पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिये 100 प्रतिशत राशनकार्डों का डिजीटलीकरण कर दिया गया है तथा 71.13 प्रतिशत राशनकार्डों को आधार कार्ड से जोड़ा जा चुका है। 29 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में खाद्यान्नों का ऑनलाइन आवंटन आरम्भ हो चुका है। 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कम्पयूटरीकृत आपूर्ति शृंखला शुरू की जा चुकी है। सतत प्रयासों के द्वारा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार का प्रयास किया जा रहा है और इसे अधिक पारदर्शी तथा लीकप्रूफ बनाने की कोशिश हो रही है।
आजादी के सात दशक व्यतीत हो जाने और देश के उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों से लैस हो जाने के बावजूद आबादी का बड़ा हिस्सा गरीबी और कुपोषण से ग्रस्त है। वैश्विक अनुमान के मुताबिक भारत की आबादी के एक चौथाई हिस्से को एक वक्त का ही भोजन प्राप्त होता है।
संयुक्त राज्य संघ की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग दस लाख बच्चों की कुपोषण से मौत हो जाती है। दक्षिण एशिया में कुपोषण के मामले में भारत की सबसे बुरी हालत है। भारत के कुपोषण सम्बन्धित आँकड़े अन्तरराष्ट्रीय स्तर से कई गुना अधिक है। विश्व बैंक ने कुपोषण की तुलना ब्लैक डेथ नामक महामारी से की है। सामान्यतः कुपोषण को चिकित्सीय समस्या माना जाता है। जबकि वास्तव में कुपोषण सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक कारकों का परिणाम है। कुपोषित महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चे भी कुपोषण और विकलांगता का शिकार हो जाते हैं। भारत में लगभग 47 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार बताए जाते हैं। संतुलित आहार व स्वच्छता का अभाव कुपोषण का प्रमुख कारण है। समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता और बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में कृषि उत्पादकता असंतुलन के कारण देश का एक बड़ा हिस्सा भोजन जैसी अपनी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति भी नहीं कर पा रहा है। केंद्र सरकार ने इसी चुनौती से निपटने और समाज के गरीब एवं वंचित वर्ग को संतुलित आहार, उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एन.एफ.एस.ए.) लाया गया जोकि सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया गया हालाँकि ये 5 जुलाई 2013 से ही प्रभावी हो गया था।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 में देश के गरीब नागरिकों को राजकीय सहायता पर अनाज प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है। इसके अंतर्गत सम्पूर्ण जनसंख्या के 79.56 प्रतिशत हिस्से को कवर किया गया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की 75 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र की 50 प्रतिशत आबादी को कवर किया गया है। योजना आयोग (वर्तमान में नीति आयोग) के वर्ष 2011-12 में एनएसएस पारिवारिक उपभोग सर्वेक्षण आँकड़ों का प्रयोग कर राज्यवार कवरेज का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया गया और राज्यवार ‘इनक्लूजन अनुपात’ भी उपलब्ध कराया गया है। अंत्योदय अन्न योजना (ए.ए.वाई.) में निर्धनतम परिवार को प्रतिमाह 35 किलोग्राम खाद्यान्न तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले प्राथमिकता परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिमाह 5 किलोग्राम खाद्यान्न अर्थात चावल, गेहूँ और मोटा अनाज क्रमशः रुपये 3/2/1 प्रति किलोग्राम के राजसहायता प्राप्त मूल्य पर उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान किया गया है।
भारत में कुपोषण व गरीबी की चुनौती से निपटने तथा आम जनमानस को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 देश के सभी 36 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने-अपने राज्यों की पूर्ववर्ती खाद्यान्न वितरण योजना के स्थान पर लागू कर दिया है जिसके अंतर्गत राज सहायता पर प्रतिमाह 3/2/1 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से क्रमशः चावल/गेहूँ/मोटा अनाज का वितरण किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्रत्येक राज्य द्वारा टीपीडीएस के अंतर्गत निर्धारित कवरेज के अंदर अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) में लागू दिशा-निर्देशों के अनुरूप और शेष प्राथमिकता परिवार चयन दिशा-निर्देशों के अनुरूप पात्र परिवारों की पहचान कर दो तरह के कार्ड निर्गत किये गये हैं। अति निर्धन को अंत्योदय कार्ड तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले को प्राथमिकता परिवार (पीएचएच) कार्ड प्रदान किया गया है। खाद्य सुरक्षा कानून द्वारा राजसहायता पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर सरकार देश से भुखमरी और कुपोषण समाप्त करने का प्रयास कर रही है।
संविधान के भाग 4 में राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 47 में राज्य को पोषाहार-स्तर और जीवन-स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य निर्धारित किया गया है जिसके क्रम में केंद्र व राज्य सरकारें स्वतंत्रता के बाद गरीबों को राजकीय सहायता पर खाद्यान्न प्रदान करने के लिये समय-समय पर ‘काम के बदले अनाज’, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, अंत्योदय अन्न योजना, अन्नपूर्णा योजना जैसी अनेक लोक कल्याणकारी योजना चलाती रही है। परन्तु भ्रष्टाचार जन-जागरूकता के अभाव और राष्ट्रीय-स्तर पर खाद्य सुरक्षा कानून के अभाव के कारण गरीबों को इन योजनाओं का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था। केंद्र सरकार ने इस कानून द्वारा गरीबों को राज सहायता पर खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकारी बनाया।
सरकार का प्रमुख लक्ष्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत चिन्हांकित परिवारों को पात्रतानुसार रियायती दर पर खाद्य सामग्री का वितरण कराना तथा किसानों को उपज का सही मूल्य दिलाने हेतु समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न का उपार्जन करना एवं उपभोक्ता हितों का संरक्षण करना है। कुछ तकनीकी आपत्ति के बाद नवम्बर 2016 में केरल व तमिलनाडु राज्य के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में शामिल होने के साथ ही देश के समस्त 36 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 80 करोड़ लोग इस कानून के दायरे में आ गए। केंद्रीय खाद्यमंत्री श्री रामविलास पासवान ने बताया कि इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन करने के लिये प्रतिमाह केंद्र सरकार लगभग 11726 करोड़ रुपये या प्रतिवर्ष लगभग 140700 करोड़ रुपये की सहायता दे रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का विभिन्न राज्यों में क्रियान्वयन एवं उपलब्धियों का विश्लेषण निम्नवत है-
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का क्रियान्वयन दो चरणों में आरम्भ हुआ। 1 जनवरी, 2016 को 28 जनपदों में तथा शेष 47 जनपदों में 1 मार्च, 2016 से लागू हुआ। उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती योजना लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टी.डी.पी.एस.) की तीन श्रेणियों अंत्योदय, गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल.) और गरीबी रेखा से ऊपर (ए.पी.एल.) को समाप्त करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में दो श्रेणियाँ बनाई गई हैं- अंत्योदय श्रेणी एवं पात्र गृहस्थी श्रेणी। अंत्योदय श्रेणी में समाज के अति निर्धन परिवार को शामिल किया गया जिन्हें प्रति परिवार प्रतिमाह 35 किलोग्राम खाद्यान्न जिसमें 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 20 किलोग्राम गेहूँ और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 15 किलोग्राम चावल प्रदान करने के साथ ही साथ 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2 किलोग्राम चीनी प्रदान की जा रही है। इसी प्रकार पात्र गृहस्थी में प्रति यूनिट (व्यक्ति) 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है जिसमें 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 3 किलोग्राम गेहूँ एवं 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2 किलोग्राम चावल प्रदान किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत कुल जनसंख्या के 79.56 प्रतिशत आबादी को कवर किया गया है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की 80 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र की 65 प्रतिशत आबादी को कवर किया गया है। उत्तर प्रदेश में अन्त्योदय राशनकार्ड-धारकों की संख्या 4094817 है जिसमें कुल 16325221 लाभार्थी शामिल हैं। इसी प्रकार पात्र गृहस्थी राशनकार्ड धारकों की संख्या 29882329 है जिसमें कुल 133278254 लाभार्थी शामिल हैं।
राजस्थान
राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम सभी 33 जिलों में लागू कर दिया है। राजस्थान में अंत्योदय कार्डधारकों को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 35 किलोग्राम गेहूँ प्रतिमाह प्रदान किया जाता है और गरीबी रेखा से नीचे के प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) कार्डधारकों को प्रति यूनिट (व्यक्ति) 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 5 किलोग्राम गेहूँ प्रतिमाह प्रदान किया जाता है। राजस्थान में अंत्योदय राशनकार्ड धारकों की संख्या 620652 है जिसमें कुल 2654694 लाभार्थी शामिल हैं। इसी प्रकार प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) कार्डधारकों की संख्या 9596683 है जिसमें कुल 41740509 लाभार्थी शामिल हैं। यहाँ प्रतिमाह लगभग 230215 मीट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में आम जनता को ऑनलाइन शिकायत करने तथा शिकायत के त्वरित निवारण का तंत्र विकसित किया गया है।
गुजरात
सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के पश्चात गुजरात सरकार ने सभी 33 जनपदों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर दिया है। यहाँ अंत्योदय राशन कार्डधारकों की कुल संख्या 808222 है जिसमें कुल 4264893 लाभार्थी शामिल हैं। इसी प्रकार प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) कार्डधारकों की कुल संख्या 6296809 है जिसमें कुल 33362613 लाभार्थी सम्मिलित हैं। गुजरात में अंत्योदय कार्डधारकों को लगभग 25 किलोग्राम गेहूँ 2 रुपये प्रति किलोग्राम प्रतिमाह मिलता है तथा 10 किलोग्राम चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम प्रतिमाह मिलता है। इसके अतिरिक्त गुजरात सरकार नमक, चीनी और केरोसिन तेल भी सब्सिडी पर वितरित करती है।
बिहार
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत बिहार के समस्त 38 जनपद की लगभग 8.57 करोड़ जनता को राज सहायता पर खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है। बिहार राज्य में अंत्योदय कार्डधारकों को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रतिमाह 14 किलोग्राम गेहूँ तथा 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रतिमाह 21 किलोग्राम चावल प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार पात्र गृहस्थी (पी.एच.एच.) श्रेणी के कार्डधारकों को प्रति यूनिट (व्यक्ति) 2 किलोग्राम गेहूँ तथा 3 किलोग्राम चावल प्रदान किया जाता है। जनवरी माह में अंत्योदय योजना के अंतर्गत पूरे राज्य में कुल 306024 किलोग्राम गेहूँ और 459033 किलोग्राम चावल जबकि पात्र गृहस्थी (पी.एच.एच.) कार्डधारकों को 1301766 किलोग्राम गेहूँ और 1952610 किलोग्राम चावल वितरित किया गया।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत बिहार राज्य के ग्रामीण क्षेत्र की 85 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या को कवर किया गया है। जन वितरण प्रणाली लागू करने के लिये बिहार राज्य में खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम को नोडल इकाई बनाया गया है। इसके द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही तथा गड़बड़ी रोकने हेतु ईपीडीएस प्रणाली लागू की जा रही है। जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को खाद्यान्न की मात्रा का सही तोल दिये जाने हेतु इलेक्ट्रॉनिक तोल मशीन की स्थापना की गई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 12 (2)(इ) के अंतर्गत परिवहन में उपयुक्त वाहन में जी.पी.एस. तथा लोड सेल का उपयोग किया जा रहा है। लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरण से सम्बन्धित स्वचालित एस.एम.एस. द्वारा जागरूक किया जाता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 12(2)(क) के अंतर्गत पारदर्शिता और जवाबदेही का निर्धारण एम.आई.एस. द्वारा किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त धारा 14 के अंतर्गत कॉल सेंटर और हेल्पलाइन द्वारा आम आदमी की शिकायतों एवं समस्याओं का त्वरित निस्तारण किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश
1 मार्च, 2014 से मध्य प्रदेश के सभी 51 जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधान के अनुसार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को लागू कर दिया गया। मध्य प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मुख्य उद्देश्य लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत चिन्हांकित परिवारों को पात्रतानुसार रियायती दर पर खाद्य सामग्री का वितरण कराना और किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाना है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पात्र परिवारों में अंत्योदय अन्न योजना के परिवारों के साथ-साथ प्राथमिकता परिवार (पीएचएच) के रूप में 24 श्रेणियों को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में सम्मिलित किया गया है। प्राथमिकता परिवार की श्रेणियों में बीपीएल श्रेणी के अतिरिक्त 23 अन्य श्रेणियों के गैर-बीपीएल परिवारों को भी सम्मिलित किया गया है। अंत्योदय कार्डधारक परिवार को प्रतिमाह 26 किलोग्राम गेहूँ और 9 किलोग्राम चावल एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दिया जाता है। प्राथमिकता परिवार श्रेणी के प्रति व्यक्ति (यूनिट) 4 किलोग्राम गेहूँ और 1 किलोग्राम चावल, एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदान किया जाता है। मध्य प्रदेश में अंत्योदय योजना के अंतर्गत 1431652 परिवार कार्डधारक हैं जबकि प्राथमिकता परिवार के पात्र गृहस्थी कार्डधारकों की संख्या 10425395 है। मध्य प्रदेश की 80 प्रतिशत ग्रामीण तथा 62 प्रतिशत शहरी आबादी को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत कवर किया गया है।
हरियाणा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम हरियाणा के सभी 22 जिलों में लागू हो गया है। हरियाणा की 55 प्रतिशत ग्रामीण तथा 41 प्रतिशत शहरी आबादी को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कवर किया गया है। हरियाणा में अंत्योदय राशनकार्ड धारकों की संख्या 2.56 लाख है जिसमें कुल 11.03 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं और प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) के अंतर्गत 26.8 लाख लोग कार्डधारक हैं जिसमें कुल लाभान्वित की संख्या 121.33 लाख है। हरियाणा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत अंत्योदय कार्डधारकों को प्रतिमाह 35 किलोग्राम गेहूँ 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदान किया जा रहा है तथा प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) कार्डधारकों को प्रति यूनिट (व्यक्ति) प्रतिमाह 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 5 किलोग्राम गेहूँ प्रदान किया जा रहा है।
पंजाब
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पंजाब में भी सभी जिलों में लागू हो गया है। पंजाब की 55 प्रतिशत ग्रामीण तथा 45 प्रतिशत शहरी आबादी को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कवर किया गया है। पंजाब में अंत्योदय योजना के अंतर्गत 121517 परिवार कार्डधारक हैं जिसमें कुल 438444 लाभार्थी शामिल हैं। प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) योजना के अंतर्गत 3513910 परिवार कार्डधारक हैं जिसमें कुल 13555303 लाभार्थी शामिल हैं। अंत्योदय कार्डधारकों को प्रतिमाह 35 किलोग्राम गेहूँ 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदान किया जा रहा है।
असम
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम असम के सभी 27 जिलों में दिसम्बर 2015 से लागू हुआ जिससे लगभग 2.52 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं। असम में अंत्योदय राशन कार्डधारकों की संख्या 691521 है जिससे 2885570 लोग लाभान्वित हो रहे हैं तथा प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) वाले कार्डधारकों की संख्या 5065669 है जिससे 21664878 लोग लाभान्वित हो रहे हैं। असम में अंत्योदय कार्डधारकों को प्रतिमाह 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 35 किलोग्राम चावल मिलता है तथा प्राथमिकता परिवार (पात्र गृहस्थी) को प्रति यूनिट (व्यक्ति) प्रतिमाह 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 5 किलोग्राम चावल प्रदान किया जा रहा है। असम के 84 प्रतिशत ग्रामीण और 60 प्रतिशत शहरी आबादी को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कवर किया गया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत जनसंख्या का कवरेज | |||||||||
क्र.सं. | राज्य/संघशासित प्रदेश | जनसंख्या (2011 की जनगणना) (लाख) | टीपीडीएस के तहत प्रतिशत कवरेज | कवर किये जाने वाले कुल व्यक्तियों की संख्या (लाख) | |||||
ग्रामीण | शहरी | कुल | ग्रामीण | शहरी | ग्रामीण | शहरी | कुल | ||
1 | नया आंध्र प्रदेश | 328.41 | 165.36 | 493.77 | 60.96 | 41.14 | 200.20 | 68.03 | 268.23 |
2 | अरुणाचल प्रदेश | 10.69 | 3.13 | 13.83 | 66.31 | 51.55 | 7.09 | 1.62 | 8.71 |
3 | असम | 267.81 | 43.89 | 311.69 | 84.17 | 60.35 | 225.41 | 26.49 | 251.90 |
4 | बिहार | 920.75 | 117.30 | 1038.05 | 85.12 | 74.53 | 783.74 | 87.42 | 871.16 |
5 | छत्तीसगढ़ | 196.04 | 59.37 | 255.40 | 84.25 | 59.98 | 165.16 | 35.61 | 200.77 |
6 | दिल्ली | 4.19 | 163.34 | 167.53 | 37.69 | 43.59 | 1.58 | 71.20 | 72.78 |
7 | गोवा | 5.51 | 9.06 | 14.58 | 42.24 | 33.02 | 2.33 | 2.99 | 5.32 |
8 | गुजरात | 346.71 | 257.13 | 603.84 | 74.64 | 48.25 | 258.78 | 124.06 | 382.85 |
9 | हरियाणा | 165.31 | 88.22 | 253.53 | 54.61 | 41.05 | 90.28 | 36.21 | 126.49 |
10 | हिमाचल प्रदेश | 61.68 | 6.89 | 68.57 | 56.23 | 30.99 | 34.68 | 2.13 | 36.82 |
11 | जम्मू और कश्मीर | 91.35 | 34.14 | 125.49 | 63.55 | 47.10 | 58.05 | 16.08 | 74.13 |
12 | झारखंड | 250.37 | 79.29 | 329.66 | 86.48 | 60.20 | 216.52 | 47.73 | 264.25 |
13 | कर्नाटक | 375.53 | 235.78 | 611.31 | 76.04 | 49.36 | 285.55 | 116.38 | 401.93 |
14 | केरल | 174.56 | 159.32 | 333.88 | 52.63 | 39.50 | 91.87 | 62.93 | 154.80 |
15 | मध्य प्रदेश | 525.38 | 200.60 | 725.98 | 80.10 | 62.61 | 420.83 | 125.59 | 546.42 |
16 | महाराष्ट्र | 615.45 | 508.28 | 1123.73 | 76.32 | 45.34 | 469.71 | 230.45 | 700.17 |
17 | मणिपुर | 20.22 | 8.34 | 28.56 | 88.56 | 85.75 | 17.91 | 7.15 | 25.06 |
18. | मेघालय | 23.69 | 5.95 | 29.64 | 77.79 | 50.87 | 18.43 | 3.03 | 21.46 |
19 | मिजोरम | 5.29 | 5.62 | 10.91 | 81.88 | 48.60 | 4.33 | 2.73 | 7.06 |
20 | नागालैंड | 14.07 | 5.74 | 19.81 | 79.83 | 61.98 | 11.23 | 3.56 | 14.79 |
21 | ओडीशा | 349.51 | 69.96 | 419.47 | 82.17 | 55.77 | 287.19 | 39.02 | 326.21 |
22 | पंजाब | 173.17 | 103.87 | 277.04 | 54.79 | 44.83 | 94.88 | 46.57 | 141.45 |
23 | राजस्थान | 515.40 | 170.81 | 686.21 | 69.09 | 53.00 | 356.09 | 90.53 | 446.62 |
24 | सिक्किम | 4.56 | 1.52 | 6.08 | 75.74 | 40.36 | 3.45 | 0.61 | 4.07 |
25 | तमिलनाडु | 371.89 | 349.50 | 721.39 | 62.55 | 37.79 | 232.62 | 132.08 | 364.69 |
26 | तेलंगाना | 234.71 | 118.18 | 352.89 | 60.96 | 41.14 | 143.08 | 48.62 | 191.70 |
27 | त्रिपुरा | 27.10 | 9.61 | 36.71 | 74.75 | 49.54 | 20.26 | 4.76 | 25.02 |
28 | उत्तर प्रदेश | 1551.11 | 444.70 | 1995.81 | 79.56 | 64.43 | 1234.06 | 286.52 | 1520.59 |
29 | उत्तराखंड | 70.26 | 30.91 | 101.17 | 65.26 | 52.05 | 45.85 | 16.09 | 61.94 |
30 | पश्चिम बंगाल | 622.14 | 291.34 | 913.48 | 74.47 | 47.55 | 463.31 | 138.53 | 601.84 |
31 | अंडमान एवं निकोबार | 2.44 | 1.36 | 3.80 | 24.94 | 1.70 | 0.61 | 0.02 | 0.63 |
32 | चंडीगढ़ | 0.29 | 10.26 | 10.55 | 38.54 | 47.26 | 0.11 | 4.85 | 4.96 |
33 | दादर एवं नगर हवेली | 1.83 | 1.60 | 3.43 | 84.19 | 51.54 | 1.54 | 0.82 | 2.36 |
34 | दमन एवं दीव | 0.60 | 1.83 | 2.43 | 26.66 | 56.47 | 0.16 | 1.03 | 1.19 |
35 | लक्षद्वीप | 0.14 | 0.50 | 0.04 | 35.30 | 33.56 | 0.05 | 0.17 | 0.22 |
36 | पुदुच्चेरी | 3.94 | 8.50 | 12.44 | 59.68 | 46.94 | 2.35 | 3.99 | 6.34 |
कुल | 8332.10 | 3771.18 | 12103.28 | 75.00 | 50.00 | 6249.30 | 1885.61 | 8134.92 | |
स्रोत : उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, खाद्य और वितरण, भारत सरकार |
गोवा
गोवा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम दिसम्बर, 2015 से लागू हुआ जिससे लगभग 5 लाख 11 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं। गोवा के 42 प्रतिशत ग्रामीण और 33 प्रतिशत शहरी आबादी को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कवर किया गया है। गोवा में अंत्योदय कार्डधारकों को प्रतिमाह 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 35 किलोग्राम चावल तथा प्राथमिकता परिवार (पीएचएच) को प्रति यूनिट (व्यक्ति) 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 5 किलोग्राम चावल प्रदान किया जा रहा है। गोवा में अंत्योदय कार्डधारकों की कुल संख्या 12621 है तथा प्राथमिकता परिवार के कार्डधारकों की कुल संख्या 125721 है।
अरुणाचल प्रदेश
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अरुणाचल प्रदेश के सभी 21 जनपदों में लागू है। इसके अंतर्गत 51.55 प्रतिशत शहरी आबादी और 66.31 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को कवर किया गया है। अरुणाचल प्रदेश में अंत्योदय कार्डधारकों की कुल संख्या 37383 है जिससे कुल 147310 लोग लाभान्वित हो रहे हैं और प्राथमिकता परिवार (पीएचएच) श्रेणी के कुल कार्डधारकों की संख्या 138959 है जिससे कुल 673811 लोग लाभान्वित हो रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप प्रतिमाह 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 35 किलोग्राम चावल प्रदान किया जा रहा है और प्राथमिकता परिवार को प्रति यूनिट (व्यक्ति) 5 किलोग्राम चावल दिया जा रहा है।
सिक्किम
सिक्किम के सभी 4 जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हो गया है। इसके अंतर्गत 76 प्रतिशत ग्रामीण और 40 प्रतिशत शहरी आबादी को कवर किया गया है। सिक्किम में अंत्योदय कार्डधारकों की कुल संख्या 16501 और पात्र गृहस्थी (पीएचएच) राशन कार्डधारकों की कुल संख्या 80545 है। यहाँ अंत्योदय कार्डधारकों को प्रतिमाह 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 35 किलोग्राम चावल और पात्र गृहस्थी श्रेणी को प्रति यूनिट (व्यक्ति) 5 किलोग्राम चावल वितरण हो रहा है।
खाद्य सुरक्षा योजना की सफलता हेतु सुझाव
खाद्य सुरक्षा योजना अपने उद्देश्य में सफल हो, इसके लिये खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि भी आवश्यक है। इसके लिये केंद्र सरकार खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिये सभी राज्यों को कृषि में वैज्ञानिक व तकनीकी सहायता देने के साथ ही साथ उन्नत किस्म के बीज एवं खाद के अतिरिक्त आर्थिक सहायता देने का भी प्रावधान कर रही है। कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ ही साथ खाद्यान्न संरक्षण की दिशा में भी सरकार प्रयासरत है जिससे खाद्यान्न को नष्ट होने से बचाया जा सके।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त सहयोग से संचालित हो रही है। केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से खाद्यान्न की खरीद, भण्डारण, ढुलाई तथा आवंटन का कार्य करती है। राज्य सरकारें लक्षित परिवारों की पहचान, राशनकार्ड जारी करना और उचित दर की दुकानों द्वारा खाद्यान्न के वितरण का पर्यवेक्षण करने के साथ ही अन्य प्रचालनात्मक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में खाद्यान्न वितरण के अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं तथा 6 माह से लेकर 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों को एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना के अंतर्गत निर्धारित पौष्टिक मानदंडों के अनुसार भोजन प्रदान करने का भी प्रावधान है। 6 वर्ष की आयु तक के कुपोषित बच्चों के लिये उच्च-स्तर के पोषण सम्बन्धी मानदंड निर्धारित किए गए हैं। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को मातृत्व लाभ योजना के अंतर्गत 6000 रुपये प्रदान किये जाने का प्रावधान भी किया गया है। महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये राशनकार्ड में परिवार की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला को परिवार का मुखिया माने जाने का प्रावधान किया गया है।
खाद्यान्न वितरण में होने वाले भ्रष्टाचार एवं अनियमितता को रोकने के लिये जिला और राज्य-स्तरों पर शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करने के साथ ही साथ सभी 36 राज्य व संघ राज्य क्षेत्र में टोल फ्री नम्बर और ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली की व्यवस्था भी की गई है। योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली से सम्बन्धित रिकॉर्डों को सार्वजनिक करने तथा सामाजिक लेखा परीक्षा करने और सतर्कता समितियों के गठन का भी प्रावधान किया गया है। जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा संस्तुत राहत का अनुपालन न करने के मामले में राज्य खाद्य आयोग द्वारा सरकारी कर्मचारी अथवा प्राधिकारी पर दंड लगाए जाने का प्रावधान है। 3 संघ राज्य क्षेत्रों-चंडीगढ़, पुदुच्चेरी तथा दादरा एवं नगर हवेली में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) स्कीम के अंतर्गत खाद्यान्नों हेतु नकद अंतरण की व्यवस्था कर दी गई है। इस योजना के अंतर्गत कुल 9.14 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया गया है तथा प्रतिमाह कुल 11.98 करोड़ रुपये की धनराशि अंतरित की जा रही है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 8 सहपठित धारा 39(2)(ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 21 जनवरी, 2015 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ परामर्श के उपरांत खाद्य सुरक्षा भत्ता नियम 2015 पारित किया जिसके अनुसार यदि किसी हकदार व्यक्ति को खाद्यान्न प्राप्त नहीं होता है तो लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान किया जायेगा। भत्ते की रकम की गणना उक्त विपणन सत्र के खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का 1.25 गुना और अधिनियम की अनुसूची-1 में विनिर्दिष्ट मूल्य के अंतर के आधार पर की जाएगी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिये केंद्र सरकारों के साथ ही साथ राज्य सरकार सतत प्रयासरत हैं। परंतु कुछ अपात्र लोगों के भी पात्र गृहस्थी अथवा अंत्योदय के राशनकार्ड बन गए हैं। पात्र गृहस्थी श्रेणी वाले अंत्योदय श्रेणी में राशनकार्ड बनवाकर अनुचित लाभ ले रहे हैं। चूँकि कार्ड बनवाने के लिये ऑनलाइन फॉर्म भरना था और वास्तविक आय के स्रोत की जाँच के समुचित सरकारी तंत्र की उपलब्धता का अभाव होने के कारण लोगों ने अपनी आय कम बताई तथा बाद में समुचित निरीक्षण नहीं हो पाने के कारण ऐसी अनियमितता है। इसी तरह गोदामों में खाद्यान्न के संरक्षण हेतु पर्याप्त प्रबंधन के अभाव के कारण बड़े पैमाने पर खाद्यान्न नष्ट हो जाते हैं तथा परिवहन एवं खाद्यान्न वितरण में होने वाली अनियमितता के कारण भी कुछ खाद्यान्न बिचौलियों द्वारा अवैध रूप से संग्रहित कर लिया जाता है। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रबंध किये जाने चाहिए। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से देश के प्रत्येक हिस्से में गरीब से गरीब व्यक्ति को राज सहायता पर केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। यद्यपि खाद्यान्न वितरण में कुछ सुधार अभी अपेक्षित है।
लेखक परिचय
(लेखक खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, आगरा में अभिहित अधिकारी हैं।), ई-मेल - dewashishupadhy@gmail.com
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