‘‘भूजल राजस्थान की है, एक जीवित-जागरूक सी तस्वीर।
समय पर जल मरू भूमि को दो, वरना प्यासे मर जायेंगे थार के वीर।।’’
राजस्थान में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। राजस्थान में पीने के पानी का 87 प्रतिशत हिस्सा भूजल से ही लिया जाता है। साथ ही सिंचाई में भी भूजल का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ा है। राज्य के सिंचित क्षेत्र का 60 प्रतिशत हिस्सा भूजल से ही होता है। ऐसी स्थिति में भूजल का दोहन बहुत तेजी से हो रहा है।
भूजल का दोहन पिछले 30 वर्षों मे बड़ी तेजी से बढ़ा है। उसमें किसी का भी दोष निकालना बड़ी नाइन्साफी है, क्योंकि तेजी से बढ़ते विकास और लोगों के जीवन स्तर से सभी चीजे प्रभावित होती है, व इससे यह क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है एवं अन्धा-धुन्ध पानी का भी दोहन शुरू हो गया है। साथ ही सुविधाएं बढ़ने से आम आदमी का अपने मूलभूत उपयोगी जल संचय से ध्यान हट गया है एवं हर कोई इसके उपयोग में शामिल हो गया है। राजस्थान के भूजल की तस्वीर देखने से आदमी सिहर जाता है, क्योंकि राज्य के 203 ब्लाक डार्क जोन में आते हैं बाकी बचे हुए 30 ब्लाक सेफ जोन में हैं तथा 6 ब्लाक सेमी क्रिटिकल जोन में है। यदि इस तस्वीर को और गहराई के साथ देखेंगे ता पाएंगे कि ये 30 ब्लाक खारा है। आप राजस्थान के नक्शे पर देखेंगे तो सुरक्षित क्षेत्र उत्तर में गंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के ब्लॉक है जहां पर इन्दिरा गांधी कैनाल से सिंचाई की जाती है। दूसरी तहफ दक्षिण में बांसवाड़ा व डूंगरपुर है जहां तीन बांधो के द्वारा सिंचाई की व्यवस्था है। इन चारो जिलों के कुल मिलाकर 22 ब्लाक सुरक्षित व एक ब्लाक अर्धसुरक्षित है।
इसके बाद राजस्थान में सिर्फ 8 ब्लाक सुरक्षित क्षेत्र में आते हैं, ये प्रायः उस क्षेत्र में स्थित है जहां पानी खारा है या बहुत ही नीचे जलस्तर है। जैसे – बाड़मेर।
राजस्थान जो देश का सबसे बड़ा सूखा प्रदेश है जहां वर्षा का औसत बहुत कम है। देश के औसत का लगभग आधा है, उस स्थिति में जब वर्षा बहुत कम होती है क्षेत्र का तापमान भी काफी ज्यादा रहता है तो भूजल की स्थिति देखने के बाद केन्द्र सरकार व राजस्थान सरकार को सचेत हो जाना चाहिए तथा हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। हमें कुछ भी सुरक्षित करने से पहले राज्य में पानी की सुरक्षा के बारे में आम आदमी को उसके उपयोग तथा महत्व को समझना बहुत जरूरी है। राजस्थान के भूजल को समझने के साथ राजस्थान में प्राकृतिक रिचार्ज को समझना भी उतना ही जरूरी है।
राज्य को अरावली पर्वतमाला दो हिस्सों में बांटती है। 2/3 हिस्सा उत्तर-पश्चिम में स्थित है जहां रेगिस्तान है तथा औसत वर्षा भी काफी कम होती हैं लगभग 345 मी.मी. जो कि 100 मी. से 550 मी. के बीच है व इस क्षेत्र को तापमान अधिक रहता है। तीन महिनों को छोड़कर तापमान औसत से अधिक रहता है, लेकिन इस क्षेत्र में भूजल रिचार्ज की काफी सम्भावनाएं है, परन्तु प्राकृतिक रिचार्ज की सम्भावनाएं नगण्य है। क्योंकि उपरोक्त परिस्थितियां प्राकृतिक रिचार्ज के अनुकूल नहीं है। 1/3 हिस्सा अरावली के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, जहां वर्षा राजस्थान की औसत वर्षा से अधिक होती है। इस क्षेत्र में नदियां बहती है तथा 500 मी.मी. से 980 मी.मी. तक वर्षा भी होती है।
इस क्षेत्र में माही, बनास, सोमकला, चम्बल, काली सिंध, पार्वती के अलावा भी अन्य छोटी नदियां बहती है तथा काफी क्षेत्र सिंचित व पहाड़ी है, लेकिन उसके बाद भी रिचार्ज की सम्भावनाएं बहुत कम है क्योंकि इस क्षेत्र की भूमि की किस्म पथरीली है तथा पथरीली भूमि में भूजल रिचार्ज न के बराबर होता है एवं भूजल भी ऐसी जगह रिचार्ज होता है जहां पथरीली भूमि में दरार होती है। दोनों स्थितियों को देखने के बाद एक बात भलीभांति समझ में आती है कि जहां रिचार्ज के लिए पानी है वहां की भूमि की स्थिति रिचार्ज के अनुकूल नहीं है और जहां रिचार्ज की सम्भावनाएं है, वहां वर्षा नहीं होती। ऐसी स्थिति में राज्य की भूमि से जितना भूजल निकाला जा रहा है उतना पानी वापिस भूमि में रिचार्ज नहीं होता है और गम्भीरता से देखे तो हजारों वर्षों का पानी जो रिचार्ज द्वारा भूजल में परिवर्तित हुआ उसे 30 वर्षों में ही हमने समाप्ति के कगार पर लाकर रख दिया है।
भूजल स्तर पिछले 30 वर्षों में राजस्थान में 5-30 मीटर के बीच पानी का स्तर नीचा गिर गया है। पानी का स्तर जितना नीचे जाता है पानी में प्रदूषण भी उतना ही बढ़ता जाता है। आज राजस्थान में भूजल देश में सबसे अधिक दूषित है। इस बात का पता लगाया जा सकता है कि भारत में 33210 क्षेत्रों में पानी खारा पाया जाता है तो उसमे से 16344 क्षेत्र राजस्थान में स्थित है अर्थात् 49.20 प्रतिशत खारा पानी का क्षेत्र राजस्थान में है। उसी प्रकार फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र देश में यदि 33211 क्षेत्र है तो राजस्थान में 18609 क्षेत्र है। अर्थात् 56 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ राजस्थान में स्थित है।
इन बातों से साफ हो जाता है कि राजस्थान के भूजल की स्थिति आने वाले वक्त में क्या होगी इसे गम्भीरता से लेने की जरूरत है?
‘‘बदल रहा है भूगोल थार का,
बदल रहा है रेगिस्तान।
आज रेत के बीच हॅंस रहे हैं,
हरे-भरे हरियल मैदान।।
कल तक रोती – बिलकती थी,
तेरी आंचल में तेरी सन्तान।
कल जितना काला था तेरा,
उतना ही उज्ज्वल है तेरा वर्तमान।।’’
समय पर जल मरू भूमि को दो, वरना प्यासे मर जायेंगे थार के वीर।।’’
राजस्थान में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। राजस्थान में पीने के पानी का 87 प्रतिशत हिस्सा भूजल से ही लिया जाता है। साथ ही सिंचाई में भी भूजल का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ा है। राज्य के सिंचित क्षेत्र का 60 प्रतिशत हिस्सा भूजल से ही होता है। ऐसी स्थिति में भूजल का दोहन बहुत तेजी से हो रहा है।
भूजल का दोहन पिछले 30 वर्षों मे बड़ी तेजी से बढ़ा है। उसमें किसी का भी दोष निकालना बड़ी नाइन्साफी है, क्योंकि तेजी से बढ़ते विकास और लोगों के जीवन स्तर से सभी चीजे प्रभावित होती है, व इससे यह क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है एवं अन्धा-धुन्ध पानी का भी दोहन शुरू हो गया है। साथ ही सुविधाएं बढ़ने से आम आदमी का अपने मूलभूत उपयोगी जल संचय से ध्यान हट गया है एवं हर कोई इसके उपयोग में शामिल हो गया है। राजस्थान के भूजल की तस्वीर देखने से आदमी सिहर जाता है, क्योंकि राज्य के 203 ब्लाक डार्क जोन में आते हैं बाकी बचे हुए 30 ब्लाक सेफ जोन में हैं तथा 6 ब्लाक सेमी क्रिटिकल जोन में है। यदि इस तस्वीर को और गहराई के साथ देखेंगे ता पाएंगे कि ये 30 ब्लाक खारा है। आप राजस्थान के नक्शे पर देखेंगे तो सुरक्षित क्षेत्र उत्तर में गंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के ब्लॉक है जहां पर इन्दिरा गांधी कैनाल से सिंचाई की जाती है। दूसरी तहफ दक्षिण में बांसवाड़ा व डूंगरपुर है जहां तीन बांधो के द्वारा सिंचाई की व्यवस्था है। इन चारो जिलों के कुल मिलाकर 22 ब्लाक सुरक्षित व एक ब्लाक अर्धसुरक्षित है।
इसके बाद राजस्थान में सिर्फ 8 ब्लाक सुरक्षित क्षेत्र में आते हैं, ये प्रायः उस क्षेत्र में स्थित है जहां पानी खारा है या बहुत ही नीचे जलस्तर है। जैसे – बाड़मेर।
राजस्थान जो देश का सबसे बड़ा सूखा प्रदेश है जहां वर्षा का औसत बहुत कम है। देश के औसत का लगभग आधा है, उस स्थिति में जब वर्षा बहुत कम होती है क्षेत्र का तापमान भी काफी ज्यादा रहता है तो भूजल की स्थिति देखने के बाद केन्द्र सरकार व राजस्थान सरकार को सचेत हो जाना चाहिए तथा हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। हमें कुछ भी सुरक्षित करने से पहले राज्य में पानी की सुरक्षा के बारे में आम आदमी को उसके उपयोग तथा महत्व को समझना बहुत जरूरी है। राजस्थान के भूजल को समझने के साथ राजस्थान में प्राकृतिक रिचार्ज को समझना भी उतना ही जरूरी है।
राज्य को अरावली पर्वतमाला दो हिस्सों में बांटती है। 2/3 हिस्सा उत्तर-पश्चिम में स्थित है जहां रेगिस्तान है तथा औसत वर्षा भी काफी कम होती हैं लगभग 345 मी.मी. जो कि 100 मी. से 550 मी. के बीच है व इस क्षेत्र को तापमान अधिक रहता है। तीन महिनों को छोड़कर तापमान औसत से अधिक रहता है, लेकिन इस क्षेत्र में भूजल रिचार्ज की काफी सम्भावनाएं है, परन्तु प्राकृतिक रिचार्ज की सम्भावनाएं नगण्य है। क्योंकि उपरोक्त परिस्थितियां प्राकृतिक रिचार्ज के अनुकूल नहीं है। 1/3 हिस्सा अरावली के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, जहां वर्षा राजस्थान की औसत वर्षा से अधिक होती है। इस क्षेत्र में नदियां बहती है तथा 500 मी.मी. से 980 मी.मी. तक वर्षा भी होती है।
इस क्षेत्र में माही, बनास, सोमकला, चम्बल, काली सिंध, पार्वती के अलावा भी अन्य छोटी नदियां बहती है तथा काफी क्षेत्र सिंचित व पहाड़ी है, लेकिन उसके बाद भी रिचार्ज की सम्भावनाएं बहुत कम है क्योंकि इस क्षेत्र की भूमि की किस्म पथरीली है तथा पथरीली भूमि में भूजल रिचार्ज न के बराबर होता है एवं भूजल भी ऐसी जगह रिचार्ज होता है जहां पथरीली भूमि में दरार होती है। दोनों स्थितियों को देखने के बाद एक बात भलीभांति समझ में आती है कि जहां रिचार्ज के लिए पानी है वहां की भूमि की स्थिति रिचार्ज के अनुकूल नहीं है और जहां रिचार्ज की सम्भावनाएं है, वहां वर्षा नहीं होती। ऐसी स्थिति में राज्य की भूमि से जितना भूजल निकाला जा रहा है उतना पानी वापिस भूमि में रिचार्ज नहीं होता है और गम्भीरता से देखे तो हजारों वर्षों का पानी जो रिचार्ज द्वारा भूजल में परिवर्तित हुआ उसे 30 वर्षों में ही हमने समाप्ति के कगार पर लाकर रख दिया है।
भूजल स्तर पिछले 30 वर्षों में राजस्थान में 5-30 मीटर के बीच पानी का स्तर नीचा गिर गया है। पानी का स्तर जितना नीचे जाता है पानी में प्रदूषण भी उतना ही बढ़ता जाता है। आज राजस्थान में भूजल देश में सबसे अधिक दूषित है। इस बात का पता लगाया जा सकता है कि भारत में 33210 क्षेत्रों में पानी खारा पाया जाता है तो उसमे से 16344 क्षेत्र राजस्थान में स्थित है अर्थात् 49.20 प्रतिशत खारा पानी का क्षेत्र राजस्थान में है। उसी प्रकार फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र देश में यदि 33211 क्षेत्र है तो राजस्थान में 18609 क्षेत्र है। अर्थात् 56 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ राजस्थान में स्थित है।
इन बातों से साफ हो जाता है कि राजस्थान के भूजल की स्थिति आने वाले वक्त में क्या होगी इसे गम्भीरता से लेने की जरूरत है?
‘‘बदल रहा है भूगोल थार का,
बदल रहा है रेगिस्तान।
आज रेत के बीच हॅंस रहे हैं,
हरे-भरे हरियल मैदान।।
कल तक रोती – बिलकती थी,
तेरी आंचल में तेरी सन्तान।
कल जितना काला था तेरा,
उतना ही उज्ज्वल है तेरा वर्तमान।।’’
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