प्रदूषित झील पर अदालत ने जताई नाराजगी

मनोज कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि तुगलकाबाद किले के निकट प्राधिकरण की भूमि पर वन क्षेत्र है और वहाँ स्थानीय निवासी रसायन का प्रयोग करके गैरकानूनी तरीके से कारखाने चला रहे हैं और उनका प्रदूषित कचरा, विषाक्त जल जंगल में बह रहा है जिससे कृत्रिम झील बन गई है।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (जनसत्ता)। अदालत ने चौदवीं सदी के तुगलकाबाद किले के पीछे स्थित प्रदूषित कृत्रिम झील की गन्दगी पर नाराजगी जताई है। गन्दगी की मौजूदगी को अस्वीकार्य करार देते हुए दिल्ली सरकार से इस जलाशय को दुरुस्त करने के बारे में उसकी निश्चित योजना के बारे में जानकारी मांगी है।

अदालत ने कहा कि कुछ नहीं हो रहा है। कोई भी कुछ नहीं करना चाहता। क्या आपकी सरकार की पानी को साफ करने में दिलचस्पी है? वहाँ एकत्र पानी अस्वीकार्य है। अदालत ने सुझाव दिया कि मल शोधन सयन्त्र या इसके लिए पम्पिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में वहाँ पानी साफ करने के लिए जैवविधता तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि समझ में नहीं आता कि दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली सरकार के अधिकारी इन तरीकों के इस्तेमाल के बारे में क्यों नहीं सोच रहे। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार मलशोधन संयन्त्र स्थापित करने के लिए उसे 2.5 एकड़ भूमि चाहिए और इसके पम्पिंग स्टेशन लगाने के लिए 0.5 एकड़ भूमि की जरूरत है। जल बोर्ड ने उचित स्थान के आवंटन के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण को पत्र भी लिखा है। न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने इस मामले में सम्बन्धित लोगों के साथ बैठक करने और योजना तैयार करने का मसला दिल्ली सरकार के विवेक पर छोड़ दिया है। अदालत ने टिप्पणी की कि पिछले साल उसके संज्ञान में या मामला लाये जाने और अदालत के कई निर्देशों के बावजूद अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। अदालत ने दिल्ली सरकार को सम्बन्धित लोगों के साथ बैठक कर योजना पेश करने के लिए 4 नवम्बर तक का समय दिया है। अदालत ने डीडीए से भी कहा है कि वह जल बोर्ड को दोनों विकल्पों में से किसी एक के लिए भूमि आवंटन के बारे में विचार करे।

अदालत मनोज कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि तुगलकाबाद किले के निकट प्राधिकरण की भूमि पर वन क्षेत्र है और वहाँ स्थानीय निवासी रसायन का प्रयोग करके गैरकानूनी तरीके से कारखाने चला रहे हैं और उनका प्रदूषित कचरा, विषाक्त जल जंगल में बह रहा है जिससे कृत्रिम झील बन गई है।

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