना तथा दूसरी योजना सेंट्रल एशियन फ्लाईवे हैं, जिसके तहत यूरोप और एशियाई देशों से समुद्र के रास्ते उड़कर आने वाले पक्षियों को संरक्षण प्रदान करना है।
देश में 27 पक्षी विहार
देश में करीब 27 पक्षी विहार हैं। इनका क्षेत्रफल 1056871 हेक्टेयर है। इसके अलावा भी हजारों ऐसे स्थान हैं, जहां प्रवासी पक्षी ठहरते हैं, लेकिन उन्हें अभी तक विकसित नहीं किया जा सका है। नई योजना के तहत सरकार ऐसे स्थानों को विकसित करेगी। जो पक्षी विहार पहले से विकसित हैं, वहां जैव विविधता संरक्षण के उपाय किए जाएंगे ताकि प्रवासी पक्षियों के लिए वहां भोजन की उपलब्धता रहें।
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