पुराने टायर-ट्यूब से बनेंगे जूते-चप्पल

टायर बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) के साथ मिलकर पुराने टायरों एवं ट्यूबों से चप्पल, जूते एवं अन्य उत्पाद बनाने के कार्यक्रम ‘सोल्स विद सोल’ की मंगलवार को शुरुआत की। कंपनी के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रघुपति सिंघानिया ने यहां इसका शुभारंभ करते हुए बताया कि बेकार एवं पुराने टायर एवं ट्यूबों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम शुरु किया गया है। इसे शुरु करने के लिए एफडीडीआई के 20 छात्रों का दल बनाया गया, जिसने चप्पल, जूते, बैग और बेल्ट ओद के डिजाइन तैयार किये और उन्हें मूर्त रूप दिया। कंपनी का यह कार्यक्रम अन्य कंपनियों के लिए मॉडल के तौर पर काम करेगा। इन उत्पादों के व्यावसायिक उत्पादन की संभावना है और इस पर विचार किया जा सकता है।

वर्तमान में इनसे निर्मित उत्पादों की बिक्री से प्राप्त होने वाली आय को इस कार्यक्रम के विस्तार पर व्यय किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में भारतीय सड़कों पर करीब 3.3 करोड़ वाहन उतरे हैं, जिनमें 8.8 करोड़ टायर लगाये गये हैं। इन टायरों के बेकार एवं पुराने होने पर यह पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाला होगा, लेकिन इन टायरों के निर्माण में इस्तेमाल रबड़ का दोबारा नये उत्पाद तैयार करने के लिहाज से देश में काफी संभावनाएं हैं। इस दौरान हुए फ़ैशन शो में पुराने टायर एवं ट्यूब से निर्मित 40 उत्पाद प्रदर्शित किये गये, जिनमें ऑफीस वियर से लेकर कैजुअल वियर तक शामिल थे।एफडीडीआई के प्रबंध निदेशक राजीव लाखड़ा ने कहा कि इस परिकल्पना से उनके छात्रों को नया आयाम मिला है और इसके माध्यम से बेकार पुराने टायर एवं ट्यूबों के रूप में भारी मात्रा में उपलब्ध रबड़ को री-साइकिल करने में कामयाब रहे हैं। यह कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर क्रांति ला सकता है और आगामी पृथ्वी दिवस के संदर्भ में काफी उपयोगी है।
 

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