रेगिस्तान न बन जाए दुनिया


बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, खनन और पेड़ों की कटाई। ये तीनों विश्व के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहे हैं। इनके कारण मौसम चक्र गड़बड़ा रहा है जिससे विश्व के अधिकांश स्थान सूखाग्रस्त हो रहे हैं। साथ ही भूमि रेगिस्तान में तब्दील हो रही है। इस खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने और निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र हर साल 17 जून को ‘वर्ल्ड डे टू कॉम्बैट डजर्टीफिकेशन एंड ड्रॉट’ के रूप में मनाता है। इस साल की थीम है ‘भूमि को सामान्य बनाने में सबका सहयोग’ और स्लोगन है ‘पृथ्वी बचाओ, भूमि नवीकरण, लोगों को जोड़ों’। संयुक्त राष्ट्र के प्रयास पर एक नजरः

अन्तरराष्ट्रीय संधि


ग्लोबल वार्मिंगइसे 17 जून, 1994 को अपनाई गई और 1996 में प्रभावी हुई। इसे यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डजर्टीफिकेशन (यूएनसीसीडी) के नाम से जाना जाता है। यह दो सौ से अधिक देशों को सूखे की समस्या के प्रति प्रभावी कदम उठाने के लिये बाध्य करती है। यह सतत विकास लक्ष्य-2030 में भी शामिल है। इस साल इसका अन्तरराष्ट्रीय कार्यक्रम बीजिंग में होगा।

खतरनाक असर


- जैव विविधता और पर्यावरण सुरक्षा प्रभावित हो रही
- फसल उत्पादन घट रहा, इससे खाद्य सुरक्षा पर संकट
- सूखाग्रस्त इलाकों से पलायन हो रहा है, इससे आर्थिक दबाव और गरीबी में बढ़ोतरी
- मौसम चक्र बदलने के कारण पानी की कमी हो रही है

भू-अपकर्षण


इसे सॉयल डिग्रेडेशन भी कहते हैं। यह समस्या पेड़ों की कटाई से उत्पन्न होती है। इससे मिट्टी का नवीकरण नहीं हो पाता और भूमि बंजर हो जाती है।

ध्यान देने की जरूरत


- वनीकरण और पेड़ों की देखभाल
- पानी बचाना, पुनः प्रयोग करना और संचयन करना
- मिट्टी की गुणवत्ता सुधारना और उसे बचाना
- पौधरोपण को लेकर सरकारी नीति बनाना

कारण


- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
- जानवरों का मिट्टी को नुकसान पहुँचाना
- खेतों में केमिकल के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता खत्म होना
- बारिश और हवा इन कारणों से नष्ट मिट्टी को बहा ले जाते हैं। इससे मिट्टी का नवीकरण नहीं हो पाता।

मरुस्थलीय और भू-अपकर्षण का अगर समाधान नहीं किया गया तो खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करेंगे। साथ ही इससे पलायन बढ़ेगा। कई देशों के स्थायित्व पर संकट मंडराएगा। यही कारण है कि विश्व के नेताओं ने भू-अपकर्षण को सामान्य करने का लक्ष्य तय किया है। - बान की मून, महासचिव, संयुक्त राष्ट्र

 

52 फीसद

कृषि भूमि भू-अपकर्षण से प्रभावित

2.6 अरब

लोग सीधी तौर पर कृषि पर आश्रित

1.5 अरब

लोग भू-अपकर्षण से जूझ रहे

35 गुना

कृषि भूमि में ऐतिहासिक कमी आई

1.20 करोड़

हेक्टेयर भूमि सालाना सूखे की भेंट चढ़ रही, इसमें दो करोड़ टन फसल उगती है

 


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