झील की झलमल देह
आसमान की आत्मा राँजती है
झील को देखते-देखते
हमारी खुरदुरी आँखें
हो जाती हैं नम्र और मुलायम
झील को विहंगम निहारते
हम सुंदरता का एक पूरा कैनवास
हृदयंगम कर लेते हैं
झील के पास आ-आ कर
झील को सुनते हुए
मैं अपना खो गया संगीत
खोजता हूँ
बहना निहारते-निहारते मैं
पानी का सस्वर पाठ करता हूँ
बिन रियाज़ी कण्ठ के
पत्थर की अमरता में
मेरी चीख चुक जाती है
पानी गला तर करता है
जीभ और होंठों की तमाम नमी के बावजूद
उच्चारण से पता चलता है
आसमान समतल-सपाट नहीं है
जैसा कि वह दीखता है
पृथ्वी पर पराजित हैं
पर पृथ्वी पराजित नहीं है कभी
अपने पानी के बल से
ज़रूरत की चीज़ों से भरा
ठेला धकाता आदमी,
पीता है आँख से झील का पानी
झील से आती हवा को
अपने फेफड़े में भरता है
और बुदबुदाता है कोई प्रशस्ति
ठेला धकाता आदमी
ज़रूरी चीज़ों के साथ
दुनिया को आगे ले जा रहा है
लम्बी उमर का प्रेम
बहते-बहते मृत्यु तक जाता है
जीवन को फिर लौटाने
लौटना एक ज़रूरी क्रिया है
घूँट-घूँट प्यास जीवे
बूँद-बूँद पानी
अक्षर-अक्षर भाषा जीवे
हर आँसू में कहानी
पानी रख ज़िन्दगानी जीवे
जूझ-जूझ कर ग्यानी
घूँट-घूँट प्यास जीवे
बूँद-बूँद पानी
पानी बजता है जब
तरल हृदय ही सहेज पाता है वह
स्पंदित वज़न
पानी का विकल्प पानी है
पसीना सूखने से पहले
धरती पर हरियाली रच चुका होता है!
आसमान की आत्मा राँजती है
झील को देखते-देखते
हमारी खुरदुरी आँखें
हो जाती हैं नम्र और मुलायम
झील को विहंगम निहारते
हम सुंदरता का एक पूरा कैनवास
हृदयंगम कर लेते हैं
झील के पास आ-आ कर
झील को सुनते हुए
मैं अपना खो गया संगीत
खोजता हूँ
बहना निहारते-निहारते मैं
पानी का सस्वर पाठ करता हूँ
बिन रियाज़ी कण्ठ के
पत्थर की अमरता में
मेरी चीख चुक जाती है
पानी गला तर करता है
जीभ और होंठों की तमाम नमी के बावजूद
उच्चारण से पता चलता है
आसमान समतल-सपाट नहीं है
जैसा कि वह दीखता है
पृथ्वी पर पराजित हैं
पर पृथ्वी पराजित नहीं है कभी
अपने पानी के बल से
ज़रूरत की चीज़ों से भरा
ठेला धकाता आदमी,
पीता है आँख से झील का पानी
झील से आती हवा को
अपने फेफड़े में भरता है
और बुदबुदाता है कोई प्रशस्ति
ठेला धकाता आदमी
ज़रूरी चीज़ों के साथ
दुनिया को आगे ले जा रहा है
लम्बी उमर का प्रेम
बहते-बहते मृत्यु तक जाता है
जीवन को फिर लौटाने
लौटना एक ज़रूरी क्रिया है
घूँट-घूँट प्यास जीवे
बूँद-बूँद पानी
अक्षर-अक्षर भाषा जीवे
हर आँसू में कहानी
पानी रख ज़िन्दगानी जीवे
जूझ-जूझ कर ग्यानी
घूँट-घूँट प्यास जीवे
बूँद-बूँद पानी
पानी बजता है जब
तरल हृदय ही सहेज पाता है वह
स्पंदित वज़न
पानी का विकल्प पानी है
पसीना सूखने से पहले
धरती पर हरियाली रच चुका होता है!
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