प्रदूषण से ज्यादा गंगा के अस्तित्व पर खतरा

वैज्ञानिकों को अंदेशा : गंगा के लुप्त होने का संकट, 1500 करोड़ रुपए खर्च नतीजा सिफर

गंगानरेंद्र मोदी सरकार एक ओर जहां देश की प्रमुख नदी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की महत्वाकांक्षी योजना को अमल लाने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण वैज्ञानिकों ने अंदेशा जताई है कि गंगा का अस्तित्व ही खतरे में है।

उनका कहना है कि गंगा ही नहीं रहेगी तो प्रदूषण तो दूसरी बात है। वैज्ञानिकों ने राजग सरकार से आग्रह किया है कि वह गंगा को बचाओ कार्यक्रम शुरू करे। राष्ट्रीय गंगा नदी तट प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के पर्यावरण विशेषज्ञ सदस्य बीडी त्रिपाठी ने केंद्र की नई राजग सरकार से आग्रह किया है कि वे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले संगठन को सक्रिय करें, जो सप्रंग सरकार के कार्यकाल से ही एक तरह से मृत ही पड़ा रहा। त्रीपाठी ने कहा, पिछले चार दशकों का मेरा अनुभव और विश्लेषण यह है कि प्रदूषण तो गौण बात है और मुख्य संकट गंगा के अस्तित्व को लेकर है, जो फिलहाल खतरे में है। गंगा सफाई अभियान को वास्तव में गंगा बचाओ अभियान होना चाहिए।

क्यों नाकाम रही गंगा कार्ययोजना


1. केंद्र और राज्यों सरकारों में गंगा प्रदूषण और गंगा सफाई को लेकर अलग-अलग मत या सम्यक दृष्टिकोण की कमी
2. राष्ट्रीय गंगा नदी तट प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की उपेक्षा और अनदेखी
3. गंगा कार्ययोजना के लिए केंद्र 85 प्रतिशत राशि प्रदान करता है, शेष रकम राज्य सरकार वहन करती है लेकिन इसकी निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं

गंगा पर हैं ये खतरे


1. जल प्रवाह में निरंतर गिरावट
2. जल संग्रहण क्षेत्र में लगातार आ रही कमी
3. जल प्रवाह और संग्रहण की कमी से पैदा प्रदूषण

क्या करे मोदी सरकार


1. राष्ट्रीय गंगा नदी तट प्राधिकरण (एनजीआरबीए) को पुनः सक्रिय करें।
2. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एन्वायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी से समन्वय बनाए (1972 से सेंटर गंगा पर कर रहा अध्ययन)
3. गंगा का संरक्षण और प्रदूषण दूर करने के लिए विस्तृत एवं दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाना।

क्या है एनजीआरबीए


1. केंद्र सरकार ने फरवरी 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी तट प्राधिकरण (एनजीआरबीए) का किया था गठन
2. गंगा तटों और जल संग्रहण क्षेत्र को बचाना और प्रदूषित या मलजल को सीधे गंगा में गिराने से रोकने का उपाय करना

सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करके ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। अभी तक उसे बचाने और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कोई नीति या योजना नहीं बनाई जा सकी है। पांच राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार एवं पश्चिम बंगाल) से होकर बहने वाली गंगा को हर मोड़ पर नोचा गया है।
बीडी त्रिपाठी
पर्यावरणविद सदस्य, राष्ट्रीय गंगा नदी तट प्राधिकरण

Tags : Ganga River in Hindi, Ganga Pollution in Hindi, Ganga River in India in Hindi, NGBRA in Hindi

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