फिर होगी यमुना नदी के घाटों पर पानी लाने की कवायद

यमुना के घाटों तक पानी लाने की कवायदमुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इटावा में यमुना नदी की धारा को घाटों तक लाने के लिए एक बार फिर नए सिरे से कवायद की जाएगी। उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव के निर्देश पर इटावा सिंचाई विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है। अब यमुना नदी में इंतजार है तो सिर्फ वॉटर लेबल कम होने का। सिंचाई विभाग के अफसर इस माह जनवरी के आखिर सप्ताह में काम शुरू होने की संभावना जता रहे हैं। शुरुआती काम पूर्व में स्वीकृत 87 लाख रुपए में से बची धनराशि में होगा। बाद में जरूरत के हिसाब से इस्टीमेंट भेजकर शासन से बजट की मांग की जाएगी।

यमुना नदी को घाटों तक लाने के लिए कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के निर्देश के बाद मई 2013 में सिंचाई विभाग ने काम की शुरुआत की थी। उस समय 87 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया गया था। मई महीने में सिल्ट सफाई की गई। सिल्ट उठाई नहीं गई और बाढ़ ने उसी सिल्ट को वापस बहाकर उसी जगह पहुंचा दिया जहां से उसे निकाला गया था। सिंचाई विभाग के कारनामे को लेकर खबरें कई बार स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय अखबारों में प्रमुखता से छापा तो एक बार फिर कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव की निगाह इस प्रोजेक्ट पर गई।

इटावा सिंचाई विभाग के सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के निर्देश के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने फिर से यमुना को घाटों तक लाने की कवायद शुरू कर दी है। अधिकारी अब पुराने ही बजट से यमुना को घाटों तक लाने का काम कराएंगे। विभागीय अधिकारियों की मानें तो मौजूदा समय में यमुना का जलस्तर अधिक है। जनवरी के आखिर तक यमुना का जलस्तर उस प्वाइंट पर पहुंच जाएगा जिसका अधिकारी इंतजार कर रहे हैं। जलस्तर कम होते ही काम की शुरूआत नए सिरे से की जाएगी।

यमुना के घाटों तक पानी लाने की कवायदइटावा सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सेवाराम यादव का कहना है कि यमुना की धारा को घाटों तक लाने के लिए नए सिरे से कवायद की जाएगी। जनवरी के आखिरी तक यमुना जल में कमी होगी तभी काम शुरू होगा। पूर्व का जो बजट बचा है पहले उसे खर्च किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो और बजट की डिमांड की जाएगी।

उनका कहना है कि यमुना नदी के घाटों तक यमुना की धारा को लाने के लिए सिल्ट सफाई के बाद तीन ठोकरें बनाई जानी हैं। इसके साथ ही जीवो वेग भी लगाए जाने हैं। पूर्व में जीवो वेग के लगाने के लिए सिंचाई विभाग ने मुंबई के एक्सपर्ट को चयनित किया था। जानकारों की मानें तो यमुना की धारा को घाटों तक लाने के साथ ही जर्जर हो चुके घाटों की मरम्मत भी बेहद जरूरी है। प्राचीन घाट जर्जर और गिराऊ हालत में हैं। यमुना की धारा घाटों तक आती है तो सबसे पहली जरूरत घाटों की मरम्मत और सुंदरीकरण की है।

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