खेत में लगातार 12 ट्यूबवेल खुदवाकर जिंदगी हार चुके कृषक पोपसिंह राजपूत ने जल अभिषेक अभियान के दौरान रेवासागर तालाब बना लिया तो उसके जीवन में आर्थिक समृद्धि का सिलसिला लौट आया और उसकी जिंदगी बदलकर रख दी।
देवास विकासखंड के ग्राम निपान्या के भागीरथ कृषक पोप सिंह बताते हैं कि जिले के कलेक्टर श्री उमाकांत उमराव के मार्गदर्शन में जिले में वर्ष 2006 के जल अभिषेक अभियान से प्रभावित होकर, उसने भी अपने खेत में 2.55 हेक्टर भूमि का विशालकाय रेवासागर निर्माण करा लिया। रेवासागर की बदौलत ही उसने पहली बार 1200 क्विंटल से अधिक शरबती गेहूं की फसल ली, साथ ही 70 क्विंटल देशी चने की फसल भी ली जब कि, पूर्व के वर्षों में मात्र घर की जरूरत जितना ही (50 क्विंटल के लगभग) गेहूं उत्पादन होता था। कृषक पोपसिंह बताते हैं कि, उसके पास 130 बीघा खेत हैं जिसमें दर्जन भर ट्यूबवेल खुदवाये जाने के बाद भी रबी की नाममात्र फसल ले पाते थे। प्रशासन ने बैंक ऑफ इंडिया की बावडिया शाखा से रु. 10 लाख का ऋण भी उपलब्ध कराया। जिससे मैंने रेवासागर का निर्माण कराया है।
आज अप्रैल माह में भी तालाब से पर्याप्त पानी हैं जिसमें मत्स्य पालन भी शुरू कर दिया है, मुझे इससे भी लाखों रुपये की आमदनी होगी।
श्री पोपसिंह इस बात को लेकर खुश है कि तालाब बनने के बाद कृषि उपज में बढ़ोत्तरी की वजह से मेरे दोनों बेटे जो शहर में (देवास में) जाकर छोटा मोटा धंधा कर रहे थे वे भी अब खेती हाथ बटाने वापस गांव लौट आए हैं। पानी की व्यवस्था ने मेरे परिवार में खुशहाली ला दी हैं। इतना ही नहीं खेती में बढ़ोत्तरी होने से गांव के मज़दूरों को लगभग 2000 मानव दिवस का रोज़गार भी उपलब्ध हुआ।
देवास विकासखंड के ग्राम निपान्या के भागीरथ कृषक पोप सिंह बताते हैं कि जिले के कलेक्टर श्री उमाकांत उमराव के मार्गदर्शन में जिले में वर्ष 2006 के जल अभिषेक अभियान से प्रभावित होकर, उसने भी अपने खेत में 2.55 हेक्टर भूमि का विशालकाय रेवासागर निर्माण करा लिया। रेवासागर की बदौलत ही उसने पहली बार 1200 क्विंटल से अधिक शरबती गेहूं की फसल ली, साथ ही 70 क्विंटल देशी चने की फसल भी ली जब कि, पूर्व के वर्षों में मात्र घर की जरूरत जितना ही (50 क्विंटल के लगभग) गेहूं उत्पादन होता था। कृषक पोपसिंह बताते हैं कि, उसके पास 130 बीघा खेत हैं जिसमें दर्जन भर ट्यूबवेल खुदवाये जाने के बाद भी रबी की नाममात्र फसल ले पाते थे। प्रशासन ने बैंक ऑफ इंडिया की बावडिया शाखा से रु. 10 लाख का ऋण भी उपलब्ध कराया। जिससे मैंने रेवासागर का निर्माण कराया है।
आज अप्रैल माह में भी तालाब से पर्याप्त पानी हैं जिसमें मत्स्य पालन भी शुरू कर दिया है, मुझे इससे भी लाखों रुपये की आमदनी होगी।
मुन्ना चला गांव की ओर
श्री पोपसिंह इस बात को लेकर खुश है कि तालाब बनने के बाद कृषि उपज में बढ़ोत्तरी की वजह से मेरे दोनों बेटे जो शहर में (देवास में) जाकर छोटा मोटा धंधा कर रहे थे वे भी अब खेती हाथ बटाने वापस गांव लौट आए हैं। पानी की व्यवस्था ने मेरे परिवार में खुशहाली ला दी हैं। इतना ही नहीं खेती में बढ़ोत्तरी होने से गांव के मज़दूरों को लगभग 2000 मानव दिवस का रोज़गार भी उपलब्ध हुआ।
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