सावन उजरे पाख में, जो ये सब दरसायँ।
दुंद होय छत्री लड़ैं, भिरैं भूमिपति रायँ।।
भावार्थ- सावन शुक्ल पक्ष में यदि यही योग पड़े तो भयानक लड़ाई होगी। क्षत्रिय और राजा-राव लड़ेंगे।
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