इन खतरनाक रसायनों के अलावा दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली व पश्चिमी दिल्ली के भूमिगत जल में फ्लोराइड पाया गया है। पूर्वी दिल्ली, मध्य दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर पश्चिमी, दक्षिणी व दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली में के भू-जल में नाइट्रेट भी पाया गया है। संसद में पेश इस जानकारी के मुताबिक दिल्ली के लगभग हर हिस्से में भूमिगत जल बहुत ज्यादा दूषित है व इसमें खतरनाक रसायन घुल चुके हैं। सुरक्षित स्तर से ज्यादा फ्लोराइड के इस्तेमाल से दांत और हड्डियों के खराब होने की आशंका उत्पन्न हो जाती है।
दिल्ली के लाखों लोग पानी के साथ लेड, कैडमियम, फ्लोराइड, नाइट्रेट व क्रोमियम जैसे भारी तत्वों का सेवन कर रहे हैं। इन तत्वों से हड्डियां प्रभावित होती हैं और बच्चों के स्वांस तंत्र को नुकसान पहुंचता है। इतना ही नहीं, कई मामलों में तो ये कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन जाते हैं। दिल्ली के पानी में घुले इन तत्वों की जानकारी स्वयं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने संसद के सामने रखी है। बताते चलें कि इससे पहले दिल्ली के कई इलाकों में सीवर लाइन का पानी पेयजल की लाइनों में मिल गया था। इससे घरों में सप्लाई होने वाला पेयजल दूषित व बदबूदार हो गया था। 30 अप्रैल 2012 को एक प्रश्न के उत्तर में जल संसाधन मंत्री ने संसद को बताया कि दिल्ली में नजफगढ़ ड्रेन के साथ वाली कॉलोनियों में भू-जल में लेड, यानि सीसा पाया गया है। यहां बता देना जरूरी है कि लेड युक्त प्रदूषित हवा से भी मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है।ऐसे में पेयजल में लेड होने पर इसके बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वहीं, दक्षिण-पश्चिमी जिले के भू-जल में कैडमियम पाया गया है। उत्तरी-पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली में भूमिगत पानी में क्रोमियम जैसे भारी तत्व पाए गए हैं। इन सभी तत्वों की मौजूदगी के चलते ऐसे पानी को पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इन खतरनाक रसायनों के अलावा दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली व पश्चिमी दिल्ली के भूमिगत जल में फ्लोराइड पाया गया है। पूर्वी दिल्ली, मध्य दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर पश्चिमी, दक्षिणी व दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली में के भू-जल में नाइट्रेट भी पाया गया है।
संसद में पेश इस जानकारी के मुताबिक दिल्ली के लगभग हर हिस्से में भूमिगत जल बहुत ज्यादा दूषित है व इसमें खतरनाक रसायन घुल चुके हैं। सुरक्षित स्तर से ज्यादा फ्लोराइड के इस्तेमाल से दांत और हड्डियों के खराब होने की आशंका उत्पन्न हो जाती है। वहीं, आर्सेनिक ऐसा तत्व है जो सीधे तंत्रिका तंत्र पर दुष्प्रभाव डालता है। नाईट्रेट से स्वांस के अलावा पाचन तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है। खतरनाक रसायन घुला यह पानी मुख्य रूप से अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले लोगों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। यहां पेयजल की समुचित व्यवस्था न होने के कारण लोग सीधे भूमिगत जल व टैंकर से सप्लाई होने वाले पानी पर निर्भर रहते हैं।
सरकार ने झाड़ा पल्ला
दूषित भूजल के मामले पर दिल्ली जल बोर्ड ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। जल बोर्ड के उपाध्यक्ष मतीन अहमद का कहना है कि भू-जल में ये तत्व पाए गए हैं। जबकि, जल बोर्ड पेयजल की सप्लाई अलग पाइपलाइनों से करता है। इसके अलावा, कभी भी लोगों को दूषित भू-जल के सेवन की सलाह नहीं दी गई है। कई बार ऐसे पानी को साफ करने के लिए उसमें दवा आदि भी मिलाई जाती है। यहीं नहीं, लोग भूमिगत जल का इस्तेमाल पीने के लिए न करें इसके लिए बोरिंग की इजाजत भी नहीं दी जाती।
विपक्ष का सरकार पर वार
विपक्ष ने इस मामले में सरकार को दोषी ठहराया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रो. विजय कुमार मलहोत्रा का कहना है कि दिल्ली में बीते 13 वर्षों से कांग्रेस की सरकार है, लेकिन इस सरकार ने साफ पेयजल के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए गए। अनधिकृत कालोनियों में वर्षों बाद भी पेयजल के लिए सरकारी कनेक्शन नहीं दिए गए हैं। इसी के चलते यहां की आधी आबादी जहरीला पानी या फिर टैंकरों से सप्लाई होने वाला दूषित पानी पीने को मजबूर है।
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