सिल्टिंग हटाना केन्द्र का काम

प्रस्ताव

माननीय सदस्य श्री यशोदानन्द सिंह का महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर
18 मार्च, 2002


अध्यासीन सदस्य (डॉ. नीलाम्बर चौधरी) : माननीय सदस्य, श्री यशोदानन्द सिंह

श्री यशोदानन्द सिंह : महोदय, परन्तु खेद है कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में …

1. नेशनल वाटर-वे (इलाहाबाद हल्दिया स्ट्रेच ऑफ गंगा- भागीरथी-हुगली-रीवर्स) एक्ट, 1982 का लाभ बिहार को किस हद तक मिला, इसका लेखा-जोखा करने एवं संसद द्वारा यथापारित रीवर बोर्ड एक्ट, 1956 के आलोक में बिहार में किए गए कार्यों का कोई उल्लेख नहीं है।
2. फूड कॉरपोरेशन एक्ट, 1964 के आलोक में कॉरपोरेशन द्वारा बिहार में किए गए कार्यों का कोई उल्लेख नहीं है।
3. विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हो रहे क्षरण के सम्बन्ध में कोई चर्चा नहीं है।
4. राज्य एवं केन्द्र के लोक सेवकों के गठजोड़ से उत्पन्न भ्रष्टाचार के विरुद्ध समाधान कारक उपाय करने के सम्बन्ध में कोई चर्चा नहीं है।
5. 176 भारतीय पुलिस सेवा, 40 भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं 2214 अराजपत्रित पदाधिकारियों के विरुद्ध चल रहे मामले को निष्पादित करने के लिए समय सीमा घोषित करने के सम्न्ध में कोई चर्चा नहीं है।
6. बिहार में अनाज की खरीद एवं भण्डारण को सुनिश्चित करने के लिए बाहर से आ रहे अनाज को रोकने में सरकार की विफलता के सम्बन्ध-में कोई चर्चा नहीं है।
7. बीमारी, बेरोजगारी, निरक्षरता एवं विकास के लिए नौकरशाहों की जवाबदेही तय करने के सम्बन्ध में कोई चर्चा नहीं है।

महोदय, आज हमारे सामने में बिहार विभाजन के बाद विकास का अहम सवाल है। आज बिहार का विकास अन्धकार में अपना रास्ता टटोल रहा है और उसकी स्थिति उस अन्धे की तरह है जिसने हाथी के विभिन्न अंगों का स्पर्श करने के बाद विभिन्न अनुभूतियों का इजहार किया है। अन्धे ने कान देखा उसको सूप समझ में आया, उसकी पूँछ देखी तो उसको समझ में आया कि ये रस्सी और उसका सूँड़ देखा तो लगा कि सेलो पाइप का बोरिंग है। आज की स्थिति कुछ ऐसी है। लेकिन मैं निवेदन करना चाहूँगा कि संविधान में सभी के लिए उत्तरदायित्व तय है।

यह बात उठती है कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी, राज्य के मामले में अहम है। लेकिन कोई इससे इनकार नहीं कर संकता कि भारत के संविधान ने कुछ ऐसे दायित्व केन्द्र पर भी सौंपे हैं जिनकी जिम्मेदारी का पालन करना आवश्यक है बिहार के विकास के लिए। लेकिन हुजूर, कापर करूँ शृंगार, पिया मोर आंधर। आज मुझे दुख है कि राज्य सरकार ने भी बिहार की जनता के पक्ष में, जो संविधान ने उत्तरदायित्व निर्धारित किया है केन्द्र का, जो राज्य विकास की अहम शर्तें है उनके अनुसार आम लोगों को एजुकेट करने का और सांसदों को एजुकेट करने का काम नहीं किया, परिणाम ये है कि केन्द्र सरकार के सौतेले व्यवहार के कारण आज बिहार की स्थिति खराब हो गई है। हुजूर, मैं भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची न. 1 के आइटम न. 56 का पाठ करना चाहूगा...

‘उस सीमा तक अन्तरराज्यिक नदियों और नदी दुनो का विनियमन और विकास जिस तक संघ के नियन्त्रण के अधीन ऐसे विनियमन और विकास को संसद, विधि द्वारा, लोक हित में समीचीन घोषित करे' और इस आइटम के तहत मैं उल्लेख करना चाहूँगा कि 1956 में दी रीवर एक्ट बना और उसमें डिक्लेरेशन है, पढ़ देना चाहता हूँ…

‘Declaration as to expediency of control by Central Government - It is hereby declared that it is expedient in the public interest that the Central Government should take under its control the regulation and development of inter-state rivers and river valleys to the extent hereinafter provided. उक्त कानून 15-5-1957 से प्रभावी है। उक्त एक्ट का 2 (क) बोलता है The act came into force on 15-5-1957 see Gaz. Of India, 1957, Extra pt.II, S.I.P. 165.’

और हुजूर, धारा-13 के अन्तर्गत उसने सारा बोर्ड का उत्तरदायित्व निर्धारित किया, 13 कहता है-

‘Matters in respect of which a board may be authorised to tender advise :- A board may be empowered under sub section’-l of section-l4 to perform all or any of the following functions:

(a) advising the government interested on any matter concerning the regulation or development of any specified inter-state river or river- valley within its area of operation and in particular, advising them in relation to the co-ordination of their activities with a view to resolve conflicts among them and to achieve maximum result in respect of the measures undertaken by them in the inter-state river or river-valley of the purpose of (The) National waterways (Allahabad- Haldia stretch of the Ganga — Bhagirathi - Hooghly) Act, 1982. Act no. 49 of 1982

An act to provide for the declaration of the Allahabad- Haldia stretch of the Ganga - Bhagirathi— Hooghly river to be a national Waterway and also to provide for the regulation and development of the river, for purposes of shipping and navigation on the said waterway and for matters connected therewith or incidental thereto.

(i) conservation, control and optimum utilisation of water resources of the inter-state river;
(ii) promotion and operation of schemes for irrigation, Water supply or drainage;
(iii) promotion and operation of schemes for the development of hydroelectric power;
(iv) promotion and operation of schemes for flood control;
(v) promotion and control of navigation;
(Vi) promotion oflafforestation and control of soil erosion;
(vii) prevention of pollution of the waters of the inter-state river;
(viii) such other matters as may be prescribed;
(b) preparing schemes, including multi purpose schemes, for the purpose of regulating or developing the inter-state river or river-valley and advising the Governments interested to undertake measures for executing the scheme prepared by the Board;
(c) allocating among the Governments interested the costs of executing any scheme prepared by the Board and of maintaining any works undertaken in the execution of the scheme;
(d) watching the progress of the measures undertaken by the Govemments interested;
(e) any other matter which is supplemental, incidental or consequential to any of the above functions.’

हुजूर, फंक्शन क्या है?

‘The Central Government, after consultation with the Governments interested, may, by notification in the Official Gazette, empower the Board to perform all or such of the functions under section 13 as may be specified in the notifications.

The Board shall exercise its powers and perform all the functions which it is empowered to do by or under this Act within its area of operation.

In performing its functions under this Act, the Board shall constitute the Governments interested at all stages and endeavour to secure, as far as may be practicable, agreement among such Governments.’

अब हुजूर, इस एक्ट में पैसे तक का प्रबन्ध करने का दायित्व पार्लियामेंट ने एक्ट के द्वारा केन्द्र सरकार को दिया है। वाटर लॉगिंग समाप्त करने की जिम्मेवारी भी केन्द्रीय सरकार की है क्योकि इंटर-स्टेट रीवर को टेक-ओवर किया गया है, अब सवाल है कि बिहार का विकास कैसे हो। लेकिन एक तीसरा हुजूर, इसी के साथ मैं निवेदन करना चाहूँगा। गंगा सूख रही है, सिकुड़ती जा रही है।

सभी चिन्तित है कि मनुष्य जीवन, पशु-पक्षी का जीवन विनाश के कगार पर खड़ा हो गया है और उसके बारे में हुजूर, मैं निवेदन करना चाहूँगा कि सरकार ने गंगा को भी टेक-ओवर कर लिया है और जैसा कि राज्यपाल के अभिभाषण में है, लेकिन अधूरा है। शायद भाषण बनाने वालों ने इधर ध्यान ही नहीं दिया। दुर्भाग्य है कि हमारी नौकरशाही भी बहुत संवेदनशील नहीं है। जिस समय राज्यपाल का अभिभाषण तैयार होना था, और नेविगेशन की बात आई, उस समय उनको इस एक्ट को पढ़ना चाहिए था। मैं डिक्लेरेशन का पाठ जिसके द्वारा टेक-ओवर किया है, निवेदन करना चाहता हूँ-

‘Declaration of a certain stretch of Ganga-Bhagirathi—Hooghly river to be national waterway- The Allahabad- Haldia Stretch‘ of the Ganga-Bhagirathi-Hooghly river, the limits of which are specified in the Schedule, is hereby declared to be a national waterway.’ उक्त एक्ट (5) बोलता है- ‘Responsibility for regulation and development of national waterway : (I) It shall be the responsibility of the Central Government to regulate and develop the national waterway and to secure the efficient utilisation of the waterway for shipping and navigation; (2) In particular and without prejudice to the generality of the foregoing provision, the Central Government may -(a) carry out surveys and investigations for the development, maintenance and better utilisation of the national waterway and the appurtenant land for shipping and navigation and prepare plans in this behalf;

(b) Make and open new navigable channels;
(c) Clear, widen, deepen or divert or otherwise improve the channels;
(d) Provide or permit setting up of infrastructural facilities;
(e) Carry out conservancy measures and training works and do all other acts necessary for the safety and convenience of shiping and navigation and improvement of the national waterway;
(f) Control activities such as throwing rubbish dumping or removal of material, in or from the bed of the national waterway and appurtenant land, in so far as they may affect, safe and efficient shipping and navigation maintenance of navigation channels, river training and conservancy measures;
(g) Remove or alter obstruction or impediment in the national waterway and the appurtenant land which may impede the safe navigation or endanger safety of infrastructural facilities or conservancy measures where such obstruction or impediment has been lawfully made or has become lawful by reason of land continuance of such obstruction or impediment or otherwise after making compensation to person suffering damage by such removal or alteration;
(h) Provide for the regulation or navigation and traffic (including the rule of the road) on the national waterway;
(i) Regulate the construction or alteration of structures on; across or under the national waterway;
(j) Perform such other functions as may be necessary to carry out the purposes of this Act.’

और उसमें हुजूर, आगे कहा गया है, गंगा के बारे में बीच-बीच में यहाँ नागेन्द्र बाबू हमसे सहमत होंगे कि इसमें दियारा हो जाता है और उसके कारण बिहार का पूरा कचरा निकल जाता है और उत्तर प्रदेश में हमारी जमीनें जा रही हैं। यहीं भी इरोज़न को ठीक करने की जरूरत है ताकि धारा बीच में अपनी जगह पर रहे, इस एक्ट के अन्तर्गत यह केन्द्र सरकार का काम है। गंगा बाबू एक बार इस किताब को पढ़कर, और जरा अपने नेताओं से, ... यह सवाल बिहार का है, यह सारी पार्टियों के दफ्तर में रख दिया जाए। इसलिए हुजूर, विशेषज्ञ कमिटी बनी थी, उस विशेषज्ञ कमिटी की रिपोर्ट किसी ठण्डे आलमारी में बन्द होगी और चाबी फेंक दी गई होगी। मैं उसको उद्धृत करना चाहता हूँ।

श्री नागेन्द्र प्रसाद सिंह : गंगा बाबू को परमहंस जी और सिंघल जी से फुर्सत मिलेगी तब न?

श्री यशोदानन्द सिंह : The Government of India has already declared Ganga from Allahabad to Hooghly as National Waterways for navigation. यहाँ मैं हुजूर, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, बाढ़ की विभिषिका को कम करने के लिए एक्सपर्ट कमिटी ने जो रिपोर्ट दी है, उसकी कण्डिका 3.032 का पाठ कर रहा हूँ :

‘This is to be utilised specially for Inland Navigation. Efficient River Training in this portion of Ganga would be essential to facilitate this Inland Navigation. Before executing such river training work, it would be essential to keep in view that silt and bed-load carrying capacity should increase. No new diara (island) should be allowed to form which may cause bank erosion. This necessitates formulation of a comprehensive and vast project, demarcating a definite course based on dominant discharge concentrating the flow in this one channel and fixing the course by combination of purs, reventments, dredging, and other river training works.’

अब इसको देखिए, गंगा में जो आज सरकार कह देती है कि सिल्टिंग हो रही है। आखिर सिल्टिंग को हटाना केन्द्र सरकार का काम है और एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट है। केन्द्र सरकार इसके पीछे भाग सकती है। औरर दूसरा हुजूर, इंटर-स्टेट के बारे में भी एक्सपर्ट कमिटी ने कहा है अपने स्पेशल प्रॉब्लम ऑफ इंटर-स्टेट रिवर के अन्तर्गत 3.041 में उसकी 5वीं पंक्ति से प्रारम्भ करना चाहता हूँ:

‘In these parts wherever and whatever protection is done on bank. Similar protection must be made on the other bank.’

आज उत्तर प्रदेश में क्या है। उत्तर प्रदेश में बन गया और सारा पानी इधर आएगा और यहाँ की जमीन को काट कर के ले जाएगा।

‘Since in many cases for example on the left bank of Ganga above Farakka Barrage and right bank of Gumani the work was done by GOI at its cost, as part of Farakka Barrage. Similar work on the other bank should be done by the Govt. of India itself at its own cost.’

यह गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया को कहता है। इसके अतिरिक्त अपने पैसे से करना है। ये समझ रहे हैं गंगा बाबू। अरे गंगा बाबू, आप पैसा तो दीजिए। ये जो सवाल उठ रहा है पैकेज का, मैं पैकेज का सवाल नहीं उठा रहा है। ये संविधान ने और पार्लियामेंट ने हमको इतने असीम अधिकार दिए हैं और विकास के जो विभिन्न आयाम है उक्ति बारे में पार्लियामेंट ने विचार किया है और पार्लियामेंट बहुत पहले से सजग है, इसलिए कहा है कि Govt. of India itself at its own cost. As was placed above apart from entire length of Ganga in Bihar, even the inter-state parts of other rivers should also be equally treated by the govt. of India. ’

अब क्या कह रहे हैं। हमारी स्थिति गंगा बाबू याचक की नहीं है और न केन्द्र की स्थिति दाता की है। हम और केन्द्र संविधान से बँधे हैं। हम भिखमंगे नहीं है और भारत संरकार दाता नहीं है। इसलिए मैंने कहा हुजूर, मैं निवेदन करना चाहता हूँ और हुजूर, आप तो ज्यादे भुक्तभोगी हैं। और जहाँ तक मेरी जानकारी है, मैं अपनी जानकारी...

श्री भोलाप्रसाद सिंह : गंगा बाबू कह रहे हैं गुलछर्रा उड़ाने के लिए। आपको अगर रार्म हो तो दिल्ली में जो गुलछर्रा उड़ा रहा है वह कहीं हो ही नहीं सकता है। ये बहुत काम की बात कह रहे हैं। बिहार प्रदेश की बात कह रहे हैं। बिहार को समझते हैं कि हम भिखमंगा हैं। बिहार को आप दरिद्र बना रहे हैं।

श्री यशोदानंद सिह : नहीं, नहीं। जिस समय हुजूर, लोग भारत सरकार से पैकेज माँगते है, मैं लज्जा से गड़ जाता हूँ। अरे, हमारा जो अधिकार है वह दे दो। हमारा अधिकार है। संविधान ने अधिकार दिया है, पार्लियामेंट के द्वारा अधिकार दिया है। और हुजूर, आप भुक्तभोगी हैं, आप जिस क्षेत्र से आते हैं वो तो संकट के कगार पर खड़ा है। मैं इस सदन से और खासकर के उप नेता, सत्तारूढ़ दल से विशेष प्रार्थना करना चाहता हूँ कि उपरोक्त कानून के तहत अन्तरराष्ट्रीय नदियाँ समेत अन्तरराज्यीय नदियों के बारे में उत्तर देते समय राज्य सरकार स्थिति स्पष्ट करें। कुदरत ने बिहार में नदियों का जाल बिछाया है जो अहर्निश विकास के गीत गुनगुनाती है।

जो हमारे लिए वरदान है, वह विनाश का पर्याय क्यों और केसे बन गया? इसके लिए उत्तरदायी कौन है? बिहार की जनता को यह जानने का हक है। यह सवाल किसी सरकार का नहीं है। यह सवाल राज्य का है। और विकास पुरुष मौखिक रूप में कोई कहला ले। मैं आपके माध्यम से हुजूर, मौखिक विकास पुरुषों से भी निवेदन करना चाहता हूँ कि 1956 में जो एक्ट बना उसके अनुसार अभी तक काम क्यों नहीं हुआ? और मुझे जानकारी है, सरकार बतलाए, शायद अभी तक बोर्ड भी नहीं बना है। क्यो? यह किसकी जिम्मेदारी है, क्या यह हाउस इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, अगर हाउस जिम्मेदार है तो इस मुद्दे को मैं और जिम्मेदारी के साथ उठाना चाहता हूँ कि केन्द्र सरकार के विरुद्ध निन्दा का प्रस्ताव पास किया जाय और सरकार इस प्रस्ताव को रखे।

अगर राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के अन्त में जोड़ दिया जाय तो अरुण बाबू बहुत सारी बात बतलाएंगे। मैं उस चक्कर में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए मैं चाहता हूँ कि एक प्रस्ताव आए और हुजूर; आपके माध्यम से मैं संसद सदस्यों से गुजारिश करना चाहता हँ कि जब बिहार है तब राजनीति है। राजनीति सेवा का साधन है, आप इसको साध्य बनाने की भूल मत कीजिए और अगर यह सेवा का साधन है तो आपके सामने चन्द्रबाबू नायडू है, प्रकाश सिंह बादल हैं, आपके सामने बीजू पटनायक हैं, आप उनसे प्रेरणा ग्रहण कीजिए। लेकिन हुजूर, जैसा कि मैने प्रारम्भ में कहा - का पर करूँ शृंगार पिया मोर आंधर।

आज़ स्थिति, अकबर और बीरबल की स्थिति है। अकबर के सामने एक बडा अच्छा बैगन गया, तो उसने कहा देखो बीरबल कितनी अच्छी सब्जी है, तब उसने कहा कि तभी तो इसके सिर पर ताज है। रात में उसने बैगन की सब्जी खाई, तो पेट गुड़-गुड़ करने लगा, हुजूर, कुछ और हो गया राजा को और जब कुछ हो गया तब सवेरे उन्होंने कहा कि अरे बीरबल, ये क्या होगया, पेट गड़बड़ हैं खराब है, उसने कहा कि तभी हुजूर मैंने कहा कि इसका नाम बैंगन है, बेगुण है। उसने पूछा कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो तो उसने कहा कि मैं तो आपका खाता हूँ माई-बाप, ये बैंगन खराब है या अच्छा है कि इसके सर पर ताज है, हमको उससे क्या मतलब है। मैं तो तुम्हारा खाता हूँ तो तुम्हारा गुण गाता हूँ। लेकिन ये चार दिन की चाँदनी फिर अन्धेरी रात, ये चार दिन की चाँदनी है गंगा बाबू फिर अंधेरी रात आने वाली है, ये चार राज्यों के चुनाव ने आपको संकेत दे दिया है कि ये केवल चार दिन बचे चाँदनी है। राष्ट्र को लूटने का प्रबन्ध नहीं कीजिए।

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