प्रदूषण रोकने को लगेंगे बाँस के पौधे

बांस के पेड़
बांस के पेड़

प्रदूषण की रोकथाम के लिये शहर की सड़कों के डिवाइडरों पर विभिन्न प्रकार के पेड़ व फूल वाले पौधे लगाए जाएँगे। इनके जरिए बढ़ते प्रदूषण को रोकने के साथ नगर निगम को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। इसके लिये एक कम्पनी को हायर किया गया है। कम्पनी के साथ जल्द अनुबन्ध कर काम शुरू करा दिया जाएगा। पहले चरण में यह कार्य टीएचए की वसुंधरा कॉलोनी के मुख्य मार्गों पर बतौर ट्रायल किया जाएगा। इसके उपरान्त परिणाम देखकर इस योजना को व्यापक स्तर पर अमलीजामा पहनाया जाएगा। दरअसल, नगर निगम शहर के वातावरण को शुद्ध करने को सड़कों के बीच व किनारों को हरा-भरा रखने के लिये लाखों रुपए खर्च करता है। देखभाल के लिये माली व अन्य चीजों की व्यवस्था की जाती है। इतना सब कुछ करने के बाद भी प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदूषण अधिक होने से कई बार पेड़-पौधे सूख भी जाते हैं, जिसके बाद दोबारा पौधरोपण पर खर्च करना पड़ता है।

प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिये अब नगर निगम ने नई योजना बनाई है। नगर निगम सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर फैंसी पेड़-पौधों के स्थान पर अब बाँस के पेड़ लगाएगा। पेड़ों को लगाने के साथ इनकी देखभाल की जिम्मेदारी कम्पनी की होगी।

एक वर्ष में पूरा आकार ले लेता है


इस योजना के अन्तर्गत पहले चरण में ट्रायल के तौर पर वसुंधरा, वैशाली, राजनगर व कविनगर के मुख्य मार्गों के सेंट्रल वर्ज पर पौधे लगाए जाएँगे। योजना के अनुसार बाँस के पौधे लगाने के बाद उसका परिणाम ठीक पाए जाने पर अन्य स्थानों पर भी बाँस के पौधे लगाए जाएँगे। गौरतलब है कि बाँस के पौधों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। पर्याप्त नमी मिलने पर ये पेड़ एक वर्ष में अपना आकार प्राप्त कर लेता है। वहीं, बाँस कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने की जबरदस्त ताकत रखने वाले होते हैं। ऐसे में वाहनों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड से होने वाले प्रदूषण को कम करने में बाँस काफी मददगार साबित होंगे।

ज्यादा कार्बन सोखता है


नगरायुक्त चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि पहले चरण में वसुंधरा के कुछ मार्गों को चिन्हित किया गया है। नगरायुक्त सिंह ने बताया कि बाँस कार्बन सोखने में सबसे ज्यादा कारगर होता है। इसे अधिक पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है। बाँस वातावरण से सबसे ज्यादा कार्बन सोखता है। निगम अधिकारियों की मानें तो उन्होंने इसके लिये कई स्थानों पर सर्वे किया है और विशेषज्ञों से वार्ता की है। जिसके बाद यह तय किया गया है कि सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर बाँस के पौधे लगाना ज्यादा बेहतर है।

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