वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, निर्माण की गतिविधियाँ, खुले में कूड़ा जलाना और सड़क की धूल। प्रदूषण के इन कारकों को दूर करने के लिये पुरानी गाड़ियों को चरणबद्ध रूप से हटाने का तंत्र विकसित करना होगा। वाहनों के प्रदूषण की जाँच करनी होगी। ई-रिक्शा, ई-कार, ई-बस, ई-बाइक को बढ़ावा देना होगा। भीड़भाड़ वाले इलाकों में वाहनों का प्रवेश रोकना होगा। खुले में कचरे को जलाने पर प्रतिबन्ध लगाना होगा और रात में सफाई का इन्तजाम करना होगा। देहरादूनः शहर में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिये एक कारगर रणनीति बनाने की बाद हुई है। इसके लिये पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल बनाया गया है। इसके साथ ही परिवहन, नगर विकास, वन, लोक निर्माण, पुलिस आदि विभागों को इसमें शामिल किया जाएगा। इस सिलसिले में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मंगलवार को सचिवालय में अधिकारियों संग बैठक की।
बैठक में प्रस्तुतीकरण के जरिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने मॉनिटरिंग की वर्तमान स्थिति से सभी को अवगत कराया। बताया कि वर्तमान में प्रदूषण की मॉनिटरिंग पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5, पीएम 10, एसओएक्स (सल्फर अॉक्साइड), एनओएक्स (नाइट्रोजन अॉक्साइड) के आधार पर की जा रही है। घंटाघर, रायपुर, हिमालयन ड्रग और आईएसबीटी पर स्टेशन बनाए गए हैं। खासतौर से प्रदूषण के चार कारक पाये गए हैं।
वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, निर्माण की गतिविधियाँ, खुले में कूड़ा जलाना और सड़क की धूल। प्रदूषण के इन कारकों को दूर करने के लिये पुरानी गाड़ियों को चरणबद्ध रूप से हटाने का तंत्र विकसित करना होगा। वाहनों के प्रदूषण की जाँच करनी होगी। ई-रिक्शा, ई-कार, ई-बस, ई-बाइक को बढ़ावा देना होगा। भीड़भाड़ वाले इलाकों में वाहनों का प्रवेश रोकना होगा। खुले में कचरे को जलाने पर प्रतिबन्ध लगाना होगा और रात में सफाई का इन्तजाम करना होगा।
उन्होंने बताया कि प्रदूषण को कम करने के लिये क्लीन एयर एशिया ने देहरादून का भी चयन किया है। उनकी मदद से हम बेहतर रणनीति बना सकेंगे। बैठक में मौजूद सचिव परिवहन डी.सेंथिल पांडियन ने बताया कि दिसम्बर तक सीएनजी की पाइपलाइन दून तक आ जाएगी। इसके बाद सीएनजी से गाड़ियों के संचालन को बढ़ावा दिया जाएगा।
प्रदूषण को रोकने के लिये 909 ई-रिक्शा का पंजीकरण किया गया है। विद्युत बैटरी या सोलर पॉवर से चलने वाले वाहनों को कर में छूट दी गई है। वाहनों के पंजीकरण और नवीनीकरण के समय ग्रीन सेस की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा जल्द ही प्रदूषण जाँच केन्द्रों को वाहन-4 सॉफ्टवेयर से जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य मे 25.61 लाख वाहन संचालित हैं, जिनमें 8.68 वाहन देहरादून में चलते हैं। राज्य में प्रतिवर्ष दो लाख नए वाहनों का पंजीकरण होते हैं। राज्य में 103 प्रदूषण जाँच केन्द्र स्थापित हैं, इनमें 26 जाँच केन्द्र देहरादून में हैं। बैठक में सचिव शहरी विकास आरके सुधांशु, सचिव वन अरविंद सिंह ह्यांकी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
प्रदूषण फैला रहीं 10 गाड़ियों का चालान
संभागीय परिवहन विभाग की ओर से बुधवार को शहर में प्रदूषण फैला रहे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया गया। चेकिंग के दौरान प्रदूषण फैलाने वाली 10 गाड़ियों का चालान किया गया। एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि दर्शनलाल चौक, घंटाघर, महाराजा अग्रसेन चौक, आईएसबीटी, बल्लूपुर चौक समेत कई प्रमुख चौराहों पर वाहनों को चेकिंग की गई। सौ वाहनों की जाँच के दौरान 10 ऐसी गाड़ियाँ मिली, जो मानकों से ज्यादा धुआँ फेंक रही थीं। कागजातों की जाँच करने पर पता चला कि उन्होंने कई सालों से प्रदूषण परीक्षण नहीं कराया।
ऐसे वाहनों का चालान कर दिया गया। आरटीओ सुधांशु गर्ग ने बताया कि यह अभियान जारी रहेगा।
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Post By: RuralWater