रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने के निर्देश

rain water harvesting
rain water harvesting

साधना सिंह, साहिबाबाद/ उत्तर प्रदेश/ जागरण: आने वाले समय में लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसेंगे, यह आशंका अन्य के अलावा वैज्ञानिक भी जता चुके हैं। गाजियाबाद महायोजना-2021 के अनुसार वर्ष 2021 में महानगर की जनसंख्या 23.50 लाख होगी। ऐसे में यदि लोग अभी से जागरूक नहीं हुए तो स्थिति कितनी गंभीर होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। यूं भी तो भूजल का स्तर जिस तेजी से गिर रहा है, उससे जल संकट तय है। यही कारण है कि 200-300 मीटर से अधिक के भूखंड पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट को अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन चिंता की बात यह है कि अब भी न तो आम जन और न ही बिल्डर इस पर ध्यान दे रहे हैं।


अगर कहीं प्लांट बना भी है तो नियमों पर खरा नहीं है। हालांकि कुछ स्कूलों में प्लांट लगाकर वर्षा जल संचय की अच्छी शुरुआत की गई है। जिलाधिकारी की ओर से तकरीबन 21 स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने के निर्देश दिए गए है। दूसरे यदि नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाए तो एक साल में ही छह मिलियन लीटर वर्षा जल का संरक्षण हो सकता है।

प्राधिकरण के एक अनुमान के अनुसार शहर में औसतन वार्षिक वर्षा लगभग 600 मिली होती है। ऐसे में एक हेक्टेयर जगह में एक साल में लगभग छह मिलियन लीटर वर्षा जल का सरंक्षण किया जा सकता है।


क्या है वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग)-

वर्षा जल सतही अपवाह के रूप में बहकर नष्ट हो जाने से पहले सतह पर या उप सतही एक्वेफर में संचित किए जाने की तकनीक को रेन वाटर हार्वेस्टिंग कहा जाता है। भूमि जल का कृत्रिम रिचार्ज वह प्रक्रिया है, जिससे भूमि जल और जलाशय का प्राकृतिक स्थिति में भंडारण की दर से ज्यादा भंडारण होता है।

 

जरूरत-

 

1-मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त सतही जल की कमी को पूरा करने के लिए

2-गिरते भूमि जल स्तर को रोकने के लिए

3-खास जगह व समय पर भूमि जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए

4-वर्षा जल द्वारा उप सतही मिट्टी में इनफिल्ट्रेशन को बढ़ाने के लिए, जो शहरी क्षेत्रों में निर्माण के कारण कम हो चुका है

5-जल मिश्रण द्वारा भूमि जल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए

6-वनस्पति के फैलाव में वृद्धि द्वारा पारिस्थितिक को सुधारने हेतु

 

ये है लाभ-

 

 

1-उप सतही जलाशय में रिचार्ज की लागत सतही जलाशयों से कम होती है

2-एक्वेफर वितरण प्रणाली के रूप में कार्य करता है

3-भंडारण के उद्देश्य से भूमि व्यर्थ नहीं जाती और न आबादी को हटाने की जरूरत पड़ती है

4-भूमि जल का वाष्पीकरण व प्रदूषण सीधे रूप से नहीं हो पाता

5-भूमि के नीचे जल कूप भंडारण पर्यावरण के अनुकूल है

6-भूमि जल स्तर में वृद्धि

7-सूखे के खतरे व प्रभाव को कम करता है


भू-जल स्तर में गिरावट के कारण

 

1-बढ़ती आबादी

2- जल का दोहन, भले ही वो स्थानीय स्तर पर हो या व्यापक स्तर पर

3-जल के अन्य स्त्रोतों का उपलब्ध न होना

4-पुराने साधनों जैसे तालाबों, बावडि़यों व टैकों आदि का उपयोग न करना


पिछले दिनों वसुंधरा के एक स्कूल में रोटरी क्लब की ओर से प्लांट लगाया गया। क्लब के सदस्य संदीप के अनुसार-


-छत पर जमा हुए पानी को जमीन तक लाने के लिए पाइप लगाए जाते है

-इस पानी को चैनलाइज करके गड्ढे में डाला जाता है

-दूसरे गड्ढे में रोड़ी, रेत की बारी-बारी से लेयर लगाई जाती है

-इससे पानी छानकर एक टैक में जमा कर लिया जाता है

-300 मीटर छत के लिए- एक गड्ढा चार फुट गहरा, छह फुट लंबा और पांच फुट चौड़ा होना चाहिए और दूसरे गड्ढे की गहराई छह फुट रखी जाती है। हर साल टैक की सफाई करना भी जरूरी होता है।

 

 

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