पर्यावरण हितैषी मकानों के खिलाफ यह बात अक्सर उठाई जाती रही है कि ये महँगे होते हैं परन्तु गौर करें तो पता चलता है कि दीर्घकाल में यह वास्तव में कई प्रकार से लाभान्वित करने वाले साबित होते हैं। ‘किफायती’ हैं पर्यावरण हितैषी आवासीय परियोजनाएँ
बेशक शुरूआत में किसी पर्यावरण हितैषी परियोजना में आवास खरीदने में आम परियोजनाओं की तुलना में कुछ अधिक रकम खर्च करना अच्छा न लगे परन्तु इसके इतने फायदे हैं कि दीर्घकाल में यह वास्तव में वहाँ रहने को किफायती बना देती है।
इसकी वजह है कि ऐसे मकानों में कम पानी और बिजली का प्रयोग होता है। वहाँ हर प्रकार की ऊर्जा की बचत होती है। कूड़ा कम पैदा होता है और वहाँ रहने वालों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
खास बात है कि ग्रीन बिल्डिंग में रहने वाले बिजली बिल में 30 प्रतिशत तक की बचत कर सकते हैं। ग्रीन बिल्डिंग की वजह से न केवल कम बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा बल्कि मेंटिनेंस फीस भी कम देनी होगी। ईको फ्रैंडली परियोजनाओं में घर की कीमत बेशक ज्यादा होती हैं परन्तु दीर्घकाल में व्यक्ति को इसका काफी फायदा मिलता है।
इसकी वजह ऑपरेटिंग और मेंटिनेंस लागत का कम होना है। कुल लागत का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा ऑपरेटिंग और मेंटिनेंस में जाता है। मसलन एनर्जी की ही लागत करीब 50 प्रतिशत होती है। शुरुआत में लोग ग्रीन बिल्डिंग के लिए जिस अतिरिक्त कीमत का भुगतान करते हैं वह करीब 5 से 7 वर्ष के भीतर वसूल हो जाती है।
ऐसी परियोजनाओं के कई लाभ हैं। सबसे बड़ा फायदा है कि इससे पानी तथा ऑपरेटिंग लागत में कमी आती है। साथ ही ऊर्जा की किफायत होने से इसे बेचने पर ज्यादा कीमत मिलती है। इनसे किराए की आय भी अधिक होती है। हालाँकि इन सुविधाओं के लिए निर्माण के समय भारी-भरकम निवेश करना होता है। ईको-फ्रैंडली परियोजना के मानकों पर खरा उतरने के लिए निर्माताओं को कई नियमों को पूरा करना होता है जिससे निर्माण की लागत बढ़ती है।
प्रदूषण कम करने के लिए फ्लाई ऐश से बनी ईटों का इस्तेमाल, हाई परफार्मेंस ग्लास का इस्तेमाल, एनर्जी कंजर्वनेशन लैम्प, वाटर रिसाइक्लिंग और रेनवाटर हार्वेस्टिंग जैसे फीचर का इस्तेमाल जरूरी होता है। इनसे निर्माण लागत में वृद्धि होती है।
परियोजनाओं में ग्रीन फीचर्स जोड़े जा रहे हैं तो उसे खरीदने का निर्णय समझदारी कहलाएगी क्योंकि इससे आमतौर पर लागत में 5 से 15 प्रतिशत का इजाफा होता है। कुछ डिवेलपर बताते हैं कि इससे लागत में इजाफा नहीं होगा तो वे ऐसा बेहतर प्लानिंग की वजह से कर पाते हैं।
अल्ट्रा लो फ्लो टॉयलेट, लो फ्लो सिंक और शावरहैड आदि की लागत बहुत अधिक होती है। एक बार इमारत बन जाने के बाद पानी की कम खपत और लोकल सिविक एडमिनिस्ट्रेशन से मिलने वाली छूट से काफी लाभ होता है। इन लाभों में सम्पत्ति के लिए कम टैक्स का भुगतान भी शामिल हो सकता है।
पर्यावरण हितैषी विधियों के इस्तेमाल से ऊर्जा की खपत में कई गुणा कमी आती है। पानी का इस्तेमाल भी 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
ऊर्जा की खपत में कमी के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक रोशनी का प्रयोग किया जाता है ताकि कम से कम दिन में किसी कृत्रिम रोशनी की जरूरत न पड़े। दीवारों एवं खिड़कियों में भी ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वे गर्म तथा ठंडे कम होते हैं जिस वजह से एयरकंडिशनिंग या हीटिंग की भी कम से कम जरूरत पड़ती है।
ऐसे उपायों से बिजली की खपत बहुत कम होती है तथा दीर्घकाल में बिल में भारी बचत और पर्यावरण संरक्षण में योगदान से मानसिक संतुष्टि भी खूब मिलती है।
ऐसे में किसी इमारत के जीवनकाल के दौरान उसे इस्तेमाल करने की लागत 80 से 85 प्रतिशत तक कम होती है। तो जाहिर है कि किसी पर्यावरण हितैषी मकान में रहने पर आने वाली कुल लागत किसी आम मकान में रहने की तुलना में कम होती है और वह दीर्घकाल में कहीं अधिक किफायती साबित होता है।
जागरूकता और छूट प्रदान करने की जरूरत
जैसा कि किसी भी नई धारणा के साथ होता है, पर्यावरण हितैषी इमारतों में रहने के लिए लोगों को प्रेरित करने हेतु इनके फायदों के प्रति देश में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए पर्यावरण हितैषी परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि करनी होगी। इससे वे डिवेलपर्स के साथ-साथ ग्राहकों के लिए अधिक व्यावहारिक व उपयुक्त बन जाएँगे।
इसके लिए सरकार की ओर से विशेष छूट, टैक्स में कमी तथा इस सेक्टर के विकास के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करनी आवश्यक है। ऐसा होने पर ही पर्यावरण हितैषी इमारतोें के प्रति लोगों में वास्तविक रुचि तथा आवश्यकता की सच्ची भावना पैदा की जा सकती है।
देश में ग्रीन बिल्डिंग्स की स्थिति
देश में पर्यावरण हितैषी आवासीय परियोजनाओं की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि यहाँ के डिवेलपर्स ने शुरूआती झिझक के दौर की पार कर लिया है और अब इन्हें यहाँ स्वीकार किया जा चुका है। हालाँकि, बड़े शहरों में ऐसी अधिकतर परियोजनाएँ अभी भी प्रीमियम या लग्जरी दिखाई देने लगी है। इनके प्रति लोगों में थोड़ी-बहुत जागरूकता में इजाफा होने की वजह से अधिक से अधिक डिवेलपर्स अब ऐसी परियोजनाएँ तैयार करने की योजना पर विचार कर रहे हैं।
वैसे भी इस सेक्टर में डिवेलपर्स नए रुझान तथा नई माँग के अनुरूप परियोजनाएँ तैयार करने के लिए सहर्ष तैयार रहते हैं, ऐसे में जल्द ऐसी परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि होने की सम्भावना जताई जा रही है।
ग्रीन बिल्डिंग में रहने के फायदे
प्रत्यक्षऊर्जा की बचत : 20 से 30 प्रतिशत
पानी की बचत : 30 से 50 प्रतिशत
अप्रत्यक्ष
बेहतर स्वच्छ हवा, दिन में पर्याप्त कुदरती रोशनी, निवासियों का बेहतर स्वास्थ्य तथा कल्याण
ग्रीन होम खरीदने के इच्छुक खरीदारों के लिए चैकलिस्ट
1. ध्यान रखें कि पर्यावरण हितैषी आवासीय परियोजना परिवहन के सार्वजनिक साधनों की पहुँच में हो ताकि निजी वाहनों का इस्तेमाल करने की जरूरत कम से कम रहे।
2. सुनिश्चित कर लें कि सीवेज के पानी के ट्रीटममेंट हेतु अच्छी तकनीक का प्रयोग किया गया हो। जैसे कि मैम्ब्रेन बायो रिएक्टर या ऐसी ही अन्य तकनीक बेहतर होती है।
3. परियोजना में स्वच्छ किए हुए जल का प्रयोग बगीचों या बागवानी के लिए किया जाए।
4. वहाँ डुअल फ्लशिंग तथा जल सम्बन्धी अन्य उपयुक्त फीचर्स स्थापित होने चाहिए।
5. आम स्थानों पर ऊर्जा हितैषी लाइटिंग जैसे टी 5 या लैड का इस्तेमाल किया जाए।
6. बहुमंजिला इमारतों में ऊर्जा की बचत करने वाली लिफ्ट का प्रयोग हो।
7. सौर ऊर्जा सिस्टम्स भी स्थापित किए जाएँ।
8. कूड़ा प्रबंधन तथा उसे रिसाइकिल करने में आसानी हेतु विभिन्न प्रकार के कूड़े को अलग से जमा करने का भी इंतजाम हो। वहाँ कूड़े से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने जैसे बंदोबस्त भी होने चाहिए।
9. परियोजना में हरियाली के लिए पर्याप्त खुली जगह छोड़ी गई हो।
बेशक शुरूआत में किसी पर्यावरण हितैषी परियोजना में आवास खरीदने में आम परियोजनाओं की तुलना में कुछ अधिक रकम खर्च करना अच्छा न लगे परन्तु इसके इतने फायदे हैं कि दीर्घकाल में यह वास्तव में वहाँ रहने को किफायती बना देती है।
इसकी वजह है कि ऐसे मकानों में कम पानी और बिजली का प्रयोग होता है। वहाँ हर प्रकार की ऊर्जा की बचत होती है। कूड़ा कम पैदा होता है और वहाँ रहने वालों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
खास बात है कि ग्रीन बिल्डिंग में रहने वाले बिजली बिल में 30 प्रतिशत तक की बचत कर सकते हैं। ग्रीन बिल्डिंग की वजह से न केवल कम बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा बल्कि मेंटिनेंस फीस भी कम देनी होगी। ईको फ्रैंडली परियोजनाओं में घर की कीमत बेशक ज्यादा होती हैं परन्तु दीर्घकाल में व्यक्ति को इसका काफी फायदा मिलता है।
इसकी वजह ऑपरेटिंग और मेंटिनेंस लागत का कम होना है। कुल लागत का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा ऑपरेटिंग और मेंटिनेंस में जाता है। मसलन एनर्जी की ही लागत करीब 50 प्रतिशत होती है। शुरुआत में लोग ग्रीन बिल्डिंग के लिए जिस अतिरिक्त कीमत का भुगतान करते हैं वह करीब 5 से 7 वर्ष के भीतर वसूल हो जाती है।
ऐसी परियोजनाओं के कई लाभ हैं। सबसे बड़ा फायदा है कि इससे पानी तथा ऑपरेटिंग लागत में कमी आती है। साथ ही ऊर्जा की किफायत होने से इसे बेचने पर ज्यादा कीमत मिलती है। इनसे किराए की आय भी अधिक होती है। हालाँकि इन सुविधाओं के लिए निर्माण के समय भारी-भरकम निवेश करना होता है। ईको-फ्रैंडली परियोजना के मानकों पर खरा उतरने के लिए निर्माताओं को कई नियमों को पूरा करना होता है जिससे निर्माण की लागत बढ़ती है।
प्रदूषण कम करने के लिए फ्लाई ऐश से बनी ईटों का इस्तेमाल, हाई परफार्मेंस ग्लास का इस्तेमाल, एनर्जी कंजर्वनेशन लैम्प, वाटर रिसाइक्लिंग और रेनवाटर हार्वेस्टिंग जैसे फीचर का इस्तेमाल जरूरी होता है। इनसे निर्माण लागत में वृद्धि होती है।
परियोजनाओं में ग्रीन फीचर्स जोड़े जा रहे हैं तो उसे खरीदने का निर्णय समझदारी कहलाएगी क्योंकि इससे आमतौर पर लागत में 5 से 15 प्रतिशत का इजाफा होता है। कुछ डिवेलपर बताते हैं कि इससे लागत में इजाफा नहीं होगा तो वे ऐसा बेहतर प्लानिंग की वजह से कर पाते हैं।
अल्ट्रा लो फ्लो टॉयलेट, लो फ्लो सिंक और शावरहैड आदि की लागत बहुत अधिक होती है। एक बार इमारत बन जाने के बाद पानी की कम खपत और लोकल सिविक एडमिनिस्ट्रेशन से मिलने वाली छूट से काफी लाभ होता है। इन लाभों में सम्पत्ति के लिए कम टैक्स का भुगतान भी शामिल हो सकता है।
पर्यावरण हितैषी विधियों के इस्तेमाल से ऊर्जा की खपत में कई गुणा कमी आती है। पानी का इस्तेमाल भी 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
ऊर्जा की खपत में कमी के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक रोशनी का प्रयोग किया जाता है ताकि कम से कम दिन में किसी कृत्रिम रोशनी की जरूरत न पड़े। दीवारों एवं खिड़कियों में भी ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वे गर्म तथा ठंडे कम होते हैं जिस वजह से एयरकंडिशनिंग या हीटिंग की भी कम से कम जरूरत पड़ती है।
ऐसे उपायों से बिजली की खपत बहुत कम होती है तथा दीर्घकाल में बिल में भारी बचत और पर्यावरण संरक्षण में योगदान से मानसिक संतुष्टि भी खूब मिलती है।
ऐसे में किसी इमारत के जीवनकाल के दौरान उसे इस्तेमाल करने की लागत 80 से 85 प्रतिशत तक कम होती है। तो जाहिर है कि किसी पर्यावरण हितैषी मकान में रहने पर आने वाली कुल लागत किसी आम मकान में रहने की तुलना में कम होती है और वह दीर्घकाल में कहीं अधिक किफायती साबित होता है।
जागरूकता और छूट प्रदान करने की जरूरत
जैसा कि किसी भी नई धारणा के साथ होता है, पर्यावरण हितैषी इमारतों में रहने के लिए लोगों को प्रेरित करने हेतु इनके फायदों के प्रति देश में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए पर्यावरण हितैषी परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि करनी होगी। इससे वे डिवेलपर्स के साथ-साथ ग्राहकों के लिए अधिक व्यावहारिक व उपयुक्त बन जाएँगे।
इसके लिए सरकार की ओर से विशेष छूट, टैक्स में कमी तथा इस सेक्टर के विकास के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करनी आवश्यक है। ऐसा होने पर ही पर्यावरण हितैषी इमारतोें के प्रति लोगों में वास्तविक रुचि तथा आवश्यकता की सच्ची भावना पैदा की जा सकती है।
देश में ग्रीन बिल्डिंग्स की स्थिति
देश में पर्यावरण हितैषी आवासीय परियोजनाओं की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि यहाँ के डिवेलपर्स ने शुरूआती झिझक के दौर की पार कर लिया है और अब इन्हें यहाँ स्वीकार किया जा चुका है। हालाँकि, बड़े शहरों में ऐसी अधिकतर परियोजनाएँ अभी भी प्रीमियम या लग्जरी दिखाई देने लगी है। इनके प्रति लोगों में थोड़ी-बहुत जागरूकता में इजाफा होने की वजह से अधिक से अधिक डिवेलपर्स अब ऐसी परियोजनाएँ तैयार करने की योजना पर विचार कर रहे हैं।
वैसे भी इस सेक्टर में डिवेलपर्स नए रुझान तथा नई माँग के अनुरूप परियोजनाएँ तैयार करने के लिए सहर्ष तैयार रहते हैं, ऐसे में जल्द ऐसी परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि होने की सम्भावना जताई जा रही है।
ग्रीन बिल्डिंग में रहने के फायदे
प्रत्यक्षऊर्जा की बचत : 20 से 30 प्रतिशत
पानी की बचत : 30 से 50 प्रतिशत
अप्रत्यक्ष
बेहतर स्वच्छ हवा, दिन में पर्याप्त कुदरती रोशनी, निवासियों का बेहतर स्वास्थ्य तथा कल्याण
ग्रीन होम खरीदने के इच्छुक खरीदारों के लिए चैकलिस्ट
1. ध्यान रखें कि पर्यावरण हितैषी आवासीय परियोजना परिवहन के सार्वजनिक साधनों की पहुँच में हो ताकि निजी वाहनों का इस्तेमाल करने की जरूरत कम से कम रहे।
2. सुनिश्चित कर लें कि सीवेज के पानी के ट्रीटममेंट हेतु अच्छी तकनीक का प्रयोग किया गया हो। जैसे कि मैम्ब्रेन बायो रिएक्टर या ऐसी ही अन्य तकनीक बेहतर होती है।
3. परियोजना में स्वच्छ किए हुए जल का प्रयोग बगीचों या बागवानी के लिए किया जाए।
4. वहाँ डुअल फ्लशिंग तथा जल सम्बन्धी अन्य उपयुक्त फीचर्स स्थापित होने चाहिए।
5. आम स्थानों पर ऊर्जा हितैषी लाइटिंग जैसे टी 5 या लैड का इस्तेमाल किया जाए।
6. बहुमंजिला इमारतों में ऊर्जा की बचत करने वाली लिफ्ट का प्रयोग हो।
7. सौर ऊर्जा सिस्टम्स भी स्थापित किए जाएँ।
8. कूड़ा प्रबंधन तथा उसे रिसाइकिल करने में आसानी हेतु विभिन्न प्रकार के कूड़े को अलग से जमा करने का भी इंतजाम हो। वहाँ कूड़े से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने जैसे बंदोबस्त भी होने चाहिए।
9. परियोजना में हरियाली के लिए पर्याप्त खुली जगह छोड़ी गई हो।
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