सहस्रधारा में वन भूमि पर वन महकमे के अफसर का ही अवैध कब्जा

ओमप्रकाश सती, हिन्दुस्तान देहरादून, 19 अप्रैल 2019

सहस्रधारा में वन भूमि पर वन महकमे के अफसर का ही अवैध कब्जा निकल आया। ‘हिन्दुस्तान' की सहस्रधारा बचाओ मुहिम के तहत अतिक्रमण के लेकर सर्वे में यह खुलासा हुआ है। हालांकि वन विभाग के अफसर का कहना है कि उन्होंने अतिक्रमण नहीं किया, यदि अतिक्रमण निकलेगा तो सरकारी वन भूमि विभाग को लौटा देंगे।.

पीसीसीएफ जयराज के निर्देश पर वन भूमि का सर्वे शुरू हुआ। जांच रिपोर्ट भी पीसीसीएफ को सौंप दी गई है। इसमें एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि सहस्रधारा के चामासारी गांव में बना ईस रिजार्ट का एक हिस्सा (करीब दो बीघा) वन भूमि पर है। चक संख्या 62 के पिलर 77 से 80 तक वन भूमि पर अतिक्रमण कर रिसोर्ट के कुछ हिस्से का निर्माण किया गया है। .

जांच में ये भी सामने आया है कि ये रिसोर्ट वन विभाग के बड़े अफसर का है। हालांकि जमीन अफसर और उनकी पत्नी के नाम पर दर्ज है। वन भूमि पर अतिक्रमण को चिह्नित करते हुए वहां निशान लगाए दिए गए हैं। .

इसके अलावा सर्वे रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि सहस्रधारा रोपवे के बेस का आंशिक हिस्सा भी वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाया गया है। इसका भी चिह्नीकरण किया गया है। इसके अलावा कई दुकानें, प्लाटिंग, होटल आदि भी वन भूमि में अतिक्रमण कर बनाए गए हैं। .

राजस्व के सर्वे का इंतजार

सहस्रधारा में वन विभाग का सर्वे तो पूरा हो चुका है। लेकिन इसमें राजस्व के साथ संयुक्त सर्वे की मांग की गई है। जिलाधिकारी देहरादून की ओर से इसके लिए पटवारी को निर्देश दिए गए हैं, लेकिन दो माह से वन विभाग के अधिकारी पटवारी का इंतजार कर रहे हैं। मगर पटवारी सर्वे के लिए अब तक नहीं पहुंचे हैं।.

अतिक्रमण करने वालों पर मुकदमे की मांग .

इस मामले में लगातार अधिकारियों से शिकायत करने वाले और सहस्रधारा बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने वाले समाजसेवी अनिल कक्कड़ ने पीसीसीएफ से अतिक्रमण करने वालों पर मुकदमे की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक कानूनी कार्रवाई नहीं होगी तब तक वन भूमि पर अतिक्रमण बंद नहीं होंगे।.

 

किसी ने भी वन भूमि पर अतिक्रमण किया है तो कानूनी कार्रवाई होगी। अगर वन विभाग के अफसरों ने ही कब्जा किया है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।.

-डा. हरक सिंह, वन मंत्री.

 

ईस रिसोर्ट मेरा ही है, लेकिन ये मेरी रजिस्ट्री की जमीन पर बना है। इसमें वन भूमि पर कहीं कब्जा नहीं है। वन विभाग ने जो सर्वे किया है वह 1935 के नक्शे के आधार पर है। आज काफी परिस्थितियां बदल गई हैं। मैंने राजस्व विभाग से सर्वे के लिए मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को लिखा है। संयुक्त सर्वे में सब सच सामने आ जाएगा। अगर कहीं वन भूमि निकलती है तो वह वापस कर दी जाएगी।.

-इंद्रेश उपाध्याय, डीएफओ.

साभार - हिन्दुस्तान देहरादून, 19 अप्रैल 2019

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