प्रगति की रीढ़

डॉ.मोहम्द अब्बास (सहायक संचालक कृषि)

परिचय


डॉ. मोहम्मद अब्बास कृषि विभाग में सहायक संचालक हैं। सीहोर जिले के जावर में 1 जनवरी 1960 में जन्में डॉ. अब्बास ने कृषि में 1984 में एमएससी किया तथा बाद में पीएचडी। वे 23 सालों से खेतीबाड़ी में आने वाली हर मुश्किल का निदान करने में जुटे हैं। डॉ. अब्बास ने अपनी नौकरी की शुरुआत शहडोल से की व मंदसौर, सीहोर, उज्जैन शाजापुर, आगर, शुजालपुर, देवास में भी कार्य किया। सामाजिक गतिविधियों के साथ ही वे खेल एक्टीविटी से भी जुड़े हैं।

जज्बा


व्यक्ति की मस्ती व सुकून का कारण यह नहीं कि उसका पद छोटा या बड़ा है। जब वह अपने कार्य को पूरी तन्मयता और निष्ठा से करता है तो उसके मिजाज में खुशी का समावेश हो जाता है। कृषि विभाग में सहायक संचालक के पद पर कार्य कर रहे डॉ. मोहम्मद अब्बास की कार्यशैली कुछ इसी तरह की है। वे अपने घर पर भी कृषि विभाग का कार्य करते दिखाई देते हैं और किसानों से चर्चारत रहते हैं। उनके चेहरे पर हमेशा खुशी तैरती रहती है। यह अनुकरणीय है कि यदि अपने कार्य को ही हम खुशी का कारण बना लें तो फिर दुःखी कोई नहीं कर सकता। काम की प्यास पैदा करना पहली जरूरत है। नया करने की चाह रखने वाले व समूह का भला कर अपना सुख ढूंढने वाले कम ही लोग हैं। ऐसे लोगों का अनुभव है कि सबकी खुशी को अपनी खुशी का कारण बना लेने पर आसपास आनंद का संसार निर्मित हो जाता है। चूंकि भारत कृषि प्रधान देश है और यहां के भोलेभाले किसान की अपेक्षा रहती है कि संकट के समय उसे कोई थामे।

एक मिशन है नौकरी


नौकरी को किस रूप में लेते हैं?
विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में कार्य करने की ठानी। हमेशा नौकरी को एक मिशन के रूप में लिया। किसानों के लिए वे सदा तत्पर रहते हैं। फील्ड में सर्विस करना जंग की तरह होता है। मेहनत, लगन व ईमानदारी से सकारात्मक सोच के साथ कार्य किया जाए तो आत्मसंतोष व कामयाबी मिलती है।

कृषि क्षेत्र में किस तरह के कार्य किए? कैसा प्रतिसाद मिला?
मंदसौर में कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र में अध्यापन कार्य किया। यहां प्रचार- प्रसार व प्रशिक्षण देने का कार्य भी किया। अमलाहा-उज्जैन में अनुसंधान कार्य, बीज उत्पादन, बीच परिरक्षण प्रयोगशाला प्रभारी के रूप में कार्य देखा। इसके अलावा शाजापुर व देवास में उन्नत कृषि तकनीक के तहत उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कार्य किया। जल संवर्धन कार्य के तहत रेवासागर, बलराम ताल, खेत तालाब बनाने के लिए कृषकों को प्रेरित किया।

आपने कौन से विशेष कार्य किए?
मंदसौर कृषि महाविद्यालय में 28 रिसर्च पल्बिश हुए। थाईलैंड में वर्ल्ड सोयाबीन रिसर्च कॉन्फ्रेंस में एक पेपर पब्लिश हुआ। इसके साथ ही देवास में जल संवर्धन कार्य के तहत रेवासागर, बलराम ताल, खेत तालाब बनाने के लिए कृषकों को प्रेरित किया। इसके लिए प्रशिक्षण व तकनीकी जानकारी भी दी गई। इसके साथ ही अश्वगंधा की उन्नत प्रजाति, प्रजनक बीज उत्पादन भी किया।

किसानों का जीवनस्तर कैसे ऊंचा किया जा सकता है?
जिन किसानों के पास कम जमीन हैं, वे बेहतर ढंग से खेती कर सकते हैं। भूमि कम होने पर भी अधिक लाभ लिया जा सकता है। उत्पादकता बढ़ाकर उनके आर्थिक स्तर में सुधार लाने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं।

देवास की क्या जरूरत है?
बड़े-बड़े डेम बनाकर सिंचाई का रकबा बढ़ाना, सिरीज स्टापडेम बनाना, बीज परिरक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने व मिट्टी परिरक्षण प्रयोगशाला की स्थापना।

ऐसा कौन-सा कार्य है,जिसके लिए प्रयास जारी है?
क्षारीय भूमि का सुधार नहीं हो सका है। इसके लिए विभाग द्वारा जिप्सम, जिंक सल्फेट एवं जैविक खेती पर बल दिया जा रहा है।

आपकी किनका मार्गदर्शन मिला?
मंदसौर कृषि महा. के अधिष्ठाता डॉ. के. वी. निगम, जेएनकेवीवी जबलपुर के संचालक रिसर्च (सेवानिवृत्त) डॉ. आर.ए. खान व उपसंचालक ओ. पी. चौरे सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का।

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