प्रदूषण को रोकना हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। जब संसार भर के प्रदूषण की बात करते हैं तो हमारा देश प्रदूषण के लिहाज से सबसे ऊपर माना जा रहा है। इसमें भी भारत में दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित है। इसलिये, दिल्ली की सरकार को प्रदूषण के मामले में ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए।सबसे पहले अपनी पत्नी श्रीमती उपासना को याद करता हूँ, जिसकी याद में मुझे ऐसी किताब लिखने के लिये मजबूर किया। बात यहाँ से शुरू होती है कि जाने वाले कभी नहीं आते, जाने वाले की याद आती है। मेरी पत्नी श्रीमती उपासना जिनकी आयु लगभग 56 साल थी, वो कैन्सर (मेक्सलरी साइनस कैंसर) से पीड़ित थीं। अभी उनकी सेवानिवृत्ति में लगभग 6 साल बाकी थे, जोकि सिस्टर निवेदिता सर्वोदय कन्या विद्यालय, डिफेन्स कॉलोनी, ब्लॉक ए, नई दिल्ली की प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत थीं। उनकी मृत्यु इस खतरनाक बीमारी के कारण 29 अप्रैल 2015 को हो गई। मेरा विवाह उनसे 7 दिसम्बर 1989 को हुआ था। मेरा और उनका साथ 25 वर्ष 4 महीने और 22 दिन रहा। मेरी दो बेटियाँ हैं। बड़ी बेटी का नाम मानसी वर्मा और छोटी बेटी का नाम महिमा वर्मा है। बच्चों को अपनी माँ के जाने का गम है और मुझे अपनी पत्नी और अपने बच्चों की माँ के जाने का। इसी गम ने मुझे कलम उठाने के लिये मजबूर किया है।
जैसा कि हम जानते हैं और मानते भी हैं कि पर्यावरण का प्रदूषण कैन्सर फैलाता है, इसलिये मैंने इस विषय पर यह किताब लिखी है। जिससे लोगों को प्रदूषण के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिले और प्रदूषण से बचें, जिससे कैन्सर जैसी अन्य जानलेवा बीमारियों से बचा जा सके।
प्रदूषण को केवल तीन भागों में बाँटा गया है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। ज्यादातर लोग इन तीन प्रदूषणों के बारे में ही जानते हैं, लेकिन यहाँ पर मैंने इन तीन प्रदूषणों के अलावा दूसरे प्रदूषणों के बारे में भी बताया है। जैसे- प्रदूषण के पहलू क्या हैं?, आर्सेनिक से प्रदूषण, प्रकाश से प्रदूषण, पर्यावरण में नमक से प्रदूषण, सीसा (लेड) से प्रदूषण, सिगरेट से प्रदूषण, रेडियो एक्टिव पदार्थों से प्रदूषण इत्यादि का वर्णन किया गया है। ये सारे के सारे प्रदूषण स्वास्थ्य के लिये बहुत ज्यादा हानिकारक हैं।
आर्सेनिक से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से त्वचा का रंग बदलने लगता है। जिसके कारण चर्मरोग हो जाता है और मानव की हालत बद से बदतर हो जाती है। इस आर्सेनिक का स्वास्थ्य पर असर 5 से 10 साल के बाद होता है। यदि महिला गर्भवती है तो इसका असर उसके आने वाले बच्चे पर भी पड़ता है।
ज्यादा प्रकाश भी मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। प्रकाश की ज्यादा चमक-दमक मानव की आँखों पर असर डालती है, जिससे मानव की आँखों की रोशनी कम होने का खतरा हो जाता है। प्रकाश पक्षियों के जीवनशैली पर भी प्रभाव डालता है, क्योंकि पशु-पक्षी और इन्सान को रात को आराम करने के लिये अंधेरे की आवश्यकता पड़ती है, जिससे वे सुकून से चैन की नींद सो सकते हैं। पेड़-पौधों की वृद्धि भी रात के अंधेरे में ही ठीक तरह से होती है। रात में भी यदि प्रकाश रहेगा तो पेड़-पौधों की वृद्धि ठीक से नहीं होगी। दूसरी बात यह है कि दूरबीन, जिसके जरिये चाँद-तारों का अध्ययन किया जाता है, वो भी रात को ही किया जाता है। इस दूरबीन को वहीं पर लगाया जाता है जहाँ रात के समय प्रकाश न हो।
सिगरेट से प्रदूषण डीजल जैसे पदार्थों से फैलने वाले प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि उसमें हजारों रासायनिक पदार्थ होते हैं। ये रासायनिक पदार्थ वायु के साथ मानव के अन्दर प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण मानव को कैन्सर जैसी बीमारी और हृदय रोग हो जाता है।
रेडियोएक्टिव पदार्थ से कैन्सर रोग होने का खतरा बना रहता है। प्रदूषण को फैलाने में आतिशबाजी को भी कम नहीं आँका जाना चाहिए क्योंकि इससे हवा, पानी और मिट्टी बहुत ज्यादा प्रदूषित हो जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण फैलाने में आतिशबाजी की एक बड़ी भूमिका है। ध्वनि प्रदूषण से बहरेपन की शिकायत हो जाती है। इसके कारण इन्सान के खून का दबाव कम या बढ़ सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। आतिशबाजी से जो धुआँ निकलता है, इन्सान उसको अपने अन्दर ले जाता है जिससे फेफड़ों की बीमारी उत्पन्न हो जाती है और अस्थमा जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।) | |
1 | |
2 | |
3 | जल प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य (Water pollution and human health) |
4 | |
5 | ध्वनि प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य (Sound pollution and human health) |
6 | आर्सेनिक से पर्यावरण में प्रदूषण (Pollution in the environment from Arsenic) |
7 | |
8 | |
9 | |
10 | रेडियोएक्टिव पदार्थों के कारण प्रदूषण (Radioactive Pollution) |
11 | आतिशबाजी के खेल से पर्यावरण में प्रदूषण (Pollution in the environment by fireworks) |
12 |
प्रदूषण को रोकना हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। जब संसार भर के प्रदूषण की बात करते हैं तो हमारा देश प्रदूषण के लिहाज से सबसे ऊपर माना जा रहा है। इसमें भी भारत में दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित है। इसलिये, दिल्ली की सरकार को प्रदूषण के मामले में ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए। जैसा कि हम जानते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण ट्रांसपोर्ट से ज्यादा होता है और दिल्ली में कारों की तादाद बहुत ज्यादा है। इसके अलावा दिल्ली के बाहर से आने वाले ट्रक भी प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका निभाए हुए हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिये बड़े अहम कदम उठाये हैं। यदि ये कदम कामयाब रहे तो दिल्ली को निश्चित रूप से प्रदूषण से राहत मिलेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केंजरीवाल साहब ने 1 जनवरी 2016 से ऑड और इवन नम्बर की गाड़ियों के चलाने का कदम उठाया है। जिन गाड़ियों के नम्बर में अन्त में 0, 2, 4, 6 और 8 का अंक आता है वे इवन नम्बर की गाड़ियाँ कहलाती हैं और जिन गाड़ियों के नम्बर में अन्त में 1, 3, 5, 7 और 9 का अंक आता है वे ऑड नम्बर की गाड़ियाँ कहलाती हैं। ऑड नम्बर की तारीख को ऑड नम्बर की गाड़ी चलती है और इवन नम्बर की तारीख को इवन नम्बर की गाड़ियाँ चल सकती हैं। और यही चीज बाहर से आने वाली गाड़ियों पर भी लागू होती है। अगर कोई इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसे 2000 रुपये का जुर्माना देना होगा। ये ट्रायल 1 जनवरी से 15 जनवरी 2016 तक लागू था और दूसरे चरण का ट्रायल 15 अप्रैल से 30 अप्रैल 2016 तक लागू होगा। यदि दिल्ली को इसमें कामयाबी मिलती है तो इसे जारी रखा जा सकता है।
केजरीवाल साहब ने अपने को इसी दायरे में रखा है। बात यहाँ पर आकर रुकती है कि यदि मानव जीवन को प्रदूषण मुक्त रखना है तो ये एक छोटी सी चीज पर अमल होना चाहिए लेकिन इसके लिये पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा और जितने भी सरकारी संस्थाएँ और दफ्तर हैं वे अपने कर्मचारियों के लिये ट्रांसपोर्ट का इन्तजाम करें क्योंकि एक बस में 40 आदमी आ सकते हैं। इसलिये हर ऑफिस की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वो अपने कर्मचारियों के लिये बस का इन्तजाम करें। इससे प्रदूषण भी कम होगा और कर्मचारी ऑफिस भी वक्त पर पहुँच जाएँगे।
सरकार अपने कर्मचारियों को ट्रांसपोर्ट एलाउंस देती है। वो उनको न दिया जाये। उससे बसें खरीदी जा सकती हैं और वो पैसे बसों पर खर्च किए जा सकते हैं। इससे प्रदूषण भी कम होगा और प्रदूषण को मेनटेन भी रखा जा सकता है। यदि प्रदूषण कम करना है तो पब्लिक और सरकार को अपनी सोच बदलनी होगी। पब्लिक को भी चाहिए कि कारों का कम-से-कम इस्तेमाल करें। इससे देश का धन भी पेट्रोलियम पदार्थ को खरीदने में बर्बाद हो रहा है। ये पैसा बचा तो दूसरे कामों में लगाया जा सकता है। रोजगार पैदा किया किये जा सकते हैं और प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है। जब प्रदूषण कम होगा तो जीवन की गुणवत्ता अच्छी हो जायेगी। बीमारी का प्रकोप भी कम हो जायेगा। लोग सुख-चैन से रह सकेंगे। उपरोक्त प्रदूषणों के बारे में मैंने जो वर्णन किया है उनका विवरण इस किताब में दिया गया है। उन सब प्रदूषणों की जानकारी के लिये इस किताब को पढ़ें और अमल करने की कोशिश करें जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके और लोग चैन की जिन्दगी गुजर-बसर कर सकें।
TAGS |
Environmental Pollution books in Hindi pdf, understanding Environmental Pollution in Hindi, Environmental Pollution books in Hindi free download, pollution: causes, effects and control in Hindi, books on pollution by indian authors in Hindi language, A Book on Environmental Pollution and health in Hindi, Environmental studies notes in Hindi pdf, Environmental studies pdf notes in hindi, Environmental studies objective questions and answers in Hindi pdf, Environmental studies books in Hindi, Environmental studies in Hindi language, Environmental studies notes for bcom in Hindi, Environmental science pdf books free download in Hindi, free download Environmental science book pdf in Hindi, environment related questions in hindi, environment study notes in Hindi pdf, Environmental studies books in Hindi free download, paryavaran adhyayan Hindi pdf, Environmental studies meaning in Hindi, Environmental studies pdf in Hindi, Environmental studies in Hindi language pdf, Environmental studies Book in Hindi |
/articles/parayaavarana-paradauusana-apabaitai