पुण्य के काम में राजनीति का रोड़ा कहाँ तक उचित


केन्द्र और राज्य सरकार की इस रार का परिणाम यह निकला कि सूखे और पानी के संकट से जूझ रहे बुन्देलखण्ड के लिये भेजी गई केन्द्र की वाटर एक्सप्रेस ट्रेन को राज्य सरकार ने लेने से ही इनकार कर दिया। ट्रेन बुधवार शाम से झाँसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी है। यूपी सरकार ने महोबा के डीएम को निर्देश दिया है कि वो रेलवे को सूचित करें कि उन्हें पानी की ट्रेन नहीं चाहिए। वहीं यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने रेल मंत्रालय को भेजे गए एक पत्र में लिखा है कि हमारे यहाँ लातूर जैसी कोई समस्या नहीं है। अगर हमें पानी की जरूरत होगी तो रेलवे को सूचित करेंगे। भारतीय लोक परम्परा में हमेशा से ही गर्मियों में प्यासे को पानी पिलाना पुण्य कार्य माना गया है। मौजूदा शासन व्यवस्था के नजरिए से बात करें तो हर नागरिक को पानी मुहैया कराना सरकार की अहम जिम्मेदारियों में से एक है। लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड के लोगों के लिये ट्रेन से पानी भेजने और यूपी सरकार द्वारा उसे लौटाने की घटना को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। न तो लोक परम्परा के लिहाज से और न ही सुशासन के नजरिए से।

सभी जानते हैं कि बुन्देलखण्ड देश के उन इलाकों में से एक है, जहाँ हमेशा पानी की किल्लत रहती है। इस समय भी वहाँ के हालात चिन्ताजनक हैं। केन्द्र सरकार ने इस समस्या की सुध ली और ट्रेन से बुन्देलखण्ड तक पानी पहुँचा दिया, लेकिन यूपी सरकार ने अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पानी लेने से इनकार कर दिया। सपा की अखिलेश यादव सरकार ने साफ कह दिया कि केन्द्र की यह सौगात किसी भी मायने में अच्छी नहीं है।

इसके पीछे सपा सरकार ने तर्क दिया है कि प्रदेश में उनकी सरकार है और पेयजल समस्या राज्य का विषय है। इसलिये ये काम प्रदेश सरकार को ही करने दिया जाये। प्रदेश सरकार ने पानी के टैंकरों की खरीद, तालाबों को पुनर्जीवित करने और नए तालाबों का निर्माण करने के सम्बन्ध में केन्द्र को प्रस्ताव भेजे थे। उस प्रस्ताव पर विचार करने के बजाय केन्द्र ने सीधे पानी बुन्देलखण्ड भेज दिया। यह राज्य के मामलों में सीधा हस्तक्षेप है।

बताया जा रहा है कि चूँकि पानी का वितरण केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के नेतृत्व में होना था और वो झाँसी से सांसद भी हैं, इसलिये यूपी सरकार को केन्द्र का यह रवैया अच्छा नहीं लगा। क्योंकि विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा इसका लाभ उठाती। यही वजह है कि सपा सरकार केन्द्र पर पानी को लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। दूसरी तरफ केन्द्र का कहना है कि बुन्देलखण्ड में पेयजल की गम्भीर समस्या है, इसलिये लोगों को तत्काल राहत दिलाने के लिये पानी भेजा गया।

केन्द्र और राज्य सरकार की इस रार का परिणाम यह निकला कि सूखे और पानी के संकट से जूझ रहे बुन्देलखण्ड के लिये भेजी गई केन्द्र की वाटर एक्सप्रेस ट्रेन को राज्य सरकार ने लेने से ही इनकार कर दिया। ट्रेन बुधवार शाम से झाँसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी है। यूपी सरकार ने महोबा के डीएम को निर्देश दिया है कि वो रेलवे को सूचित करें कि उन्हें पानी की ट्रेन नहीं चाहिए।

वहीं यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने रेल मंत्रालय को भेजे गए एक पत्र में लिखा है कि हमारे यहाँ लातूर जैसी कोई समस्या नहीं है। अगर हमें पानी की जरूरत होगी तो रेलवे को सूचित करेंगे।

इस मसले पर कांग्रेस भी पीछे नहीं रही। पार्टी के सांसद राज बब्बर ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण ठहराते हुए कहा कि पानी पर राजनीति करना उचित नहीं है। जनता तक पानी न पहुँचने देना पाप है।

इन सबका जवाब केन्द्र की तरफ से सबसे पहले जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने दिया है। उमा भारती बुन्देलखण्ड में ही आने वाली झाँसी सीट से सांसद हैं। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड में लोग भूखे-प्यासे हैं और जानवर पानी न मिलने से मर रहे हैं। ऐसे में यूपी सरकार घमण्ड न दिखाए। या तो लोगों को पानी दें या हमारा पानी उन तक पहुँचाएँ। इस मुद्दे पर पीएम मोदी ने सात मई को एक बैठक बुलाई है, जिसमें समस्या पर मंथन होना है। दूसरी तरफ पानी को लेकर सियासत जारी है, जिसे जनता के हित में कतई उचित नहीं कहा जा सकता।

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Post By: RuralWater
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