एजेंसी / सिंगापुर/ प्रदूषित पानी पीने से होने वाली बीमारियों के कारण दुनियाभर में रोजाना 4000 लोगों की मौत हो जाती है। यदि सरकारों ने जल आपूर्ति व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने के ठोस उपाय नहीं किए तो प्रदूषित जल से इस साल करीब 16 लाख लोगों की मौत हो जाएगी। यह चेतावनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी है।
इंटरनेशनल वाटर वीक यह रिपोर्ट सिंगापुर में मंगलवार से शुरू हो रहे इंटरनेशनल वाटर वीक के मौके पर जारी की गई है। डब्ल्यूएचओ के जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जेम्स बर्टरैम ने कहा कि प्रदूषित जल के कारण होने वाली मौतें केवल विकासशील देशों तक सीमित नहीं हैं।
समाचार पत्र ‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने बर्टरैम के हवाले से लिखा है, ‘प्रदूषित जल की समस्या से विकासशील देशों के अलावा विकसित देश भी जूझ रहे हैं।’ बर्टरैम ने कहा कि सरकारों को पानी की बढ़ती मांग के कारण दीर्घकाल में होने वाली जल की कमी और जलवायु परिवर्तन के बारे में पूर्वानुमान लगाकर रणनीति बनानी चाहिए।
ये हो सकते हैं उपाय
डॉ. जेम्स बर्टरैम ने कहा कि सरकारों को पानी के खारेपन को दूर करने की नई तकनीकों और विशेष फिल्ट्रेशन प्रणाली के बारे में विचार करने की जरूरत है। साथ ही जल से संबंधित ढांचागत व्यवस्था में अधिक निवेश किए जाने की भी जरूरत है।
असहनीय
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के पर्यावरण कार्यक्रम की एक अन्य रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पानी की कमी का सामना कर रहे देशों में अगले कुछ दशकों में पानी की मांग को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
भास्कर
इंटरनेशनल वाटर वीक यह रिपोर्ट सिंगापुर में मंगलवार से शुरू हो रहे इंटरनेशनल वाटर वीक के मौके पर जारी की गई है। डब्ल्यूएचओ के जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जेम्स बर्टरैम ने कहा कि प्रदूषित जल के कारण होने वाली मौतें केवल विकासशील देशों तक सीमित नहीं हैं।
समाचार पत्र ‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने बर्टरैम के हवाले से लिखा है, ‘प्रदूषित जल की समस्या से विकासशील देशों के अलावा विकसित देश भी जूझ रहे हैं।’ बर्टरैम ने कहा कि सरकारों को पानी की बढ़ती मांग के कारण दीर्घकाल में होने वाली जल की कमी और जलवायु परिवर्तन के बारे में पूर्वानुमान लगाकर रणनीति बनानी चाहिए।
ये हो सकते हैं उपाय
डॉ. जेम्स बर्टरैम ने कहा कि सरकारों को पानी के खारेपन को दूर करने की नई तकनीकों और विशेष फिल्ट्रेशन प्रणाली के बारे में विचार करने की जरूरत है। साथ ही जल से संबंधित ढांचागत व्यवस्था में अधिक निवेश किए जाने की भी जरूरत है।
असहनीय
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के पर्यावरण कार्यक्रम की एक अन्य रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पानी की कमी का सामना कर रहे देशों में अगले कुछ दशकों में पानी की मांग को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
भास्कर
Path Alias
/articles/raoja-4000-kai-jaana-laetaa-haai-dauusaita-paanai
Post By: admin