वायु प्रदूषण सीधे इंसान के फेफड़ों पर प्रहार करता है और सांस संबंधी बीमारियां इससे अधिक होती हैं। वायु प्रदूषण के कारण हृदयघात के मामले भी काफी बढ़ जाते हैं। इसकी विभीषिका का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में हर साल वायु प्रदूषण 12 लाख से अधिक लोगों की जान लेता है, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की है। विशेषकर 0 से 5 साल की उम्र तक के बच्चों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन एक अध्ययन में सामने आया कि वायु प्रदूषण के कारण हड्डियां भी कमजोर हो जाती है।
वायु प्रदूषण और हड्डियों के स्वास्थ्य के बीच संबंध जानने के लिए सीएचएआई प्रोजेक्ट के तहत भारत के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फाॅर ग्लोबल हेल्थ (आईएस ग्लोबल) की अगुवाई में 2009 से 2012 के बीच हैदराबाद के निकटवर्ती 28 गांवों के 3717 लोगों पर किया गया। इसके आंकड़ों का विश्लेषण 2019 में किया गया। शोधकर्ताओं ने एक माॅडल का उपयोग कर 2.5 पीएम या इससे छोटे कणों तथा ब्लैक कार्बन द्वारा बाहरी प्रदूषण का अनुमान लगाया गया। जिसे हड्डियों के घनत्व का मापने वाले एक विशेष प्रकार की रेडियाग्राफी का आंकलन करके जोड़ा गया। दरअसल इसके ड्यूल एनर्जी एक्स रे एब्जाॅर्बियोमेट्री कहा जाता है, जिसमे रीढ़ और बाएं कूल्हे की हड्डी का द्रव्यमान मापा जाता है। इससे शोधकर्ताओं को पता चला कि वायु प्रदूषण के कारण हड्डियों के निचले स्तर कमजोर हो जाते हैं। इस शोध को जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किया गया है।
यहां पढ़े पूरा अध्ययन - जामा नेटवर्क ओपन
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