रंग बरसे


बदरंग सर्दी विदा लेने को है और होली के रंग आँखों में तैरने लगे हैं। मौसम बदल तो रहा है पर संसार के हर कोने में शायद रंगभरी होली नहीं खेली जा सके। सिर्फ रंग लगा लेने या रंग में नहा लेने से ही तो होली नहीं हो जाती, रंगों की विविधता वाले इस पर्व को जीवन के अनेक रंगों में शामिल किया जा सकता है।

कुछ दावतें तो होंगी ही मेहमान आएँगे और सबकुछ सामान्य ही रहा तो होली कैसे पता लगेगी? क्यों न कुछ ऐसा नया किया जाय कि बिन भीगे होली का रंग सब कुछ रंग जाए। प्रस्तुत हैं दस नए अंदाज, कुछ शायद आपको भी जम जाएँ।



घर का विशेष कोना जो हमेशा आपकी आँखों के सामने रहता है इस बार रंग बिरंगे पात्रो से सजा दें और इस बहुरंगी 'पात्र होलिका' से अपने अतिथियों को चकित कर दें।



प्रमुख कमरे के विशेष दीवान पर मैचिंग कुशन कवर हटा कर रंग बिरंगे तकिये लगा दें और इस 'आराम होलिका' का मजा लें।



बैठक की प्रमुख कलाकृति को कुछ दिनों के लिये हटा दें और उसकी जगह रंग डालें एक आसमान बहुरंगी बादलों वाला। इस 'कला होलिका' का जवाब नहीं !



रात्रिभोज का अवसर है तो साइड टेबल पर सजाएँ रंगीन मोमबत्तियाँ ! इस 'ज्योति होलिका' का क्या कहना !



चाय के लिये चुनें रंग बिरंगे प्यालों का यह सेट ! महफिल में रंग न आ जाय तो कहें ! कैसी रही 'चाय होलिका' !



बच्चों के लिये विशेष रूप से आज के दिन परोसें --
रंग बिरंगी कैंडी, न... न.. 'मिष्ठान्न होलिका' म्म्म्म्मज़ा ही मज़ा !



भोजन में शामिल करे बहुरंगी सलाद! स्वाद और स्वास्थ्य का अदभुत समन्वय !! सातवाँ सूत्र 'स्वास्थ्य होलिका' !!



हाथों में पहनें बहुरंगी चूड़ियाँ और होली के स्वागत में तैयार हो जाएँ, होली की रंगीनी का आठवाँ आनंद 'शृंगार होलिका'!



बात जब रंगों की हो तो फूलों और गुब्बारों के बिना अधूरी रहती है। इस बार होली की सजावट में फूल और फुग्गे ज़रूर शामिल करें-- नाम याद रखें-- 'प्रफुल्ल होलिका'



उपहारों का लेना देना त्योहारों का प्रमुख अंग है। होली का मौसम हो और उपहार रंग बिरंगे कागज़ों में बंधे हों तो कैसे भूली जाएगी-- 'उपहार होलिका' !


 
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