रास्ते का पत्थर - किस्मत ने हमें बना दिया


1414 में मुगल शासक गयासुद्दीन तुगलक यहाँ रहा करते थे। आज इस धरोहर की एक दीवार विदेशी पर्यटक के लिये पर्यटन स्थल बन चुकी है। वहीं इसके पीछे पहाड़ियों पर बसा है तुगलकाबाद गाँव, जिसने दिल्ली की राजनीति में तीन विधायक व एक सांसद दिये हैं। रामवीर सिंह बिधूड़ी से लेकर रामसिंह बिधूड़ी व मौजूदा विधायक सही राम इसी गाँव से हैं। गाँव से तीन बड़े राजनेता होने के बावजूद ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिलना गम्भीर सवाल खड़े कर रहा है। सांसद ग्राम योजना के तहत दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी ने भाटी गाँव गोद लिया, लेकिन सांसद को अपने गाँव में पानी की समस्या दिखाई नहीं देती। आम आदमी पार्टी से विधायक सही राम, जिनकी पार्टी लोगों को फ्री में पानी पिलाने का वादा कर रही थी, लेकिन विधायक के क्षेत्र में आने वाले गाँव में लोगों को फ्री में पानी तो दूर पीने लायक भी नहीं मिलता है।

जल प्रदूषणहालाँकि तुगलकाबाद गाँव के ज्यादातर इलाके गुर्जर समुदाय में आते हैं। बाकी के 14 मोहल्ले में अन्य जाति के लोग भी रहते हैं। गुर्जर बाहुल्य इलाकों में तो पानी का टैंकर दिन में चार बार आ जाता है, लेकिन एक ऐसा मोहल्ला है, जिसे अछूत मानकर उन्हें पानी सप्लाई ही नहीं किया जाता। जाटव मोहल्ला वर्षों से पानी के लिये संघर्ष करता रहा है। महीने में तीन बार आने वाले टैंकर से ही यहाँ के लोगों की प्यास बुझती है। दिल्ली सरकार लोगों को गंगाजल पिलाने के लिये हर विधानसभा में सक्रिय है। लेकिन इस गाँव के जाटव मोहल्ला में गंगाजल का कनेक्शन करना ही भूल गये हैं।

गुलामी नहीं तो पानी नहीं


पीने का पानी, टूटी सड़कें, बन्द पड़े सीवर… आज पहाड़ियों पर बसे तुगलकाबाद गाँव की कहानी बयाँ करते हैं। वर्षों पुराने इस गाँव में जाटव मोहल्ला है, जहाँ पीने के लिये आज भी पानी जाति पूछकर दिया जाता है। स्थानीय लोग पानी के लिये विरोध डर के मारे नहीं करते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कहीं मिलने वाला पानी भी छीन न लें। गुलाम तो हम तब भी थे, जब अंग्रेजों ने हम पर कब्जा कर रखा थ। गुलामी आज भी कर रहे हैं। हाँ, आज की गुलामी से अच्छी तो अंग्रेजों की गुलामी थी। कम-से-कम पीने का पानी तो मिल ही जाता था। यह बातें राष्ट्रीय दैनिक प्रयुक्ति से बातचीत के दौरान जाटव मोहल्ला के स्थानीय निवासी चंद्रपाल ने बताई। उन्होंने कहा कि 2000 की जनसंख्या वाले इस मोहल्ले में आज तक गंगाजल की सेवा नहीं मिल पाई है। दिल्ली जलबोर्ड को दिन में 10 से 12 बार फोन करने के बाद 10 दिन में एक बार टैंकर भेजा जाता है। हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है।

इधर पानी नहीं… उधर पानी की बर्बादी


गाँव के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाए तो बाकी हिस्सों में पानी समय पर आता है। यदि किसी कारणवश पानी नहीं आता है, तो एक फोन पर जलबोर्ड का टैंकर घर के सामने मौजूद रहता है। यह उन इलाकों में आता है जहाँ दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी का आवास है। यहाँ पर टूटी सड़कें, पीने का पानी, बन्द पड़े सीवर जैसी कोई परेशानी नहीं है। सांसद साहब ने अपने मोहल्ले को चकाचक रखा है, जिसका फायदा ग्रामीण खूब उठाते हैं। पानी के बोरवेल से दिनभर पानी बहता रहता है। तब तक बहता रहता है, जब तक लाइट नहीं चली जाती। इस बीच में कई लीटर पीने का पानी सड़कों पर बहकर बर्बाद हो जाता है।

अछूत होने के कारण होता है भेदभाव


हर चुनाव में नेता वोट लेने के लिये दरवाजे तक आते हैं, लेकिन पानी की समस्या के लिये नेता गेट तो दूर गाँव में ही नहीं मिलते हैं। स्थानीय निवासी चंद्रपाल के मुताबिक एक तो यहाँ पर लोगों में गुर्जर लोगों का डर है, इसलिये पानी की समस्या जटिल होने के बावजूद भी कोई अपनी आवाज नहीं उठाता है। हाँ, हम कुछ लोग एकजुट होकर पानी की समस्या के सन्दर्भ कई बार सांसद रमेश बिधूड़ी से मिले हैं, लेकिन वह हमें यह कहकर वापस भेज देते हैं कि जिसे वोट दिया, उससे जाकर पानी की समस्या बताओ। विधायक सही राम के पास जाते हैं, तो वह सिर्फ आश्वासन देने के अलावा कभी हमारी समस्या पर संज्ञान नहीं लेते हैं। पानी का टैंकर समय पर नहीं मिलने से लोगों को बोरवेल का पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है। कई बार तो लोगों को गन्दा पानी पीने से अस्पताल में भी भर्ती करवाया जा चुका है। ये बातें मोहल्ले के एक निवासी ने बताई है।

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