केन एवं बेतवा नदी गंगा नदी घाटी की प्रमुख उत्तर प्रवाही नदियां है। बुंदेलखंड क्षेत्र की जीवनदायनी मानी जाने वाली इन नदियों पर आज संकट आ खड़ा हुआ है। भारत सरकर की देश भर की नदियों को आपस में जोड़ने की योजना के तहत केन एवं बेतवा नदियों को भी आपस में जोड़ने की योजना है। केन-बेतवा नदीजोड़ योजना पर शायद सबसे पहले अमलीकरण प्रस्तावित है। जबसे इस परियोजना के बारे में नदियों को जोड़ने के लिए बने कार्यदल की सबसे पहली बैठक फरवरी 2003 में चर्चा हुई थी तभी से केन-बेतवा नदीजोड़ पर बुंदेलखंड के लोगों की प्रतिक्रियाएं बढ़नी शुरू हुईं। केन एवं बेतवा के बारे में लोगों का विरोध धीरे-धीरे यह एक आन्दोलन का स्वरूप लेता नजर आ रहा है।
माना तो यह भी जा रहा है कि नदीजोड़ योजना के माध्यम से देश भर में नदियों एवं प्राकृतिक संसाधनों के निजीकरण की व्यापक कोशिश की जा रही है। सैण्ड्रप ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यशालाओं के माध्यम से इस विषय पर व्यापक व खुली चर्चा भी आयोजित की। सैण्ड्रप द्वारा प्रकाशित “डैम्स, रिवर्स एंड पिपुल”में इस मुद्दे पर बहस एवं जानकारियों की श्रृंखला जारी है। इसी के तहत व्यवहार्यता, आवश्यकता, उपयोगिता आदि कसौटी के आधार पर केन-बेतवा नदीजोड़ योजना को परखने की कोशिश सैण्ड्रप ने की। वैसे तो भारत में प्रस्तावित नदीजोड़ योजना के बारे में बहुत कम अर्थात नगण्य दस्तावेज मौजूद हैं। फिर भी सीमित दस्तावेजों के आधार पर सैण्ड्रप ने केन-बेतवा नदीजोड़ योजना का विश्लेषण किया। सबसे पहले यह विश्लेषण “डैम्स, रिवर्स एंड पिपुल” में अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था। स्थानीय हिंदी भाषी लोगों की आवश्यकता को ध्यान रखते हुए सैण्ड्रप ने इसे हिंदी में अनुवाद किया है। परियोजना के विश्लेषण के साथ-साथ इस योजना के बारे में की गई प्रमुख टिप्पणियों एवं जारी गतिविधियों को भी सेटने का प्रयास इस पुस्तिका में किया गया है।
केन-बेतवा नदीजोड़ (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) | |
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प्रस्तुत पुस्तिका केन-बेतवा नदीजोड़ योजना को समझने का आधार है। देश भर में प्रस्तावित नदीजोड़ योजना का एक प्रतिबिंब भी इस विश्लेषण के माध्यम से नजर आता है। सैन्ड्रप की कोशिश है कि देश के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक आम बहस प्रारम्भ हो।
इस पुस्तक के प्रकाशन में जिनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग हासिल हुआ है वे हैं- विज्ञान शिक्षा केंद्र, बांदा के डॉ. भारतेंदु प्रकाश, नवदान्य की डॉ. वन्दना शिवा व उनके सहयोगी गुंजन मिश्र एवं बांदा के पूर्व विधायक प्रों. चंद्र प्रकाश शर्मा। इन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र में इस मुद्दे पर जनजागरण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके अलावा इस पुस्तक में इनके विचार व विश्लेषण भी शामिल किये गये हैं।
इस पुस्तक का विषय क्रम निम्नवत हैं:-
1. केन-वेतवा नदीजोड़ योजना क्यों असंभव हैं?
2. केन नदीघाटी
3. केन नदी पर कुछ मौजूदा बड़ी परियोजनाएं
4. बेतवा नदीघाटी
5. बेतवा नदी पर कुछ मौजूदा प्रमुख परियोजनाएं
6. बेतवा नदीघाटी में प्रस्तावित परियोजनाएं
7. नदीजोड़ प्रस्ताव
8. केन-बेतवा नदीजोड़ में प्रस्तावित बांध
9. केन एवं बेतवा नदीघाटी में सतही जल संतुलन
10. असंतुलित जल संतुलन आंकलन
11. पर्यावरणीय प्रभाव
12. केन एवं बेतवा नदी घाटी में संभावित असर
13. क्षेत्र में अन्य परियोजनाएं
14. बुंदलेखंड एवं आस-पास के क्षेत्र में वर्षा एवं भूजल क्षमता
15. केन एवं बेतवा नदीघाटी में विभिन्न लघु सिंचाई माध्यमों से सकल सिंचाई
16. केन-बेतवा नदीजोड़ योजना पर संबंधित राज्य सरकारों की टिप्पणियां
17. विनाशकारी होगा केन-बेतवा नदीजोड़ : डॉ. भारतेंदु प्रकाश
18. केन-बेतवा नदीजोड़ योजना का बुंदेलखंड जल संसद द्वारा विरोध-बिपिन चंद्र
19. विरोध में उठते स्वर एवं प्रतिक्रियाएं
20. नदीजोड़ योजना से संबंधित कुछ उपयोगी संसाधन
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