रिवर फ्रंट डेवलपमेंट पर सवाल

river rejuvenation
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मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में हुए घपलों की मैड संस्था सहित देहरादून के विभिन्न संगठनों ने एक मंच से जाँच की माँग की है।

उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने कहा कि इस परियोजना के तहत पायलट फेज में बनाई गई दीवारें पहली ही बारिश में ध्वस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वह दीवार ही अपने आप में एक प्राकृतिक संसाधन पर अतिक्रमण थी, जिसमें अस्सी मीटर चौकी नदी को तीस मीटर में समेट दिया। ऐसे में इन दीवारों का गिरना तय है। उन्होंने कहा एमडीडीए का इस तरह जन संसाधनों को लूटना शहर के लोगों को बिल्कुल मंजूर नहीं है।

रीनू पॉल संस्थापक राजपुर कम्युनिटी इनिशिएटिव ने कहा कि यह पूरी परियोजना वैचारिक स्तर पर ही गलत थी। पूरी दुनिया में नदियों के विकास के लिये अधिक जमीन दी गई है और हमारे शहर में नदी की ही जमीन पर दीवारें बनाई जा रही हैं। इस परियोजना को रोककर जाँच का आदेश दिया जाना चाहिए। इंस्पिरेशन प्रेरणा फाउण्डेशन की सुजाता पॉल ने कहा कि रिस्पना नदी पर दीवारों का निर्माण एक बेवकूफी भरा कदम बताते हुए इसे धन की बर्बादी बताया। आशीष गर्ग सदस्य सिटीजंस फॉर ग्रीन दून ने कहा कि पिछले आँकड़ों को ध्यान में रखते हुई यहाँ आरसीसी बनाना अधिक तार्किक होता है, क्योंकि वह इस प्रकार ध्वस्त नहीं होती। यहाँ तक की स्टील नेट के साथ गन बैग भी इस उद्देश्य को पूरा कर लेते और कम लागत में पड़ सकते थे।

रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश भंडारी ने कहा कि नदी के बीच में दीवारों को बनाए रखने के लिये कोई तर्क नहीं था। सुशील कुमार सचिव संयुक्त नागरिक संगठन ने कहा कि नागरिकों की बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए था। जनता का धन बर्बाद हुआ है और इसके लिये जवाबदेह होना चाहिए। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस पूरे घोटाले की जाँचकर सरकार से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की माँग की है। पत्रकार वार्ता में राजपुर कम्युनिटी इनिशिएटिव, इंस्पिरेशंस प्रेरणा फाउण्डेशन, संयुक्त नागरिक संगठन, रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, अॉल इंडिया कंज्यूमर काउंसिल, आगाज फाउण्डेशन, सिटीजंस फॉर ग्रीन दून और पूर्व छात्र संघ महासिचव मौजूद थे।

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