भारत को आजाद हुए 72 साल हो गए हैं। देश ने विभिन्न क्षेत्रों में समृद्धि हासिल कर विकास की एक नई इबारत लिखी है और अभी भी देश विकास की इस दौड़ में अग्रणी बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। शुरूआती दौर से ही लोगों को पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं बनाई गई थीं। पानी की समस्या से निपटने के लिए 2019 में भी केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर ‘जल जीवन मिशन’ शुरू किया था। योजना का लक्ष्य 3.6 लाख करोड़ रुपये खर्च कर वर्ष 2024 तक हर घर को साफ पानी उपलब्ध कराना है, लेकिन सरकारों के कार्यो की रफ्तार इतनी मंद है कि आजादी के समय देश की जितनी जनसंख्या थी, उससे आधी आबादी को भी देश में पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है, जबकि 3 करोड़ से अधिक ग्रामीण आज भी पानी के लिए मोहताज हैं। इस बात की जानकारी जल शक्ति मंत्रालय के राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए लोकसभा में दी है।
राज्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे बुरा हाल हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलने वाले बिहार का है। यहां 3 करोड़ 76 लाख 58 हजार लोगों को प्रतिदिन निर्धारित 40 लीटर से कम पानी नसीब हो रहा है, जबकि केरल में तीन करोड़ 29 लाख 29 हजार, पश्चिम बंगाल में 1 करोड़ 98 लाख 11 हजार, राजस्थान में 1 करोड़ 72 लाख 92 हजार, महाराष्ट्र में 1 करोड़ 43 हजार 68 हजार और आंध्र प्रदेश में 1 करोड़ 17 लाख 6 हजार लोगों को हर दिन 40 लीटर से कम पानी मिल रहा है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में भी 27 लाख 69 हजार लोगों को हर दिन 40 लीटर पानी भी नहीं मिल रहा है, तो वहीं असम, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक आदि राज्यों में भी पेयजल संकट है। इसके अलावा कई राज्यों में पेयजल संकट के साथ ही जल की गुणवत्ता भी काफी खराब है। खराब जल गुणवत्ता के मामले में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है।
पश्चिम बंगाल में 94 लाख 21 हजार लाख लोग दूषित पानी पी रहे हैं। तो वहीं उत्तर प्रदेश में 9 लाख 97 हजार, त्रिपुरा में 10 लाख 95 हजार, तेलंगाना में 5 लाख 53 हजार, राजस्थान में 50 लाख 94 हजार, पंजाब में 37 लाख 99 हजार, ओडिशा में 7 लाख 28 हजार, महाराष्ट्र में 3 लाख 37 हजार, केरल में 7 लाख 37 हजार, कर्नाटक में 2 लाख 44 हजार, झारखंड में 1 लाख 39 हजार, हरयाणा में 1 लाख 21 हजार, छत्तीसगढ़ में 1 लाख 45 हजार, आंध्र प्रदेश में 1 लाख 79 हजार लोग दूषित पानी पी रहे हैं। पानी की गुणवत्ता में असम और बिहार की स्थिति काफी खराब है। दूषिण पानी पी रहे लोगों की संख्या असम में 31 लाख 16 हजार और बिहार में 33 लाख 22 हजार है। हांलाकि लोकसभा में पेश इस रिपोर्ट में अंडमान और निकोबार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, पुड्डुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु में किसी भी व्यक्ति को दूषित पानी की सप्लाई नहीं की जा रही है। स्पष्ट तौर पर बात करें तो देश के 17 करोड़ 78 लाख 31 हजार लोगों को निर्धारित 40 लीटर प्रतिदिन से कम पानी मिल रहा है, जबकि 3 करोड़ 1 लाख 68 हजार ग्रामीण दूषित पानी पी रहे हैं। ऐसे में सरकार की रफ्तार को देखते हुए 2024 तक देश के हर नागरिक को साफ पानी पहुंचाना संभावनाओं से परे असंभव सा प्रतीत हो रहा है। अब देखना ये होगा कि गिरते भूजल से खड़े हुए जल संकट और दूषित जल की समस्या के बीच सरकार कब तक हर नागरिक को साफ पानी उपलब्ध कराएगी और आखिर ये साफ जल लाया कहां से जाएगा।
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लेखक - हिमांशु भट्ट (8057170025)
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