पृथ्‍वी दिवस: सदी का सबसे बड़ा संकट ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग यानी जलवायु परिवर्तन आज पृथ्‍वी के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है। इसे लेकर पूरी दुनिया में हाय तौबा मची हुई है। इसको लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां भी की जा चुकी है, दुनिया अब नष्ट हो जाएगी, पृथ्वी जलमग्न हो जाएगा, सृष्टि का विनाश हो जाएगा आदि-आदि। इस मुद्दे को लेकर कई हॉलिवुड की फिल्‍में भी बन चुकी हैं, जिसका ताजातरीन उदाहरण फिल्‍म 2012 है। ज्‍यादातर ऐसा शोर पश्चिम देशों से ही उठते रहे हैं, जिन्होंने अपने विकास के लिए ना जाने प्रकृति के विरूद्ध कितने ही कदम उठाये हैं और लगातार उठ ही रहे हैं। आज भी कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन करने वाले देशों में 70 प्रतिशत हिस्सा पश्चिमी देशों का ही है जो विकास की अंधी दौड़ का परिणाम है। लेकिन विकासशील एवं अविकसित देशों को ग्लोबल वार्मिंग का भूत दिखाकर उन्हें ऐसा करने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि प्रत्येक साल इस गम्भीर समस्या को लेकर विश्व स्तर पर शिखर सम्मेलन का भी आयोजन किया जाता है, लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही रहते हैं। पृथ्‍वी दिवस(22 अप्रैल) पर पृथ्‍वी को बचाने का संकल्‍प लें। यह जिम्‍मेदारी हम सभी पर है...
 

ग्लोबल वार्मिंग


पृथ्वी के वायु मण्डल में गैसों का मिश्रण है। कई गैसें सूर्य के प्रकाश को धरती पर आने तो देती हैं, लेकिन इसके कुछ भाग को वापस लौटने में बाधा बनती है। इसी प्रक्रिया को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। इस प्रभाव के लिए उत्तरदायी गैसें है कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, मीथेन, नाइट्रस आक्साइड और जलवाष्प। जो हमारे वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनमें धीरे-धीरे छिद्र होता जा रहा है जो सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणों को रोकने में असफल हो रही है जिसका नतीजा है कि दिन पर दिन पृथ्वी का तापमान बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि पिछले तीन सौ सालों में वैश्विक तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है, पृथ्वी के बढ़ते इसी तापमान को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं जिसकी वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं और ग्लेशियर पिघल रहे हैं।

 

 

गहराता संकट


ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र के जलस्तर में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो रही है और इसी का परिणाम है कि कहीं सुनामी आ रहे हैं तो कहीं कैटरीना जैसे भयानक समुद्री तुफान जो अपने साथ कई शहरों को निगलने का प्रयास कर रही हैं। दुनिया के कई शहर डूबने के कगार पर आ गई हैं। जहां बर्फ वर्षा होनी चाहिए वहां पानी बरस रहे हैं जो कि ग्लोबल वार्मिंग का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसके पीछे का कारण मानवीय गतिविधियां हैं। हमलोग भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए अब हर व्‍यक्ति को इस मुद्दे पर सोचना होगा, तभी इस समस्या से निपटा जा सकता है। क्या हमने कभी सोचा है कि मौसम में बदलाव क्यों हो रहा है, गर्मियां और गर्म क्यों होती जा रही हैं, सर्दियां जहां चार माह की होती थी वह सिमटकर महीना भर क्यों रह गई हैं। बेमौसम बरसात, गहराता पेयजल संकट, बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं, जीव-जन्तु की घटती संख्या, प्रकृति और वातावरण को शुद्ध करने वाले पक्षी आज विलुप्त होने के कगार पर है, कौवा और गिद्ध जैसे पक्षी कम होते जा रहे हैं। हम अपना योगदान देकर इस पृथ्वी को नष्ट होने से बचा सकते हैं। कुछ हद तक अपनी दिनचर्या में सुधार लाकर और छोटी-छोटी बातों को अपनाकर हम सभी सदी के सबसे बड़े संकट जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

 

 

 

 

क्या हो सकता है हमारा योगदान

 

 

 

खरीददारी में दिखाएं थोड़ी समझदारी


खरीदारी करते समय हमें थोड़ी समझदारी दिखानी होगी और बाजार निकलते समय घर से थैले लें जाएं, प्लास्टिक या पॉलीथिन को नकारें, जरूरत के हिसाब से ही खरीददारी करें, बचे समानों या पुराने समानों को पुन: उपयोग करने की कोशिश करें, इसे जहां-तहां न फेंके, बल्कि किसी को दान में दे दें। जहां-तहां फेंके गए समान सड़ने व गलने के बाद मिथेन गैस का उत्सर्जन होता जो वातावरण को दूषित करते हैं।

 

 

 

स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों की भागेदारी


स्कूल कॉलेज की छात्र-छात्रा कागजों की बर्बादी रोक कर ग्लोबल वार्मिग को रोक सकते हैं। हम सभी जानते हैं कि कागज प्राकृतिक वनस्पतियों की चीजों से बनती है जिसके लिए पेड़-पौधों को काटना पड़ता है इससे हरियाली में कमी होती है और पर्यावरण प्रदूषित होता है। हम कागज की खपत को कमकर कागज की बर्बादी को रोक सकते हैं, जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा।

 

 

 

 

ऑफिस कर्मियों की भागेदारी


घर से ऑफिस आने जाने के लिए साइकिल या सार्वजनिक यातायात या कार पूलिंग का प्रयोग कर सकते हैं इससे भी हम काफी हद तक ग्लोबल वार्मिंग को रोक सकते है। साइकिल से आवागमन पर्यावरण के लिहाज से दुनिया का सबसे सक्षम तरीका है। इससे पर्यावरण सबसे ज्यादा सुरक्षित रहता है। टीवी, कम्प्यूटर और मोबाइल चार्जर जैसे अपने इलेक्ट्रानिक उपकरणें को स्टैण्ड बाई मोड में रखने के बजाय स्विच ऑफ रखें। उर्जा बचाने वाले उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए।

 

 

 

 

खाना बनाने में हमारी भागेदारी


भारत जैसे विकासशील देश में आज भी गांव के घरों में खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला या उपले का उपयोग किया जाता है। इनसे भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा बायोगैस या फिर कुकिंग गैस का प्रयोग करें।

 

 

 

 

जल बचाने में हमारी भागेदारी


ग्लोबल वार्मिंग का असर हमारे पीने वाले मीठे जल पर भी पड़ रहा है। इसलिए हमें पानी बचाने का उपाय अवश्य करनी चाहिए। चाय बनाते समय उतना ही पानी उबाला जाय जितनी उसकी आवश्यकता हो, क्योंकि उबालते वक्त जो पानी वाष्प बनते हैं वह व्यर्थ हो जाते हैं। इसी तरह पीते समय गिलास में उतना ही पानी डालें जितना पी सकें। ब्रश करते समय नल बन्द रखें। नहाते वक्त शॉवर का उपयोग करने के बजाय बाल्टी का उपयोग करें, जिससे हम जल बचा सकते है। यदि एक बाल्‍टी पानी से नहा सकें तो बेहतर होगा।यह है वह छोटी-छोटी जिम्मेदारियां जिसे अपना कर ना केवल ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी को बचा सकते हैं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनकर हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और सुन्दर वातावरण दे सकते हैं, जिससे वह खुली हवा में सांस ले सकते हैं।

 

 

 

 

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