फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट हेल्थ भी, वेल्थ भी

फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में कैरियर
फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में कैरियर

आमतौर पर यह समझा जाता है कि मेडिसिन की दुनिया डॉक्टरों, मरीजों के इलाज और दवाएं देने तक ही सीमित है लेकिन नहीं। मेडिसिन यानी फार्मास्युटिकल का क्षेत्र आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती इंडस्ट्री में से एक है। यही कारण है कि आज इसमें दवाओं के वितरण, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशंस, फार्मा मैनेजमेंट आदि में स्किल्ड लोगों की मांग में काफी तेजी आ गई है। भारत जैसी विशाल आबादी और बेरोजगारी वाले देश में यह क्षेत्र भी जॉब की दृष्टि से संभावनाओं से भरा हुआ है। यदि आपने बीएससी, बीफार्मा या डीफार्मा करके फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कर लिया, तो फिर राष्ट्रीय/बहुराष्ट्रीय कंपनियों में विभिन्न पदों पर नौकरियां बाहें पसारे खड़ी है। खास बात तो यह है कि इस फील्ड में आकर्षक वेतन भी मिल रहा है और प्रोग्रेस की संभावनाएं भी भरपूर हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग, लखनऊ के निदेशक प्रो. ऋषि मोहन कहते हैं कि सामान्य उत्पादों की मार्केटिंग के लिए जहां सीधे डीलर या कस्टमर से संपर्क करना होता है, वहीं दवाओं की मार्केटिंग में डॉक्टर एक अहम कड़ी होता है। सबसे पहले दवा की खूबियों के बारे में डाक्टरों को संतुष्ट करना जरूरी होता है, तभी वे इसे अपने मरीजों के प्रिस्क्रिप्शन में लिखते हैं। इसके अलावा डाक्टरों से संपर्क तथा दुकानों में दवा की उपलब्धता के बीच भी सामंजस्य बना कर चलना होता है। फार्मा मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करने के लिए मैनेजमेंट के साथ दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों एवं तकनीक का भी ज्ञान होना चाहिए। पहले दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों के विपणन के क्षेत्र में किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं समझी जाती थी। कोई भी विज्ञान स्नातक इस काम के लिए नियुक्त कर लिया जाता था। लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियों के आने के बाद प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण आज दवा कंपनियां मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव अथवा मार्केटिंग ऑफिसर के रूप में प्रशिक्षित लोगों को ही रखना चाहती हैं। इसी जरूरत को देखते हुए फार्मा मार्केटिंग कोर्स की शुरुआत की गई है।

 

 

फार्मा इंडस्ट्री में बूम


फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों से हर साल 8 से 10 प्रतिशत की गति से इजाफा हो रहा है। इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग 42 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है, जिसमें निर्यात भी शामिल है। भारत में फार्मास्युटिकल का विशाल बाजार देखते हुए विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियां इसमें काफी रुचि दिखा रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस समय भारत के मेडिसिन मार्केट के 75 प्रतिशत पर भारतीय कंपनियों का ही कब्जा है, जबकि शेष मात्र 25 प्रतिशत ही एमएनसीज के हाथ में हैं। वर्ष 2005 में देश की फार्मा इंडस्ट्री का कुल प्रोडक्शन करीब 8 बिलियन डॉलर का था, जिसके 2010 तक 25 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है। भारत में इस समय 23 हजार से भी अधिक रजिस्टर्ड फार्मास्युटिकल कंपनियां हैं, हालांकि इनमें से करीब 300 ही आर्गेनाइज्ड सेक्टर में हैं। एक अनुमान के अनुसार इस इंडस्ट्री में तकरीबन दो लाख लोगों को काम मिला हुआ है। फार्मा इंडस्ट्री की वर्तमान प्रगति को देखते हुए अगले कुछ वर्षों में इस इंडस्ट्री को दो से तीन गुना स्किल्ड लोगों की जरूरत होगी। भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स की अपार संभावना को देखते हुए मल्टीनेशनल कंपनियां यहां शोध व विकास गतिविधियों के लिए भारी निवेश कर रही हैं। उदाहरण के लिए आर एंड डी (शोध व विकास) पर वर्ष 2000 में जहां महज 320 करोड़ रुपए खर्च किए गए, वहीं 2005 में यह बढ़कर 1,500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इस संबंध में इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल दिलीप शाह का कहना है कि, भारी मात्रा में निवेश को देखते हुए स्वाभाविक रूप से फार्मा रिसर्च के लिए प्रति वर्ष एक हजार और साइंटिस्टों की जरूरत होगी। इस स्थिति को देखते हुए सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर विभिन्न संस्थानों द्वारा अनेक उपयोगी कोर्स चलाए जा रहे हैं।

 

 

 

 

कार्य और पद


मल्टीनेशनल कंपनियों के इस क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दक्ष लोगों की मांग में काफी तेजी आई है। पहले दवाओं व चिकित्सा उपकरणों के विपणन के लिए अनट्रेंड लोग भी रख लिए जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कंपनियां मार्केटिंग से लेकर टेक्निकल काम तक के लिए वेल-एजुकेटेड व ट्रेंड लोगों को ही प्राथमिकता दे रही हैं-चाहे वह आर एंड डी हो, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हो, मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव हो या फिर कोई और पद।

 

 

 

 

उपलब्ध कोर्स


भारत में पहले फार्मास्युटिकल की पढ़ाई गिने-चुने संस्थानों में ही होती थी, लेकिन तेजी से बढ़ते बाजार और ट्रेंड लोगों की मांग को पूरा करने के लिए अब कई संस्थानों में ऐसे कोर्सो की शुरुआत हो गई है। आज देश में 100 से अधिक संस्थानों में फार्मेसी में डिग्री कोर्स और 200 से अधिक संस्थानों में डिप्लोमा कोर्स चलाए जा रहे हैं। बारहवीं के बाद सीधे डिप्लोमा किया जा सकता है। कुछ कॉलेजों में फार्मेसी में फुलटाइम कोर्स संचालित हैं। फार्मा रिसर्च में स्पेशलाइजेशन के लिए एनआईपीईआर यानी नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फार्मा एजुकेशन एंड रिसर्च जैसे संस्थानों में प्रवेश ले सकते हैं। दिल्ली स्थित एपिक इंस्टीटयूट द्वारा फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स चलाया जा रहा है। इसमें बीएससी (केमिस्ट्री या बायोलॉजी के साथ), बीफार्मा या डीफार्मा कर चुके अभ्यर्थी प्रवेश के पात्र हैं। इस कोर्स के दो सत्रों में से पहले में फार्मास्युटिकल एवं मैनेजमेंट के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान कराया जाता है, जबकि दूसरे सत्र में स्पेशलाइजेशन के तीन विषयों-फार्मास्युटिकल सेल्स एंड मार्केटिंग मैनेजमेंट, फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट मैनेजमेंट तथा फार्मास्युटिकल प्रोडक्शन मैनेजमेंट में से किन्हीं दो विषयों का चयन करना होता है। इस कोर्स के तहत स्टूडेंट को मल्टी स्किलिंग ट्रेनिंग दी जाती है। कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा फार्मा मैनेजमेंट में एमबीए पाठयक्रमों की शुरुआत की गई है। इसकी अवधि दो वर्ष है तथा इसमें प्रवेश के लिए अभ्यर्थी को किसी भी स्ट्रीम से स्नातक होना चाहिए। एमबीए रेगुलर तथा पत्राचार दोनों तरीके से किया जा सकता है। जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली में मार्केटिंग में विशेषज्ञता के साथ एमफार्मा कोर्स भी उपलब्ध है। कुछ जगहों पर बीबीए (फार्मा मैनेजमेंट) कोर्स भी चलाया जा रहा है। यह तीन वर्षीय स्नातक कोर्स है, जिसमें छात्र 10+2 के बाद प्रवेश ले सकते हैं।

इसके साथ-साथ पीजी डिप्लोमा इन फार्मास्युटिकल एवं हेल्थ केयर मार्केटिंग, डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग, एडवांस डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग एवं पीजी डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग जैसे कोर्स भी संचालित किए जा रहे हैं। इन पाठयक्रमों की अवधि छह माह से एक वर्ष के बीच है। इन पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम योग्यता बीएससी, बीफार्मा अथवा डीफार्मा निर्धारित की गई है।

 

 

 

 

विषय की प्रकृति


फार्मा मैनेजमेंट पाठयक्रम में इसके अंतर्गत फार्मा सेलिंग, मेडिकल डिवाइस मार्केटिंग, फार्मा ड्यूरेशन मैनेजमेंट, फार्मा मार्केटिंग कम्युनिकेशन, क्वालिटी कंट्रोल मैनेजमेंट, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, फर्मास्युटिक्स, एनाटॉमी एवं मनोविज्ञान, प्रोडक्शन प्लानिंग, फार्माकोलॉजी इत्यादि विषय पढ़ाए जाते हैं। इन तकनीकी विषयों के अलावा व्यक्तित्व ड्रग डेवलपमेंट और कंप्यूटर की व्यावहारिक जानकारी भी दी जाती है।

 

 

 

 

जॉब संभावनाएं


दिल्ली स्थित एपिक इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ केयर स्टडीज के डायरेक्टर दीपक कुंवर का कहना है कि यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इसमें दक्ष युवा देशी-विदेशी कंपनियों में कई तरह के आकर्षक काम आसानी से पा सकते हैं, जैसे-बिजनेस एक्जीक्यूटिव व ऑफिसर, प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव आदि। दो से तीन वर्ष के अनुभव और मेहनत व लगन से काम करने के बाद एरिया मैनेजर, रीजनल मैनेजर, प्रोडक्ट डेवलपर के रूप में प्रॅमोशन पाया जा सकता है। दीपक का यह भी कहना है कि इस क्षेत्र में दक्ष लोगों की लगातार जरूरत को देखते हुए अधिकांश छात्रों को फार्मास्युटिकल कंपनियां कोर्स के दौरान ही आकर्षक वेतन पर नियुक्त कर लेती हैं। ऐसी कंपनियों में रेनबैक्सी, सिप्ला, ग्लैक्सो, कैडिला, डॉ. रेड्डीज, टॉरेंट, निकोलस पीरामल, पीफाइजर, जॉन्सन एंड जॉन्सन, आईपीसीए, पैनासिया बॉयोटेक आदि प्रमुख हैं। इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग, लखनऊ के प्रोफेसर ऋषि मोहन का कहना है कि इस क्षेत्र में प्लेसमेंट की स्थिति बहुत अच्छी है। प्रतिष्ठित कंपनियों द्वारा संस्थानों में सीधी नियुक्ति के लिए कैंपस इंटरव्यू भी आयोजित किए जाते हैं।

 

 

 

 

कमाई


प्रशिक्षित लोगों की मांग देखते हुए इस क्षेत्र में वेतन भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। रिसर्च और एंट्री लेवॅल पर सैलॅरी डेढ़ लाख रुपए वार्षिक मिलती है, जो 20 लाख प्रति वर्ष तक पहुंच सकती है। औषधि उत्पाद के क्षेत्र में भी यही स्थिति है। मार्केटिंग क्षेत्र में एक फ्रेशर को तीन-साढ़े तीन लाख वार्षिक मिल जाता है। दीपक कुंवर बताते हैं कि उनके यहां के स्टूडेंट्स को आरंभिक वेतन के रूप में 8 से 15 हजार रुपए तक आसानी से मिल जाता है।

 

 

 

 

प्रमुख संस्थान


एपिक इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ केयर स्टडीज डी-62 (प्रथम तल), साउथ एक्सटेंशन, पार्ट-1, नई दिल्ली-49, फोन : 011-24649994, 24649965
वेबसाइट : www.apicworld.com

इंस्टीटयूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, 15, आइडियल चेंबर, आइडियल कॉलोनी, प्लॉट न.-8, सीटीएस न.-831, पूना,
ई-मेल : iper@pn4.vsnl.net.in

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन, मोहाली, चंडीगढ-62 इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग 5/28, विकास नगर, लखनऊ, उ. प्र.
ई-मेल : iict@satyam.net.in

एसपी जैन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, मुंशी नगर, दादाभाई रोड, अंधेरी वेस्ट मुंबई,
ई-मेल : spjicom@spjimr.ernet.in

नरसी मुंजे इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज जेवीपीडी स्कीम, विले पार्ले, मुंबई-56
ई-मेल : enquiry@nmims.edu

जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बंगलूरू,
वेबसाइट : www.jncasr.ac.in

 

 

 

 

फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री पर एक नजर


फार्मा बिजनेस या दवा व्यवसाय आज विश्व के चौथे बड़े उद्योगों में से एक है।
विश्व व्यापार का 8 प्रतिशत हिस्सा इस उद्योग के अंतर्गत आता है।
वर्तमान में इस उद्योग का कुल कारोबार 10 बिलियन डॉलर है।
भारत का घरेलू फार्मास्युटिकल उद्योग 42 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है।
इसमें 8-10 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हो रही है।
वर्ष 2010 तक इसके 25 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
फार्मा मार्केटिंग के क्षेत्र में एक फ्रेशर को तीन से साढ़े तीन लाख रुपए का पैकेज मिल जाता है।

 

 

 

 

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