रेनवॉटर हार्वेस्टिंग के प्रति बढ़ी जागरूकता

Rainwater Harvesting
Rainwater Harvesting
वर्षाजल कों नालियों में न बहाकर अपने ही नलकूप, कुऐं या बावड़ी में प्रविष्ट कराने की तकनिक को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नाम दिया गया है। महज कुछ इन्वेस्ट से ही आप अपनी लाखों की कोठी और फ्लैट में उक्त संयंत्र लगाकर “ रेनवॉटर हार्वेस्टिंग ” कर सकते हैं। यह सहज एवं सरल तकनिक पर आधारित है। इंसान यदि ठान ले तो क्या नहीं कर सकता यदि उसमें दृढ़ निश्चय हो तो अकाल को सुकाल में बदल सकता है। यह साबित हो रहा है आज के समय वॉटर हार्वेस्टिंग के प्रति बढ़ती जागरूकता से और इसी जागरूकता को सार्थक सिद्ध कर रहे हैं दुर्गा नर्सरी रोड स्थित बाबा इन्टरप्राईजेज के मालिक महेश चन्द्र गढ़वाल जो विगत 8 वर्षों से वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को कई निजी भवनों में लगा कर उनकी बढ़ती जागरूकता को सार्थक सिद्ध कर रहे हैं। पानी की लगातार बढ़ती खपत,कम होते वन और साल दर साल पड़ते अकाल के दौर में बढ़ते सरकारी भवन, गैर सरकारी, रिहायशी, निजी शिक्षण संस्थानों, बहुमंजिला इमारतों, निजी कम्पनियों के आफिस, फैक्ट्रियां आदि के अधिकाधिक निर्माणों के कारण भू-जल का दोहन होने से दिन-ब-दिन भू-जल गिरता ही जा रहा है।

इसी गिरते भूजल की मात्रा को कम करने एवं देवों के देव इन्द्रदेव के द्वारा दिये जाने वाले निःशुल्क जल जिसका हम उपयोग करते हैं। इसी जल को रेन वाटॅर कहते हैं, जो हमें वर्षाजल के रूप में प्राप्त होता है। इसी वर्षाजल को पुनः भूजल में नलकूप के माध्यम से भेजने के सिस्टम को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग कहते हैं। इस सिस्टम को लगाने में जो खर्च होता है वह खर्च नहीं बल्कि भविष्य के लिये किया गया इन्वेस्ट है जिससे आने वाली पिढ़ी के लिये आप एक प्रकार का बीमा कर रहे हैं। जिसका फायदा उनको तथा आने वाली पिढ़ी को पानी के लिये दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा।

वर्षाजल कों नालियों में न बहाकर अपने ही नलकूप, कुऐं या बावड़ी में प्रविष्ट कराने की तकनिक को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नाम दिया गया है। महज कुछ इन्वेस्ट से ही आप अपनी लाखों की कोठी और फ्लैट में उक्त संयंत्र लगाकर “ रेनवॉटर हार्वेस्टिंग ” कर सकते हैं। यह सहज एवं सरल तकनिक पर आधारित है। इस संयंत्र का मुख्य भाग फिल्टर है जिसको देवास विधी, ऑन लाईन फिल्टर भी कहते है। जो मुख्य रूप से छत के द्वारा पाईपों के माध्यम से आने वाली गन्दगी अर्थात पत्ते, पंख और मिट्टी युक्त गन्दा पानी भूमिजल में मिलने से रोकता है। मकानों पर लगे नाल्दों का पानी व्यर्थ बहने से रोकने के लिए पीवीसी पाईप को फिल्टर से जोड़ा जाता है। फिल्टर से निकलने वाला रेन वॉटर को पीवीसी पाईप द्वारा नलकूप के साथ लगे क्रेसिग पाईप में होलकर जोड़ दिया जाता है। जिससे नाल्दों से बहते रेन वॉटर को पुनः भूमि के अन्दर पहुंचाया जाता है, भूजल में विद्यमान लवणों की मात्रा में भी कमी आती है। जैसेः- हार्डेनेस,फ्लोराईड आदि टिडीएस में कमी आती है। आज गिरते भूजल का प्रत्यक्ष उदाहरण उदयपुर के कई इलाके जहां साढ़े छःइंच बोर और 650-700 फिट गहरे में भी पानी नहीं। अगर है भी तो बहुत ही कम और टिडीएस 10,000 से उपर जो शरीर के लिये अत्ययंत हानिकारक है। निर्णय आपका कि क्या करे कुछ खर्च में नलकूप को ही पुनःरिचार्ज करेंगे।

जल का दान आज के समय में किया गया सबसे बड़ा जलदान कहलाता है। लोग इस पुण्य को पाने के लिये न जाने कितनी प्याऊ,पक्षियों के लिये बर्तन रखते हैं आज आवश्यक्ता है भूजल दानदाता कि जो आप बन सकतें है वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने या अन्य जानकारी के लिये हमारी हेल्पलाईन नं. 9828120735 पर आप फोन कर निःशुल्क जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसी पुण्य कार्य में आज तक शहर के कई प्रतिष्ठित व गणमान्य बन्धुओं ने अपना अमुल्य सहयोग देकर इस पुण्य को कमाया।

Path Alias

/articles/raenavaotara-haaravaesatainga-kae-paratai-badhai-jaagarauukataa

Post By: Hindi
×