बिगड़ता पर्यावरण हर प्रकार से हमें नुकसान पहुंचा रहा है। यदि हम किसी बीमारी से बचने के लिए टीकाकरण करवाते हैं, तो वहां भी दूषित पर्यावरण हमें नहीं छोड़ता। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि क्षयरोग (टीबी) का टीका कुछ व्यक्तियों के लिए फायदेमंद नहीं होता। इसके पीछे मुख्य रूप से पर्यावरण जिम्मेदार है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अमेरिका के बाहर कई देशों की मिट्टी तथा जल में पर्यावरणीय जीवाणु पाए जाते हैं। इसकी चपेट में आने वाले व्यक्तियों के लिए बीसीजी का टीका फायदेमंद नहीं होता है। बीसीजी का टीका क्षयरोग से बचने के लिए लोगों को लगाया जाता है। प्रमुख शोधकर्ता जियोक तेंग सी ने बताया कि मिट्टी तथा जल में पर्यावरणीय जीवाणु मिले रहने के कारण बीसीजी का टीका हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता है। यह कारण जानने के बाद अब और भी कारगर शोध किए जा सकेंगे, ताकि क्षयरोग को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।
इस शोध को पूरा करने के लिए शोधकर्ताओं ने चुहियों का सहारा लिया। उन्होंने चुहियों को बीसीजी का टीका दिया। कुछ दिन बाद उन्होंने देखा कि कुछ चुहियों में इस टीके का कोई फायदा नहीं हो रहा है। जब इसके कारणों की तलाश की गई, तो शोधकर्ताओं ने पाया कि ये चुहियां पर्यावरणीय जीवाणु की चपेट में हैं, जो कि मिट्टी तथा जल में पाए जाते हैं। यही कारण है कि बीसीजी टीका के अलावा भी कई ऐसे टीके हैं, जो कुछ लोगों में तो काम करते हैं, लेकिन वही टीके कुछ लोगों में काम नहीं करते हैं।
क्षयरोग पर नियंत्रण पाने के लिए यह शोध काफी महत्वपूर्ण है। इस कारण की खोज के बाद अब नया टीका बनाया जाएगा, जो कि पर्यावरणीय जीवाणुओं का भी आसानी से सामना कर ले। इसके पीछे अभी तक कोई ठोस कारण की तलाश नहीं हो पाई थी और शोधकर्ताओं के लिए पहेली बनी हुई थी। लेकिन सी की अध्यक्षता में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने इस कारण की तलाश करने में सफलता प्राप्त कर ली
शोधकर्ताओं ने बताया कि अमेरिका के बाहर कई देशों की मिट्टी तथा जल में पर्यावरणीय जीवाणु पाए जाते हैं। इसकी चपेट में आने वाले व्यक्तियों के लिए बीसीजी का टीका फायदेमंद नहीं होता है। बीसीजी का टीका क्षयरोग से बचने के लिए लोगों को लगाया जाता है। प्रमुख शोधकर्ता जियोक तेंग सी ने बताया कि मिट्टी तथा जल में पर्यावरणीय जीवाणु मिले रहने के कारण बीसीजी का टीका हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता है। यह कारण जानने के बाद अब और भी कारगर शोध किए जा सकेंगे, ताकि क्षयरोग को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।
इस शोध को पूरा करने के लिए शोधकर्ताओं ने चुहियों का सहारा लिया। उन्होंने चुहियों को बीसीजी का टीका दिया। कुछ दिन बाद उन्होंने देखा कि कुछ चुहियों में इस टीके का कोई फायदा नहीं हो रहा है। जब इसके कारणों की तलाश की गई, तो शोधकर्ताओं ने पाया कि ये चुहियां पर्यावरणीय जीवाणु की चपेट में हैं, जो कि मिट्टी तथा जल में पाए जाते हैं। यही कारण है कि बीसीजी टीका के अलावा भी कई ऐसे टीके हैं, जो कुछ लोगों में तो काम करते हैं, लेकिन वही टीके कुछ लोगों में काम नहीं करते हैं।
क्षयरोग पर नियंत्रण पाने के लिए यह शोध काफी महत्वपूर्ण है। इस कारण की खोज के बाद अब नया टीका बनाया जाएगा, जो कि पर्यावरणीय जीवाणुओं का भी आसानी से सामना कर ले। इसके पीछे अभी तक कोई ठोस कारण की तलाश नहीं हो पाई थी और शोधकर्ताओं के लिए पहेली बनी हुई थी। लेकिन सी की अध्यक्षता में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने इस कारण की तलाश करने में सफलता प्राप्त कर ली
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