सावन ऊखमा भादों जाड़।
बरसा मारे ठाड़ कछाड़।।
शब्दार्थ- ऊखम-उष्मा या गर्मी, कछाड़-कछनी (साड़ी या धोती को घुटने तक मोड़ना)
भावार्थ- श्रावण मास में यदि गर्मी पड़े औ भादों में ठंड तो निश्चित ही वर्षा इतनी अधिक होगी कि धोती का कछाड़ (कछनी) मार कर चलना पड़ेगा।
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