सांझै से परि रहती खाट


सांझै से परि रहती खाट, पड़ी भड़ेहरि बारह बाट।
घर आँगन, सब घिन-घिन होय, घग्घा गहिरे देव डुबोय।।


शब्दार्थ- भड़ेहरि- बर्तन आदि। घिन-गंदा।

भावार्थ- जो स्त्री सांझ से ही खाट पर पड़ी सोती हो और उसके घर की चीजें तितर-बितर हों, और जिसका घर-आंगन धिनाता रहता हो, ऐसी औरत को घाघ के अनुसार गहरे पानी में डुबो देना ही श्रेष्ठ होता है।

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Post By: tridmin
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