पर्यावरण के लिये झीलें अति महत्त्वपूर्ण : जावड़ेकर


जल स्रोतों और हवा को स्वच्छ करना सबसे बड़ी चुनौती

इस लक्ष्य को पाने के लिये देश के हर कोने में लोगों को जागृत करना होगा कि वे देश को स्वच्छ एवं हरा-भरा बनाने के आन्दोलन से जुड़ें। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु के लोगों ने अपने शहर को स्वच्छ एवं हरा भरा बनाने के प्रयास में काफी रुचि दिखाई है।

बेंगलुरु : केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर ने शहरों के लिये झीलों को अति महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा गुरुवार को कहा कि स्थानीय निकायों तथा स्थानिय निवासियों को एक खजाने की तरह इनकी रक्षा करनी चाहिए। गैर सरकारी संगठन अदम्य चेतना द्वारा यहाँ आयोजित ‘सेवा उत्सव’ में जावड़ेकर ने कहा कि उनका मन्त्रालय बेंगलुरु की झीलों के संरक्षण पर अगले साल फरवरी में समीक्षा करेगा। बेंगलुरु एक ऐसा महानगर है, जहाँ सबसे अधिक झीलें हैं।

उन्होंने कहा कि सुबह मैं सांके झील के पास टहल रहा था तो वहाँ घूम रहे कई लोग मेरे पास आए और उन्होंने मुझे उन मुद्दों के बारे में याद दिलाई, जिन पर उन्होंने पहले भी मुझसे चर्चा की थी। उन्होंने मुझे बताया कि कर्नाटक सरकार ने कई कदम उठाए हैं फिर भी झीलों की दशा सुधारकर उन्हें पुनर्जीवित करने के लिये कई अन्य काम करने की जरूरत है। केन्द्र सरकार बेंगलुरु के झीलों के संरक्षण एवं उनकी हालत में सुधार लाने के लिये राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगी।

इस मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल में आने वाली बिजली में कटौती करें और उसे रिसाइकल करके दोबारा इस्तेमाल करें। महात्मा गाँधी ने कहा था कि प्रकृति सबकी आवश्यकता की पूर्ति करती है लेकिन हमें प्रकृति संसाधनों का इस्तेमाल करते समय लालची बनकर उसका दोहन नहीं करना चाहिए। बापू यह कहना चाहते थे कि हमें उसका ही उपभोग करना चाहिए, जिसकी हमें जरूरत हो और बर्बादी नहीं करनी चाहिए, जिससे पर्यावरण को क्षति पहुँचे।

केन्द्रीय मन्त्री ने बताया कि पर्यावरण मन्त्रालय ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘स्वच्छ एवं हरित भारत’ को लागू करने का निर्णय लिया है। इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती जल स्रोतों और हवा को स्वच्छ करना और हरसम्भव जगह पर हरियाली वापस लानी है।

इस लक्ष्य को पाने के लिये देश के हर कोने में लोगों को जागृत करना होगा कि वे देश को स्वच्छ एवं हरा-भरा बनाने के आन्दोलन से जुड़ें। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु के लोगों ने अपने शहर को स्वच्छ एवं हरा भरा बनाने के प्रयास में काफी रुचि दिखाई है।

उन्होंने केन्द्रीय मन्त्री एचएन अनंत कुमार के भाषण का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बेंगलुरु में पेड़ों की संख्या घटी है। शहर की जनसंख्या बढ़कर एक करोड़ हो गई है लेकिन पेड़ों की संख्या मात्र 17 लाख है। बेंगलुरु एक व्यक्ति-एक पेड़ के मानक पर खरा नहीं उतरा है। वैसे तो बागीचों के शहर के रूप में एक जमाने में प्रसिद्ध रहे इस शहर के लिये प्रति व्यक्ति सात पेड़ होना आदर्श स्थिति है।

केन्द्रीय मन्त्री अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी ने इस चार दिवसीय समारोह की अध्यक्षता की है। इस समारोह में कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं, अधिकारियों एवं अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया है। अदम्य चेतना संस्था कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लगभग दो लाख छात्रों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराती है।

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