बृजेश दुबे, कानपुर। स्कूल-कॉलेज में जल्द ही नदी संरक्षण का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रलय और राज्य प्राथमिकता के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार कराकर इसे विश्वविद्यालय और स्कूलों में लागू कराएंगे। उत्तर प्रदेश के कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में शामिल इस एजेंडे पर सहमति बन गई है।
नमामि गंगे से अर्थ गंगा की ओर बढ़ रहे गंगा सफाई अभियान में जनसहभागिता बढ़ाने पर जोर है। शनिवार को कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में तय समय से डेढ़ घंटे तक अधिक चली परिषद बैठक में यह दिखा भी। 14 प्रमुख एजेंडे में जन भागीदारी, आय, पर्यटन और शिक्षा भी शामिल रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह बिंदु प्रमुखता से सामने आया कि अभियान से विद्यार्थियों को जोड़ने की बेहद जरूरत है, जो शिक्षा एवं शैक्षिक गतिविधियों से संभव है।
इसके पीछे की मंशा साफ है। चूंकि विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग संस्थानों में नदियों के प्रदूषण को लेकर शोध होते रहते हैं, सो इस दिशा में तो काम हुआ लेकिन नदी व पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम मुद्दे पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के विज्ञान और इंजीनियरिंग में ही बंधे होने के कारण आमजन का विषय नहीं बन पाए।
बैठक में जोर दिया गया कि नदी संरक्षण से आमजन को जोड़ना बहुत जरूरी है। इस पर स्कूल से विश्वविद्यालय स्तर तक, नदी संरक्षण को पाठ्यक्रम के प्रमुख हिस्से के रूप में शामिल करने पर सब सहमत हुए। हालांकि राष्ट्रीय गंगा परिषद की कार्यकारिणी में मानव संसाधन विकास मंत्रलय नहीं है और शनिवार की बैठक में उनका प्रतिनिधित्व नहीं था फिर भी माना जा रहा है कि गंगा केंद्रित सोच के साथ हुई परिषद की बैठक में हुआ निर्णय सभी लागू करेंगे। एक उच्चपदस्थ सूत्र के अनुसार, इस एजेंडे पर मानव संसाधन मंत्रलय से पहले ही चर्चा हो चुकी है, उनकी सैद्धांतिक सहमति भी है, इसलिए इस प्रस्ताव पर लागू करने के मोड में ही चर्चा हुई, जिसे सभी ने माना।
सूचना, शिक्षा और संचार से करेंगे जागरूक
पाठ्यक्रम में नदी संरक्षण को शामिल करने के अलावा स्कूलों में इससे संबंधित गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार के आइईसी (इन्फार्मेशन, एजुकेशन एंड कम्यूनिकेशन यानी सूचना, शिक्षा और संचार) मोड का सहारा लिया जाएगा। इसके तह सूचना इकट्ठा कर शिक्षा दी जाएगी। शिक्षा पाने वाले लोगों में व्यावहारिक परिवर्तन के लिए उसका प्रचार करेंगे। स्कूल कॉलेज में पढ़ाई होने पर छात्र नदी संरक्षण के बारे में लोगों को बेहतर तरीके से जागरूक कर पाएंगे।
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