जंगल किसी भी देश के वित्तीय विकास के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा जीवन-चक्र इन पर पूरी तरह से निर्भर करता है, क्योंकि जंगल प्राकृतिक संसाधनों में सबसे जरूरी संसाधन माना जाता है। चाहे वह कोई जड़ी-बूटी हो या फिर प्राकृतिक खाद्य पदार्थ, जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजें जंगल में ही उपलब्ध हैं। यही बात वन्य जीवों पर भी लागू होती है। वैसे जंगलों में जाना, घूमना-फिरना, पिकनिक मनाना सभी को पसंद आता है।
हां अगर आपकी इसमें रुचि हो तब आप इसे कैरियर में भी बदल सकते हैं। इस क्षेत्र में कई फॉरेस्ट्री और पर्यावरण के विज्ञान से संबंधित कैरियर हैं जिन्हें चुना जा सकता है। वैसे यह कैरियर बहुत आसान नहीं होगा क्योंकि वन्यजीव को बचाना, पर्यावरण पर बने नियमों का पालन करना, पेड़ों की निगरानी, जंगलों में पानी, मिट्टी को जांचना, कीटनाशक व लकड़ी का प्रबंध करने आदि जैसे सारे कामों की जिम्मेदारी फॉरेस्टर की ही होती है।
उन्हें हर काम को इस तरह से प्लान करना होता है जिससे जंगल भी बचे रहें और पर्यावरण पर कोई आंच भी न आए। इस क्षेत्र में सफल होने के लिए जोखिम उठाने का साहस, अच्छी सेहत, धैर्य, वैज्ञानिक प्रवृत्ति, कार्यकुशलता, बाच-चीत करने की कला और निर्णय लेने की क्षमता होना जरूरी है। साथ ही अपने पर्यावरण को बचाने की इच्छा भी होनी चाहिए।
वैसे फॉरेस्ट्री में डिप्लोमा और स्नातक डिग्री से लेकर पीएचडी तक के कोर्स उपलब्ध हैं। बीएससी को कोर्स के लिए बारहवीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी होनी जरूरी है। इसमें स्नातक डिग्री के बाद संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित इंडियन फॉरेस्ट सर्विस नाम की परीक्षा होती है, जो इसकी अन्य परीक्षाओं से अलग होती है। इस परीक्षा को देने के लिए विद्यार्थियों को बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी, फिजिक्स, स्टैटिक्स, जियोलॉजी, कृषि, फॉरेस्ट्री और इंजीनियरिंग में से किसी एक विषय में स्नातक होना जरूरी है। इसी तरह से राज्यों में भी लोक सेवा आयोग द्वारा स्टेट फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षाएं आयोजित होती हैं। इसके अलावा फॉरेस्ट रेंजर्स के लिए भी परीक्षाएं हैं। ऐसे में बारहवीं में विज्ञान की पढ़ाई करने से भी कुछ परीक्षाओं में बैठा जा सकता है। इसके अलावा स्नातकोत्तर कोर्स के लिए कई विशेष विषयों जैसे फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कमर्शियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनोमिक्स, वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वन्यजीव विज्ञान, वेटरनरी विज्ञान आदि में कोर्स उपलब्ध हैं। इसकी पढ़ाई करने के बाद विद्यार्थी अपनी विशेषज्ञता अनुसार ऑफिस, प्रयोगशालाओं में काम कर सकते हैं। यही नहीं इसमें कई तरह की नौकरियों के विकल्प खुल जाते हैं जैसेः
•सरकारी और गैर सरकारी संस्थान जो जंगल के संसाधनों को बचाने में काम कर रहे हैं।
•कंपनियां जहां लकड़ियों का काम होता है।
•ऐसी फैक्टरी जहां वन संसाधनों के इस्तेमाल से कार्य किया जाता है।
•भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद और इससे जुड़े जंगलों पर शोध करने वाले इंस्टिट्यूट जैसे फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट देहरादून, इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इकोरिहैबिलिटेशन, इलाहाबाद आदि में नौकरियां मिल सकती हैं।
•वन्यजीव पर रिसर्च इंस्टिट्यूट जैसे देहरादून, कोयंबटूर, जीव-जंतु विद्या संबंधी पार्क, व शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य किया जा सकता है।
•इन क्षेत्रों के अलावा ऐसे कई लोग हैं जो वन्यजीवों और जंगलों को बचाने में कार्य कर रहे हैं। जैसे वन रक्षक, डेंड्रोलॉजिस्ट, इथोलॉजिस्ट, कीट विज्ञानी, वन वर्धक, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर, चिड़ियाघर निरीक्षक आदि।
•वन रक्षक या फॉरेस्टर का काम वन में आग या मिट्टी के कटाव को रोकना और वन्यजीवों को बचाना है। इसके अलावा इन पर रिपोर्ट की तैयारी और बजट पर नियंत्रण की जिम्मेदारी होती है।
•डेंड्रोलॉजिस्ट पेड़-पौधों को विज्ञानी के नजरिए से पढ़ते हैं। इनका काम तरह-तरह के पेड़ों पर शोध करना, उनका इतिहास, जिंदगी, नापना, अनुमान लगाना और पेड़ों की वृद्धि को लेकर कार्य करना है।
•इथोलॉजिस्ट जानवरों और उनके आचरण पर शोध करते हैं। साथ ही ये चिड़ियाघरों, मछलीघरों और प्रयोगशालाओं में जानवरों की खाने-पीने की आदतों का निरीक्षण करते हैं।
•कीटविज्ञानी कीड़ों और उनसे होने वाली बीमारियों पर शोध करके उनके इलाज के ऊपर अध्ययन करते हैं।
•वन्य वर्धक पर वनों को बढ़ाने और समय-समय पर उनकी कटाई की जिम्मेदारी होती है।
•फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर पर अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान, वनस्पति उद्यान आदि देख-रेख की जिम्मेदारी निभाते हैं। इस क्षेत्र में सिर्फ इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा पास करके ही आया जा सकता है।
•चिड़ियाघर निरीक्षक वन्यजीवों का निरीक्षण चिड़ियाघरों में करते हैं। उनकी चिड़ियाघर के संचालन में मुख्य भूमिका होती है।
•फॉरेस्ट्री में पसंद की नौकरी करने के तो ढेरों विकल्प है। यह नौकरी दिलचस्प तो है लेकिन आसान नहीं है। इसलिए इस क्षेत्र को तभी चुने जब आप वन्यजीवों को बचाने की तरफ काम कर सकें। भारत में ऐसे कई कॉलेज हैं जो फॉरेस्ट्री और संबंधित विषयों पर बीएससी, एमएससी व कॉरेसपांडेस कोर्स कराते हैं।
• इंदिरा गांधी नेशनल ओपन विश्वविद्यालय, नई दिल्ली,
•फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, देहरादून
•इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इकोरिहैबिलिटेशन, इलाहाबाद
•इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमैंट, भोपाल
•फॉरेस्ट एंड वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून
•कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, पंतनगर
•कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड एग्रीकल्चुरल इंजीनियरिंग, उदयपुर
हां अगर आपकी इसमें रुचि हो तब आप इसे कैरियर में भी बदल सकते हैं। इस क्षेत्र में कई फॉरेस्ट्री और पर्यावरण के विज्ञान से संबंधित कैरियर हैं जिन्हें चुना जा सकता है। वैसे यह कैरियर बहुत आसान नहीं होगा क्योंकि वन्यजीव को बचाना, पर्यावरण पर बने नियमों का पालन करना, पेड़ों की निगरानी, जंगलों में पानी, मिट्टी को जांचना, कीटनाशक व लकड़ी का प्रबंध करने आदि जैसे सारे कामों की जिम्मेदारी फॉरेस्टर की ही होती है।
उन्हें हर काम को इस तरह से प्लान करना होता है जिससे जंगल भी बचे रहें और पर्यावरण पर कोई आंच भी न आए। इस क्षेत्र में सफल होने के लिए जोखिम उठाने का साहस, अच्छी सेहत, धैर्य, वैज्ञानिक प्रवृत्ति, कार्यकुशलता, बाच-चीत करने की कला और निर्णय लेने की क्षमता होना जरूरी है। साथ ही अपने पर्यावरण को बचाने की इच्छा भी होनी चाहिए।
वैसे फॉरेस्ट्री में डिप्लोमा और स्नातक डिग्री से लेकर पीएचडी तक के कोर्स उपलब्ध हैं। बीएससी को कोर्स के लिए बारहवीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी होनी जरूरी है। इसमें स्नातक डिग्री के बाद संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित इंडियन फॉरेस्ट सर्विस नाम की परीक्षा होती है, जो इसकी अन्य परीक्षाओं से अलग होती है। इस परीक्षा को देने के लिए विद्यार्थियों को बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी, फिजिक्स, स्टैटिक्स, जियोलॉजी, कृषि, फॉरेस्ट्री और इंजीनियरिंग में से किसी एक विषय में स्नातक होना जरूरी है। इसी तरह से राज्यों में भी लोक सेवा आयोग द्वारा स्टेट फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षाएं आयोजित होती हैं। इसके अलावा फॉरेस्ट रेंजर्स के लिए भी परीक्षाएं हैं। ऐसे में बारहवीं में विज्ञान की पढ़ाई करने से भी कुछ परीक्षाओं में बैठा जा सकता है। इसके अलावा स्नातकोत्तर कोर्स के लिए कई विशेष विषयों जैसे फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कमर्शियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनोमिक्स, वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वन्यजीव विज्ञान, वेटरनरी विज्ञान आदि में कोर्स उपलब्ध हैं। इसकी पढ़ाई करने के बाद विद्यार्थी अपनी विशेषज्ञता अनुसार ऑफिस, प्रयोगशालाओं में काम कर सकते हैं। यही नहीं इसमें कई तरह की नौकरियों के विकल्प खुल जाते हैं जैसेः
•सरकारी और गैर सरकारी संस्थान जो जंगल के संसाधनों को बचाने में काम कर रहे हैं।
•कंपनियां जहां लकड़ियों का काम होता है।
•ऐसी फैक्टरी जहां वन संसाधनों के इस्तेमाल से कार्य किया जाता है।
•भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद और इससे जुड़े जंगलों पर शोध करने वाले इंस्टिट्यूट जैसे फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट देहरादून, इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इकोरिहैबिलिटेशन, इलाहाबाद आदि में नौकरियां मिल सकती हैं।
•वन्यजीव पर रिसर्च इंस्टिट्यूट जैसे देहरादून, कोयंबटूर, जीव-जंतु विद्या संबंधी पार्क, व शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य किया जा सकता है।
•इन क्षेत्रों के अलावा ऐसे कई लोग हैं जो वन्यजीवों और जंगलों को बचाने में कार्य कर रहे हैं। जैसे वन रक्षक, डेंड्रोलॉजिस्ट, इथोलॉजिस्ट, कीट विज्ञानी, वन वर्धक, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर, चिड़ियाघर निरीक्षक आदि।
•वन रक्षक या फॉरेस्टर का काम वन में आग या मिट्टी के कटाव को रोकना और वन्यजीवों को बचाना है। इसके अलावा इन पर रिपोर्ट की तैयारी और बजट पर नियंत्रण की जिम्मेदारी होती है।
•डेंड्रोलॉजिस्ट पेड़-पौधों को विज्ञानी के नजरिए से पढ़ते हैं। इनका काम तरह-तरह के पेड़ों पर शोध करना, उनका इतिहास, जिंदगी, नापना, अनुमान लगाना और पेड़ों की वृद्धि को लेकर कार्य करना है।
•इथोलॉजिस्ट जानवरों और उनके आचरण पर शोध करते हैं। साथ ही ये चिड़ियाघरों, मछलीघरों और प्रयोगशालाओं में जानवरों की खाने-पीने की आदतों का निरीक्षण करते हैं।
•कीटविज्ञानी कीड़ों और उनसे होने वाली बीमारियों पर शोध करके उनके इलाज के ऊपर अध्ययन करते हैं।
•वन्य वर्धक पर वनों को बढ़ाने और समय-समय पर उनकी कटाई की जिम्मेदारी होती है।
•फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर पर अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान, वनस्पति उद्यान आदि देख-रेख की जिम्मेदारी निभाते हैं। इस क्षेत्र में सिर्फ इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा पास करके ही आया जा सकता है।
•चिड़ियाघर निरीक्षक वन्यजीवों का निरीक्षण चिड़ियाघरों में करते हैं। उनकी चिड़ियाघर के संचालन में मुख्य भूमिका होती है।
•फॉरेस्ट्री में पसंद की नौकरी करने के तो ढेरों विकल्प है। यह नौकरी दिलचस्प तो है लेकिन आसान नहीं है। इसलिए इस क्षेत्र को तभी चुने जब आप वन्यजीवों को बचाने की तरफ काम कर सकें। भारत में ऐसे कई कॉलेज हैं जो फॉरेस्ट्री और संबंधित विषयों पर बीएससी, एमएससी व कॉरेसपांडेस कोर्स कराते हैं।
• इंदिरा गांधी नेशनल ओपन विश्वविद्यालय, नई दिल्ली,
•फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, देहरादून
•इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इकोरिहैबिलिटेशन, इलाहाबाद
•इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमैंट, भोपाल
•फॉरेस्ट एंड वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून
•कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, पंतनगर
•कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड एग्रीकल्चुरल इंजीनियरिंग, उदयपुर
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