अजोला जल से मुक्त रूप से तैरने वाला एक जलीय फर्न एवं सुंदर बारीक पत्तियों वाला पौधा है। अजोला तालाबों, पानी के गड्ढों और नम-गर्म उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे लगभग 25-50 प्रतिशत प्रकाश की आवश्यकता होती है। यह जल की उपलब्धता के प्रति बहुत ही संवेदनशील है और जल के बिना पनप नहीं सकता। इसके प्रजनन और विकास के लिए सर्वोत्तम तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेड की आवश्यकता होती है तथा सापेक्षिक आर्द्रता 95-90 प्रतिशत अच्छी मानी जाती है। इसका सर्वोत्तम पीएच मान 5-7 है। अजोला जल से ही आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करता है।
तालाब का चयन
आवश्यक देखभाल के लिए अजोला के लिए घर के निकट के तालाब का चयन करना बेहतर होता है। नियमित जल की आपूर्ति करना आवश्यक है। जिस स्थान पर तालाब का चयन किया हो, वहाँ पर आंशिक सूर्य प्रकाश का रहना बेहतर पैदावार सुनिश्चित करेगा अन्यथा छांव प्रदान करनी होगी। इससे न केवल जल का वाष्पीकरण कम होगा, बल्कि अजोला की उपज भी बढ़ेगी।
तालाब का आकार और निर्माण
तालाब का आकार पशुओं की संख्या पर निर्भर करेगा। छोटे पशुधारकों के लिए प्रतिदिन 0.7 किग्रा. से अधिक पूरक चारा उत्पादन करने के लिए अजोला की खेती के लिए 6 बाय 4 फीट का क्षेत्र पर्याप्त है। चयनित क्षेत्र पूरी तरह समतल होना चाहिए। तालाब की दीवारों को या तो ईंटों से या खुदाई की मिट्टी के साथ बनाया जा सकता है। तालाब में टिकाऊ प्लास्टिक शीट बिछाने के बाद दीवारों पर ईंट रखकर सभी दीवारों को सुरक्षित किया जाना चाहिए। पानी के रिसाव को रोकने के लिए छेद या दरार नहीं होनी चाहिए तथा तालाब को शुद्ध जालीदार आवरण से ढक देना चाहिए। इससे आंशिक छाया प्रदान हो सके और तालाब में पत्तियाँ और अन्य मलबा रुक सके।
रेडीमेड एचडीपीई या पीवीसी से बना तालाब
ये तालाब विभिन्न आकारों जैसे 10 बाय 3, 15 बाय 3, 20 बाय 3 फीट आदि में आते हैं। किसान अपने पास उपलब्ध पशुओं की संख्या और अजोला की दैनिक आवश्यकता के आधार पर तालाब का आकार चुन सकते हैं, जो उन्हें खिलाने के लिए प्रतिदिन चाहिए। 20 बाय 3 फीट के तालाब से प्रतिदिन लगभग 2 किग्रा. ताजा अजोला का उत्पादन किया जा सकता है। ये एचडीपीई तालाब पॉलिथीन शीट से बने तालाबों की तुलना में लम्बे समय तक चलते हैं।
अजोला उत्पादन
उपजाऊ मिश्रित मिट्टी के साथ गोबर और पानी को समान रूप से मिलाकर तालाब में समान रूप से फैलाने की जरूरत होती है। 6 बाय 4 फीट आकार के एक तालाब के लिए यह आवश्यक है। यह समान रूप से समूचे तालाब में दिया जाना चाहिए। तालाब में पानी की गहराई 4-6 इंच होनी चाहिए। तालाब की सतह भी समतल होनी चाहिए जिससे पूरे तालाब क्षेत्र में पानी की गहराई समान रहे। मानसून के मौसम के दौरान बारिश के पानी का संचयन छत आदि से किया जा सकता है। अजोला की खेती के लिए यह संचित जल का इस्तेमाल किया जाए, तो यह एक उत्कृष्ट और तीव्र विकास सुनिश्चित करेगा।
तालाब का रखरखाव
एक किग्रा. गोबर और 100 ग्राम सुपर फॉस्फेट को तालाब में 15 दिनों में एक बार प्रयोग करने से अजोला का बेहतर विकास होगा। तालाब को छह महीने में एक बार खाली कर दिया जाना चाहिए। अधिक अजोला को खेतों में भी उपयोग कर सकते हैं।
अजोला की निकासी
तीन सप्ताह के समय में अजोला की पैदावार पूरी हो जाती है। पूर्ण विकास के बाद इसे दैनिक तौर पर निकाला जा सकता है। अजोला के अधिक उत्पादन की स्थिति में इसे छाया में सुखाया जा सकता है। इसे सुरक्षित रूप से भविष्य में इस्तेमाल के लिए संरक्षित किया जा सकता है। एनएआईपी आजीविका परियोजना के तहत कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के विभिन्न गाँवों के 100 से अधिक डेयरी किसानों के पशुओं को खिलाए जाने वाले अध्ययन में अजोला प्रतिदिन औसतन (ताजा वजन) 700 ग्राम प्रति गाय को खिलाने से मासिक दुग्ध उत्पादन में सुधार होकर 10 लीटर प्रतिदिन का उत्पादन गाय से प्राप्त हुआ है। इसके स्वाद से रूबरू होने के लिए जानवरों को कुछ दिन लग जाते हैं। बेहतर उपयोग के लिए प्रारम्भिक चरणों में दानों को अच्छी तरह से ताजे पानी से धोना चाहिए। जब अधिक उत्पादन होता है तो अजोला को छाया में सुखाकर प्लास्टिक के ड्रमों में संग्रहित किया जा सकता है। सूखे अजोला का प्रयोग पशु चारे की कमी के समय में किया जा सकता है।
अजोला की खेती के फायदे
- इसका उत्पादन बहुत ही किफायती है और यह पशुओं के लिए एक पोषक और पूरक आहार है।
- न्यून उत्पादन क्षमता वाले पशुओं में दुग्ध उत्पादन में सुधार देखा गया है।
- दानों की आवश्यकता का एक हिस्सा अजोला द्वारा पशु आहार में पूर्ति करने से दूध उत्पादन की लागत कम कर सकते हैं।
- जैसा कि अजोला में शुष्क पदार्थ सामग्री केवल 5-6 प्रतिशत है। यह मुश्किल है कि अजोला को पूर्ण फीड संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
- बहुत अधिक या कम तापमान, कम पानी अथवा सीमित जल उपलब्धता और पानी की खराब गुणवत्ता जैसी पर्यावरण बाधाएँ अजोला उत्पादन को अपनाने में रुकावट पैदा कर सकती हैं।
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