शिक्षा को मनरेगा के साथ जोड़ने से हटेगी बेरोजगारी

देश में 70 प्रतिशत बेरोजगारी शिक्षित वर्ग में है, जिनको राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध करवाए जाने चाहिए, ताकि देश के विकास में इनका भी योगदान मिल सके…

शिक्षा की देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा का अर्थ व्यक्तिगत विकास, परंतु शिक्षा से हम जहां ज्ञान को बढ़ाते हैं, इसी के साथ हम आजीविका के साधन तथा विकास की गति को भी बढ़ाते हैं। गत वर्षों से हमारी शिक्षा का स्तर न जाने क्यों गिरता जा रहा है। लोगों ने इस शिक्षा को सरकारी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ लिया है, परंतु शिक्षा से ही जहां रोजगार के लिए एक दिशा मिलती है, वहीं पर व्यावसायिक शिक्षा का प्रचलन इस बात का संकेत है कि इस शिक्षा से हम अपने व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ पारिवारिक, समाज तथा देश का विकास भी करवा सकते हैं।

भारत सरकार ने देश में बेरोजगारी को दूर करने के मकसद से राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना लागू की है, जिसका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना रखा गया है। इसमें वर्ष भर में 100 दिन का रोजगार प्रति परिवार एक व्यक्ति को दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह योजना वरदान साबित हुई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की आर्थिक दशा में सुधार हुआ। उसमें अनपढ़ से लेकर एमए पढ़ी-लिखी लड़कियों ने भरपूर सहयोग दिया है। शहरी क्षेत्रों में लोग इसको अपनाने में असमर्थ रहे हैं। हाल में विभागों में भी मनरेगा के द्वारा कार्य करवाए जा रहे हैं, जिससे और रोजगार की संभावना इस क्षेत्र में बढ़ गई है। इसमें थोड़ा सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि हमारे शिक्षित बेरोजगार युवाओं को इसमें रोजगार प्रदान करने के प्रयास नहीं किए गए हैं, जिस कारण देश का शिक्षित एवं प्रशिक्षित वर्ग राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना से वंचित रह गया है।

देश में 70 प्रतिशत बेरोजगारी शिक्षित वर्ग में है, जिनको रोजगार राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के अंतर्गत उपलब्ध करवाए जाने चाहिए, ताकि देश के विकास में इनका भी योगदान मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह कुछ विभागों खासकर शिक्षा विभाग में अध्यापकों के अनेक पद रिक्त होने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसलिए सरकार को चाहिए कि शिक्षित बेरोजगार युवकों को मनरेगा के तहत स्कूल में 100 दिन का रोजगार पढ़ाने के तौर पर दिया जाए और उन विभागों में रिक्त पड़े पदों पर भी मनरेगा के तहत बेरोजगारों को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य का अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। इससे प्रदेश में मनरेगा को मजबूती मिलने के साथ सभी वर्ग के अर्थात शिक्षित, अशिक्षित, प्रशिक्षित व बेरोजगारों को भी रोजगार मिल सकता है। साथ ही हमारी प्राथमिक शिक्षा में हमारे ग्रामीण क्षेत्र कृषि और बागबानी के साथ पर्यावरण और जन संसाधन जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों की शिक्षा को व्यावसायिक शिक्षा के रूप में अपनाने की सख्त जरूरत है।

आज इस प्रदेश व देश में बेरोजगारों की लंबी कतार को कम करना किसी भी सरकारी एवं गैर सरकारी एजेंसी और संस्था के बस में नहीं है, अपितु हमारी कृषि बागबानी पर्यावरण और जन संसाधन जैसे क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र के बाद दूसरे ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर स्वरोजगार के संसाधन उत्पन्न हो सकते हैं। आज निजी क्षेत्र में रोजगार की ज्यादा संभावनाएं बढ़ गई हैं और अच्छा-खासा रोजगार इस क्षेत्र में मिल सकता है। हमारी शिक्षा व मनरेगा प्रदेश व देश को एक नई दिशा दे सकती है। यदि इस पर गहन विचार-विमर्श किया जा सके, तो यह हमारे बेरोजगार युवकों के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना ‘रामबाण’ साबित हो सकती है। मात्र बस प्रयास की आवश्यकता है। कोई भी कार्य सच्ची निष्ठा ईमानदारी व सर्व विकास के लिए किया गया हो, वह देश विकास के अवश्य ही नई दिशा दे सकता है। लोक निर्माण व सिंचाई विभाग में भी मनरेगा के तहत सड़कों, कूहलों तथा पेयजल योजना में कार्य करने शुरू कर दिए हैं।

इसी तरह दूसरे विभागों में भी मनरेगा के तहत कार्य करवाने की योजनाएं बनाई जाए। मेरा व्यक्तिगत विचार यह है कि इस मनरेगा के अंतर्गत पढ़े-लिखे बेरोजगारों को उनकी योग्यतानुसार 100 दिन का रोजगार दूसरे सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में भी दिया जाना चाहिए। प्रदेश में पर्यटन रोजगार की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। इस विषय पर चिंतन की आवश्यकता है। लोगों को काम मिले यह जरूरी है। यह हम सब का दायित्व है कि देश के विकास को ऊंचाइयों तक ले जाएं। इसलिए देशवासियों की सोच देश की बेहतरी समृद्धि विकास के लिए हो। हमें राष्ट्र के प्रति हमेशा समर्पित रहना चाहिए, क्योंकि ‘राष्ट्र है तो हम हैं,राष्ट्र नहीं तो हम भी नहीं’ इसलिए अपने-अपने दायित्व को इस तरह से निभाना चाहिए कि जिससे देश की बुराइयों का अंत हो और सुंदर भारत, कुशल भारत की रचना हो सके।

(मोती राम चौहान,लेखक, करसोग जिला मंडी से स्वतंत्र पत्रकार हैं)
 

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