रेत माफ़िया ने यमुना पर निजी पुल तक बना डाला

रेत माफ़िया अपने नेक्सस के दम पर अब दुस्साहसी हो चुका है जो पीछा करने वालों पर बेझिझक गोलीबारी करते हैं। इस धंधे में दो बड़े गिरोह सक्रिय हैं। एक गिरोह तो पुलिस व खनन विभाग के साथ सांठ-गांठ करके धंधा चला रहा है जबकि दूसरा गिरोह क्षेत्रीय दबदबे के दम पर इस काम में लिप्त है। यमुना नदी से रेत चुराने के बाद रेत माफियाओं के ट्रैक्टर चालक आंधी तूफान की तरह अपने वाहनों को दौड़ाते हैं। फ़रीदाबाद में रेत के कारोबारी सिंडिकेट और माफ़िया की शक्ल में सक्रिय हैं। यहां यह मुहावरा आम हो चला है कि इस शहर में जीना है तो यमुना रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रालियों और बदरपुर नामक लाल बजरी के डंपरों से बचकर चलो। न जाने कब-किसे कुचल दें। रेत माफ़िया की ट्रैक्टर-ट्रालियों ने कई की जान ली हैं। इनमें हरियाणा पुलिस का एक सिपाही भी रेत माफ़िया के निरंकुश कारिंदों के हाथों मौत की नींद सो चुका है। उस जांबाज सिपाही की शहादत भी जाया लगती है। न तो हरियाणा पुलिस के जवानों का खून खौला और न ही इन लोगों को पालतू बनाने के लिए अफसरों ने ‘दुर्गा शक्ति’ से काम लिया। यमुना के तटीय इलाकों में रेत का अवैध खनन दिन-रात जारी है। बेशक प्रशासन ने अवैध खनन रोकने के लिए टॉस्क फोर्स का गठन कर रखा है जिसकी रस्म अदायगी जब-तब नुमाया होती रहती है। हाल में भी रेत से भरी पांच ट्रालियां पकड़ी गई।

ग्रेटर फरीदाबाद में लगभग 7,500 एकड़ में 15 सेक्टर विकसित हो रहे हैं, जहां 50 हजार से ज्यादा निर्माणाधीन फ्लैटों में प्रतिबंध के बावजूद यमुना रेत की आपूर्ति हो रही है। इस सवाल का जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं है कि यह आपूर्ति किन स्रोतों से हुई, बिल्डरों को किन कंपनियों ने रेत की आपूर्ति की, इन कंपनियों ने कहां से रेत मंगवाया, किन वाहनों से रेत लाया गया, उन वाहनों ने अंतर्राज्यीय सीमाओं को पार करते हुए कितना-कहां टोल, बिक्री कर और खनन राजस्व चुकाया। हर दौर में सत्ता के गलीचों तक आमद-रफ्त रखने वाले एक रेत माफ़िया ने तो यमुना पर निजी पुल तक बना डाला। जब यह बात सामने आई तो प्रशासन को इतनी बड़ी हिमाकत पर शर्म आई। फ़ज़ीहत से बचने के लिए इस अवैध निर्माण को हटा दिया गया। अब तक भी इस बात से पर्दा नहीं उठा कि पुल बनाने वाले कौन थे।

रेत माफ़िया अपने नेक्सस के दम पर अब दुस्साहसी हो चुका है जो पीछा करने वालों पर बेझिझक गोलीबारी करते हैं। इस धंधे में दो बड़े गिरोह सक्रिय हैं। एक गिरोह तो पुलिस व खनन विभाग के साथ सांठ-गांठ करके धंधा चला रहा है जबकि दूसरा गिरोह क्षेत्रीय दबदबे के दम पर इस काम में लिप्त है। यमुना नदी से रेत चुराने के बाद रेत माफियाओं के ट्रैक्टर चालक आंधी तूफान की तरह अपने वाहनों को दौड़ाते हैं। इस दौड़ान यदि कोई वाहन चालक या अन्य व्यक्ति उनके सामने आ जाए तो वे उसे कुचलने में जरा भी देरी नहीं करते।

विभागीय सूत्र के अनुसार, 500 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रालियां और डंपर इस काम में जुटे हुए हैं। हालांकि खानापूर्ति के लिए 250 से ज्यादा रेत चोरी के मामले भी दर्ज किए गए हैं।

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