पीने योग्य जल

पीने योग्य जल,फोटो- flicker-Indiawaterportal
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प्रस्तावना

जल जीवन है, मनुष्य, पशु और पेड़-पौधे इसी पर जीवित रहते हैं। इसलिए सृष्टि के अस्तित्व के लिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल की उपलब्धता अनिवार्य है। यह जरूरी है कि मनुष्य जो पानी पिए वह अवांछित अशुद्धियों और नुकसानदेह रसायनिक यौगिक और जीवाणुओं से मुक्त हो । लोगों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए पीने योग्य जल की आपूर्ति की योजना बनाना जरूरी है। जल आपूर्ति की व्यवस्था इस प्रकार की जानी चाहिए कि विभिन्न प्रकार की आपदाओं से उत्पन्न आपात्कालीन स्थिति में भी इसकी आपूर्ति होती रहे।

किसी भी आपदा के बाद सबसे पहली जरूरत संकटग्रस्त लोगों के लिए पीने योग्य जल की व्यवस्था करना होता है। शुद्ध पीने योग्य जल उपलब्ध कराने से महामारी को फैलने से रोका जा सकता है। इस इकाई में हम जल आपूर्ति संबंधी जरूरतों और पानी से होने वाली कई बीमारियों का अध्ययन करेंगे।

जल आपूर्ति स्रोत और जल संसाधन

वर्षा, बर्फ, ओले आदि के रूप में वृष्टिपात सभी प्रकार के शुद्ध जल का आधारभूत स्रोत है। शुद्ध जल के विभिन्न स्रोतों के आधार पर जल प्रणालियों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

1) भूतल स्रोत

क) तालाब और झील

ख) झरने और नदियाँ

ग) जलाशय

2) उपभूतल / भूमिगत स्रोत

क) कुआँ और जलकूप

ख) सोता

जल आपूर्ति के भूतल स्रोतों में झीलों और तालाबों के पानी सर्वधा सुरक्षित माने जाते हैं। क्योंकि पानी के स्थिर रहने से गंदगी नीचे बैठ जाती है, परंतु पानी के लंबे समय तक स्थिर रहने से झीलों में शैवाल, अपतॄण और अन्य प्रकार की वनस्पतियां उग आती हैं। इससे पानी में दुर्गंध आने लगती है। इसका स्वाद खराब हो जाता है और पानी बदरंग हो जाता है। इसी प्रकार- नदियों का पानी सीधे पीने लायक नहीं होता क्योंकि इसमें गाद, रेत और अन्य ठोस पदार्थ घुले होते हैं। इस प्रकार के जल में खतरनाक जीवाणु और अवांछित रासायनिक पदार्थ भी घुले हो सकते हैं। नदियों में कूड़ा-कचरा और गंदा पानी डालने से नदियों का पानी अशुद्ध हो गया है अतः अधिकांश भूतल स्रोतों से प्राप्त पानी प्रदूषित हो गया है और इसे बिना शुद्ध किए हुए सीधे नहीं पिया जा सकता।

नदियों और झरने सार्वजनिक जल आपूर्ति प्रणालियों के प्रमुख स्रोत हैं। सदियों से नदियों मानव सभ्यताओं का पालन-पोषण करती आ रही हैं। इसी के कारण अधिकांश वर्तमान शहरी केंद्र नदियों के आस-पास विकसित हुए हैं क्योंकि इससे यहाँ के निवासियों को लगातार और नियमित जल की आपूर्ति होती रहती है। अधिकांश नदियों में पानी का बहाव हमेशा एक सा नहीं होता और यह अनेक कारकों जैसे मौसम पर निर्भर करता है। अतएव इस समस्या को सुलझाने पानी के नियमित जल की आपूर्ति के लिए नदी पर बाँध बनाकर मानसून के दौरान आपूर्ति के अतिरिक्त पानी को जमा किया जाता है। इस प्रकार के बांध से एक जलाशय का निर्माण हो जाता है। छोटे जलाशयों को कृत्रिम झील भी कहा जाता है।

वर्षा का पानी रिसकर जमीन के अंदर जाता है और जल के उपभूतल जल स्रोत का निर्माण होता है जमीन के अंदर जमा यह पानी जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत होता है। आमतौर पर जमीन के अंदर का पानी शुद्ध होता है क्योंकि रिसने की प्रक्रिया में यह प्राकृतिक रूप से छनता हुआ अंदर जाता है। इस प्रकार का पानी नुकसानदेह बैक्टीरिया  जीवाणु से तो मुक्त हो सकता है परंतु उस क्षेत्र के भूगर्भीय संरचना के कारण उसमें कार्बनिक और गैर-कार्बनिक यौगिक घुले हो सकते हैं। जमीन के नीचे से पानी या तो स्वाभाविक रूप से सोते के अंदर से फूटता है या कुआँ, नलकूप आदि खोदकर जमीन के अंदर से पानी निकाला जाता है।

तालिका 1 में पानी के स्रोतों में होने वाले संभावित प्रदूषण और इसके सुधार के उपायों का उल्लेख किया जा सकता है।

स्रोत : गाइड दू सिम्पल मेजर्स फॉर द कंट्रोल ऑफ एण्टायर डिजेजेज- डब्लयू. एच, ओ जीनेवा, 974 पर आधारित।
स्रोत : गाइड दू सिम्पल मेजर्स फॉर द कंट्रोल ऑफ एण्टायर डिजेजेज- डब्लयू. एच, ओजीनेवा, 974 पर आधारित।

बोध प्रश्न 1

नोट : i) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।

ii) इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर मिलाइए।

1)  जल आपूर्ति के स्रोतों का उल्लेख कीजिए। 

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2) जल स्रोतों में प्रदूषण हटाने के विभिन्न उपाय बताइए।

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पीने योग्य जल का शुद्धिकरण 

सुरक्षित पीने योग्य जल की आपूर्ति के लिए जल के स्रोत का समुचित चयन और सुरक्षा अत्याधिक महत्त्वपूर्ण है। प्रदूषित जल को साफ करने से बेहतर होता है कि जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाया जाए। जल आपूर्ति स्रोतों के चयन से पहले जल की संतोषजनक गुणवत्ता और मात्रा पर विचार कर लेना जरूरी होता है। पानी के स्रोतों को मनुष्य की गतिविधियों से बचाना चाहिए जो पानी को प्रदूषित करते हैं। जल स्रोत के आसपास खनन उत्खनन, खतरनाक मलबा, खेतों में उर्वरकों और कीटनाशक दवाइयों का उपयोग और मल त्याग आदि प्रतिबंधित होना चाहिए। व्यवहार में नदी जैसे स्रोतों को सुरक्षित रख पाना कठिन है परंतु नदी के जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए उसे प्रदूषण के इन विभिन्न स्रोतों और गतिविधियों से बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। 

लोगों को पीने का पानी वितरित करने से पहले इसकी सफाई अवश्य कर लेनी चाहिए। पानी की सफाई कितनी और किस प्रकार की जानी है यह बहुत कुछ जल के स्रोत और अपरिष्कृत पानी की प्रकृति पर निर्भर करता है।

पानी की सफाई करने का एकमात्र उद्देश्य लोगों को पानी में छिपी अशुद्धियों से बचाना है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। शहरों में पानी की आपूर्ति के पहले पानी को साफ करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है।

1) पूर्व विसंक्रमण (Pre-Treatment)

2) पानी जमा करके गंदगी नीचे बिठाना (Sedimentation aided with coagulation)

3) पानी का छानना (Filteration)

4) पानी को विसंक्रमित करना (Disinfection)

पूर्व विसंक्रमण

सबसे पहले नदी के पानी को जमा कर उसको विसंक्रमित किया जाता है। पानी को एक जगह जमा करने से ठोस और भारी गंदगियां नीचे बैठ जाती है। जब पानी झील या जलाशय में जमा होता है और उस पर सूर्य की किरणें पड़ती है तो पानी की सूक्ष्म जैविक गुणवत्ता बेहतर होती है जब पानी को बिना इकट्ठा किए हुए साफ करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है तो इसमें पूर्व-विसंक्रमण प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया में नुकसानदेह जीवाणु मर जाते हैं या कम हो जाते हैं। इस प्रक्रिया से पानी में अमोनिया की मात्रा भी कम हो जाती है।

पानी जमा करके गंदगी नीचे बिठाना

टैंको में पानी जमा करने से मिट्टी के छोटे घुलनशील अवयव तल में नहीं बैठ पाते हैं। इन अवयवों का आकार बड़ा करके आसानी से तल में बिठाया जा सकता है। इस उद्देश्य से एलुमिनियम सल्फेट, फेरिक या फेरस सल्फेट और फेरिक क्लोराइड जैसे रासायनिक यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। इन यौगिकों को आमतौर पर स्कंदन के रूप में जाना जाता है जिनके मिलाने से रासायनिक प्रक्रिया शुरू होती है और पानी में घुले हुए पदार्थ तल में बैठ जाते हैं। इस प्रक्रिया में मिट्टी के अति घुलनशील छोटे-छोटे कण और खनिज भी पानी के तल में जाकर बैठ जाते हैं इसके कारण पानी में काफी कम अशुद्धि रह जाती है और खतरनाक जीवाणु भी कम हो जाते हैं रासायनिक पदार्थों के मिलाने से इस प्रक्रिया को स्कंदन 1 (कोएग्युलेशन) कहते हैं। स्कंदित जल को टैंकों में जमा किया जाता है और अशुद्ध पदार्थों के नीचे बैठ जाने के बाद आगे की प्रक्रिया आरंभ होती हैं।

पानी को छानना

स्कंदित प्रक्रिया के द्वारा पानी के शुद्धिकरण के बावजूद इसमें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कुछ परिष्कृत घुलनशील पदार्थ मौजूद रह सकते हैं। पानी में बची हुई अशुद्धि को हटाने और पानी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पानी को रेत जैसे सूक्ष्म छाननों से गुजारा जाता है। इन पदार्थों से पानी को गुजारने की प्रक्रिया को छानना कहते हैं और इन पदार्थों को छन्नक छानने के इस प्रक्रिया से रंग, स्वाद, गदलापन, रोगजनक कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। 

पानी को विसंक्रमित करना

विसंक्रमण की प्रक्रिया के द्वारा सूक्ष्म जैविक जीवाणुओं को भौतिक या रासायनिक प्रक्रिया से समाप्त किया जाता है और आमतौर पर पानी को साफ करने का यह अंतिम चरण होता है। आमतौर पर पानी में कुछ सक्रिय संक्रमित पदार्थ मौजूद रहते हैं जिससे वितरण के दौरान पानी और भी प्रदूषित हो जाता है। दुनिया भर में पानी को विसंक्रमित करने के लिए सबसे ज्यादा क्लोरिन का इस्तेमाल किया जाता है जो विश्वसनीय और सुलभ है। पानी के विसंक्रमण के लिए क्लोरिनेशन शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है। क्लोरिन का प्रयोग करते समय कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए ताकि इसका निषेधात्मक प्रभाव न पड़े। विसंक्रमण की अन्य प्रचलित प्रविधियाँ इस प्रकार हैं :-

  • पानी उबालना
  • चूने से साफ करना
  • ओजोन से साफ करना
  • आयोडिन और ब्रोमाइन से साफ करना
  • अल्ट्रा व्यालेट किरणों से साफ करना
  • पोटेशियम परमैंगनेट से साफ करना
  • क्लोराइनेशन से विसंक्रमण ।

पानी को विसंक्रमित करने के लिए क्लोरिन की मात्रा का निर्धारण पानी की गुणवत्ता, मात्रा और अवधि (अर्थात् पानी से क्लोरिन कितने देर के लिए छोड़ा जाता है) पर निर्भर करता है। हालांकि पानी से ज्यादा क्लोरिन मिला देने से पानी का स्वाद खराब हो जाता है। पानी में क्लोरिन की मात्रा का निर्धारण करने के लिए पहले से जाँच कर लेनी चाहिए। इसके लिए पानी में 20 मिनट तक क्लोरिन को छोड़कर यह जांचना चाहिए कि इसमें मात्रा 0.1-0.2/1 मिलीग्राम प्रतिलीटर हो । विसंक्रमण के लिए प्रयुक्त क्लोरिन निम्नलिखत रूपों में पानी में डाला जा सकता है।

1) तरल या गैस के रूप में

2) बिल्डिंग पाउडर के रूप में

3) क्लोरोमाइन के रूप में

4) क्लोरिन डायोक्साइड के रूप में 

आपदा स्थितियों में जल आपूर्ति

बेहतर स्वास्थ्य और लोगों के खुशहाल जीवन के लिए सुरक्षित, साफ और स्वच्छ जल की पर्याप्त आपूर्ति आवश्यक है। पीने योग्य जल और जल-मल निकास व्यवस्था के चरमराने से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। आपदाओं के दौरान जल की आपूर्ति बाधित होने की पूरी आशंका होती है। भूकम्प, बाढ़ और चक्रवात आने से गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है। इसलिए प्राकृतिक या मानवकृत आपदाओं से पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन कार्य योजना विकसित की जानी चाहिए। आपात्कालीन कार्य योजनाओं में निम्नलिखित पक्ष शामिल होने चाहिए:

  • सुरक्षित जल आपूर्ति के लिए संयोजन संबंधी कार्य 
  • पानी का उपयोग करने वाले लोगों को सचेत और सूचित करने की संचार योजना
  • आपातकाल के दौरान पानी की आपूर्ति की विस्तृत योजना

किसी आपदा के कारण यदि लोगों को बड़े पैमाने पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर बसाया जाता है तो उस समय सुरक्षित और साफ पानी की व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक होता है। प्रभावित लोगों की आपात्कालीन जरूरतों का मूल्यांकन करने से पहले कई व्यावहारिक और सामाजिक पहलुओं का ध्यान रखना चाहिए जैसे

  • लोगों की संख्या जिन्हें पानी उपलब्ध कराना है।
  • पीने, खाना बनाने और अन्य नित्य कर्मों के लिए प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति कम से कम 15 से 20 लीटर पानी के हिसाब से जल का निर्धारण करना
  • उपलब्ध पानी की गुणवत्ता और प्रदूषण का स्तर
  • पानी का समीपस्थ स्रोत
क) शहरी जल आपूर्ति:-   

यदि किसी आपदा से कोई शहर प्रभावित होता है और उससे जल व्यवस्था बाधित होती है तो सबसे पहले इस आपूर्ति को फिर से बहाल करने की कोशिश की जानी चाहिए। क्षतिग्रस्त अंशों की जल्द से जल्द मरम्मत करनी चाहिए और आपूर्ति जल्द से जल्द बहाल करनी चाहिए। आपदा के बाद पानी का दबाव और क्लोरिन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए ताकि प्रदूषित जल से पीने योग्य जल प्रदूषित न हो। यदि आपदा के दौरान कोई जल परिशोधन संयंत्र प्रभावित होता है तो इसकी जल्द से जल्द मरम्मत की जानी चाहिए और इसे चालू करने से पहले विसंक्रमित किया जाना चाहिए।

ख) भूमिगत स्रोत :- 

भूमिगत स्रोत आमतौर पर प्रदूषण से मुक्त होते हैं और इसकी सफाई की जरूरत नहीं होती। जहाँ पानी के स्रोत के रूप में झरनों का इस्तेमाल किया जाता है वहाँ भूकम्प के दौरान पानी की गुणवत्ता में परिवर्तन आ सकता है। इसलिए आपूर्ति फिर से बहाल किए जाने से पहले इस पानी की जांच कर लेनी चाहिए जहाँ कुआँ पानी का स्रोत होता है, वहाँ से शौच आदि जैसे प्रदूषण के स्रोत कम से कम 30 मीटर दूर और ऊँची भूमि पर स्थित होने चाहिए। कुएँ पूरी तरह से ढके होने चाहिए। अतिरिक्त सावधानी के लिए पीने के पानी को उपयोग में लाने से पहले उबाल लेना चाहिए या विसंक्रमित कर देना चाहिए।

ग) भूतल जल:-

भूतल जल को पानी का स्रोत बनाना अंतिम उपाय होना चाहिए। मिट्टी सने, रंगीन, प्रदूषित जल का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए। इस स्रोत से लिए पानी को पीने से पहले उबाल लेना चाहिए और विसंक्रमित कर देना चाहिए। इसके लिए अस्थायी तौर पर चलता फिरता जल परिशोधन चल संयंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। इस चल संयंत्र को ट्रैक पर रखना चाहिए जिसमें पानी साफ करने के सभी प्रकार की इकाईयाँ शामिल हो जैसे रेत छनन इकाई, रसायन घोल, टैंक, क्लोरीन घोल आदि ।

आपदा स्थितियों में जल संग्रहण

आपदा स्थिति में कैनवास, रबरयुक्त, नायलॉन और प्लास्टिक के बर्तनों में पानी इकट्ठा कर लेना चाहिए। गड्ढा खोदकर और उसमें उसी आकार का एक प्लास्टिक बैग रखकर भी पानी इकट्ठा किया जा सकता है। इसमें इतना पानी भरा जाना चाहिए कि इसमें 24 घंटे की आवश्यकता पूरी हो सके। ड्रम, लोहे और लकड़ी के खंभों का उपयोग कर ऊँचे स्थानों पर अस्थायी जल की टंकियाँ बनाई जा सकती हैं सभी आपात्कालीन कैम्पों में पानी की सभी कियों को धूल और अन्य संक्रमण से बचाने के लिए ढककर रखना चाहिए। इन टकियों के आसपास सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए।

पानी का वितरण

आपातकालीन स्थितियों में आमतौर पर टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा सकती है। परिवारों को तथा समुदायों को पानी इकट्ठा करने के लिए पानी की टंकियाँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए। पानी को वितरित करने के लिए भेजने से पहले की गुणवत्ता की जांच कर लेनी चाहिए।

लम्बे समय तक रहने वाले कैम्पों में जल आपूर्ति के लिए नल की व्यवस्था की जानी चाहिए। 

बोध प्रश्न 1

नोट: i) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए। 
ii) इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर मिलाइए।

1) जल को साफ करने की प्रमुख विधियों क्या हैं?

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2) जल को विसंक्रमित करने के विभिन्न तरीकों का विवरण दीजिए ।

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सारांश

आपदा के पहले और बाद पानी की आपूर्ति बहाल करने और इसकी गुणवत्ता की जाँच करने का प्रयास करना चाहिए। पानी की सफाई की जाँच करने के लिए पानी का पूर्व संक्रमण, विसंक्रमण करने की विधियों अपनाई जाती है पानी में क्लोरिन डालकर साफ करना एक सर्व  प्रचलित तरीका है। बाधित जल आपूर्ति को जल्द से जल्द बहाल करना चाहिए और इसके बहाल हो जाने पर सुरक्षित जल के वैकल्पिक स्रोतों का विकास और उपयोग किया जाना चाहिए।

बोध प्रश्नों के उत्तर

बोध प्रश्न 1

1) आपके उत्तर में निम्नलिखित बातें शामिल होनी चाहिए : 

  • सतही स्रोत तालाब, झीलें, धाराएँ, नदियाँ, जलाशय । 
  •  उप-सतही अथवा भूमिगत स्रोत कुएँ, ट्यूबवैल, झरने ।

क्षेत्र का धुला कीटाणुयुक्त संरक्षण, यथा संभव जल स्रोत को ढकना, बुहानों पर आपत्कालीन क्लोरीनीकरण तथा नियामक उपाय आदि कुछ सर्वमान्य तरीके हैं।

बोध प्रश्न 2

i) आपके उत्तर में निम्नलिखित बातें शामिल होनी चाहिए :

  •  पूर्वापचार अथवा
  •  स्कंदन के साथ तलछटन
  •  निधारण
  •  विसंक्रमण

ii)  आपके उत्तर में निम्नलिखित बातें शामिल होनी चाहिए:

  •  क्लोरीनीकरण
  • उबालना
  •  चूने से उपचार
  • ओजोन गैस से उपचार
  •  पराबैंगनी किरणों से उपचार
  • पोटैशियम परमैंगनेट से उपचार।
  • सामुदायिक स्वास्थ्य और हताहत प्रबंधन


 

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Post By: Shivendra
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