पन्ना जिले के तालाब


. पन्ना जिला पहाड़ी, पठारी, ऊँचा-नीचा टौरियों एवं घाटियों वाला जंगली क्षेत्र है। यहाँ विन्ध्य, कैमूर एवं भांड़ैर पर्वत श्रेणियाँ हैं। पहाड़ों, टौरियों की पटारों एवं घाटियों को काटती हुई केन, व्यारमा, किल-किला, बरारी, बाघैन, पतनै बरमई, मीरा हसन, अतौनी एवं सिमरधा नदियाँ जिले में बहती हैं। जो जिले का बरसाती धरातलीय पानी जिले से बाहर करती रहती हैं। नदियाँ पठारी पहाड़ी होने से गहरी कम एवं चौड़ी ज्यादा हैं क्योंकि भूमि पर मिट्टी की परत कम है और चीपदार पत्थर (बलुई SANDSTONE) मिट्टी के नीचे बिछा हुआ है।

जिला का पश्चिमी, दक्षिणी एवं पूर्वी भाग ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों, शैल शिखरों एवं ऊँची-नीची घाटियों-खन्दकों वाला वनाच्छादित भू-भाग है। समतल मैदानी भूमि कम है जिस कारण नदियों के जल का बरसाती धरातलीय जल का उपयोग होना असम्भव ही रहा है। पहाड़ी क्षेत्र वन्य पशुओं, प्राणियों का अभयारण्य है। अमानगंज, सिमिरिया, पबई एवं रैपुरा परिक्षेत्रों में पहाड़ों की तराई में जहाँ कहीं जो भूमि समतल है, वह बलुई-रेतीली है, जिसकी मेड़बन्दी कर छोटे-छोटे खेत बना कर उनमें बरसाती पानी संग्रहीत कर धान एवं अरहर पैदा कर ली जाती है। मैदानी समतल भूमि को यहाँ हवेली कहा जाता है। भूमि पर दो-तीन फुट मिट्टी (बलुई रेतीली) की पर्त है जिसे फावड़े से काटकर वर्षा ऋतु में किसान छोटे-छोटे खेत बना लेते हैं जिनमें धान बो लेते हैं। सिंचाई के पानी की कमी के कारण गेहूँ की फसल जिले में न्यून ही की जाती रही है। हाँ, धान, कोदों, जवार मुख्य फसलें हैं जो वर्षा ऋतु की खरीफ की फसल में पैदा होती हैं, वह भी जहाँ कहीं।

पन्ना जिले की भूमि रचना तालाबों के निर्माण के माकूल नहीं है। इसी कारण जिले में तालाब अधिक नहीं पाए जाते। जो तालाब हैं भी, वह चीपदार पत्थर के खंडों एवं मिट्टी के बने हुए निस्तारी तालाब ही हैं। सिंचाई को जलप्रदाय करने वाले तालाब यहाँ कम ही हैं। अच्छे बड़े एवं दर्शनीय तालाब केवल पन्ना नगर में ही हैं, जिन्हें पन्ना के नरेशों ने नगर निवासियों की जलापूर्ति एवं निस्तार के लिये, जनसुविधा के लिये बनवाया था। पन्ना नगर में 4 तालाब बड़े हैं एवं 3-4 तालाब छोटे-छोटे हैं जो नगर के मध्य मुहल्लों में हैं-

धरम सागर, पन्ना- पन्ना नगर के पूर्वी किनारे एक पहाड़ मदार टुंगा नाम से जाना जाता है जो लगभग 1550 फीट ऊँचा है। इस पहाड़ के शिखर पर सूफी सन्त मदारशाह का मकबरा है। मदारशाह दया, धर्म एवं जनकल्याण की प्रतिमूर्ति थे। ऐसे महान धार्मिक सूफी सन्त की स्मृति में ही यह धरम सागर तालाब बनवाया गया था, जो मदार टुंगा पहाड़ की तलहटी में ही है। यह बहुत गहरा है, भूमि खोदकर बना हुआ है। नगर का सुन्दर तालाब है, जो एक झील-सा है। पहाड़ से झिर-झिरकर जल इसमें जमा होता रहा है जिससे इसका जल स्वच्छ एवं निर्मल रहता है। इसमें कमल भी होता है। इस सरोवर के कारण नगर के कुओं का जल स्तर ऊँचा बना रहता है।

लोक पाल सागर पन्ना- पन्ना के राजा लोक पाल सिंह (1893-97 ई.) ने अपने नाम पर ‘लोकपाल सागर’ तालाब का निर्माण कराया था। यह तालाब पन्ना नगर बस्ती से संलग्न, निस्तारी तालाब है जो पहाड़ी खेरा बस मार्ग पर है। इससे 500 हेक्टेयर से अधिक की कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है।

बैनी सागर, पन्ना- बैनी हजूरी पन्ना राजा के कामदार थे। वह पराक्रमी लड़ाका के साथ-साथ जनहित कार्यों में भी दक्ष थे। उन्होंने अपने नाम से ‘बैनी सागर तालाब’ का निर्माण कराया था, जो बस्ती से संलग्न पुराने बस स्टॉप के पास है। वर्तमान में यह तालाब कीचड़, गाद एवं गौंड़र से पट चुका है। इसका जल भी प्रदूषित हो गया है। साफ-सफाई के बिना यह जनोपयोगी तालाब दुर्दशा भोग रहा है।

तिवारी तालाब, पन्ना- एक धनाढ्य तिवारी परिवार ने नगर में जन हितार्थ अपने नाम से तिवारी तालाब का निर्माण कराया था जो जन निस्तारी था। वर्तमान में यह तालाब कचरे से पट रहा है।

नृपत सागर तालाब- पन्ना के महाराजा नृपतसिंह ने अपने शासन काल में, पन्ना नगर के दक्षिणी पार्श्व में, कुंज वन के पास ‘नृपत सागर’ नाम से विशाल तालाब का निर्माण कराया था। वर्तमान में इस तालाब से पन्ना नगर निवासियों को पीने का पानी प्रदाय किया जाता है।

रामकुंड तालाब सारंग- सारंग ग्राम में रामकुंड नाम से प्राचीन तालाब है। इस तालाब को प्राचीन काल से पवित्र माना जाता है। अनेक मन्दिर, देवालय यहाँ हैं। मकर संक्रान्ति के अवसर पर रामकुंड सरोवर पर मेला लगता है। लोग इस तालाब में संक्रान्ति (मकर) के दिन बुड़की (डुबकी) लेने पर अपने को धन्य मानते हैं।

जोधपुर तालाब- गौड़वानी शासन काल में, शाह नगर एवं जोधपुर जोधा शाह गौंड राजा के राज्य के दो बड़े नगर थे। जोधाशाह का राजधानी मुख्यालय जोधपुर था तो उसने अपने शाह (शासक) नाम से शाह नगर कस्बा बसाया था।

जोधाशाह ने अपने जोधा नाम पर, रैपुरा भरवारा परिक्षेत्र के एक विशाल, पठारी ऊँचे पहाड़ पर किला एवं नगर जोधपुर स्थापित किया था। पहाड़ की चोटी समतल एवं लम्बी-चौड़ी है, जिस पर किला जोधपुर बना हुआ है जबकि बस्ती जोधपुर पहाड़ पर ही उत्तरी-पूर्वी पार्श्व में थी, जो अब वीरान, बेचिराग है। बस्ती के खंडहर एवं देवालय बिना देवों के खड़े हुए हैं। किला एवं बस्ती के मध्य विशाल मैदान है जिसमें किला से संलग्न दो तालाब हैं। तालाबों के मध्य से एक मार्ग (बाँध) बस्ती एवं किला को मिलाता है। बाँध मार्ग पर दोनों तालाबों के मध्य में हनुमान जी का मन्दिर है। तालाबों में कमल खिले रहते हैं। तालाबों के उत्तरी भाग में एक विशाल पगवाही बावड़ी (सीढ़ीदार बावड़ी) है जिसमें ग्रीष्म ऋतु में लबालब (ऊपर तक) पानी भरा रहता है। तालाब भी गर्मी की ऋतु में भरे रहते हैं।

जोधपुर नगर एक धन सम्पन्न नगर था जिसे छत्रसाल बुन्देला एवं बहादुर सिंह ने लूटमार कर, मकानों में आग लगाकर जलाकर लोगों को वहाँ से भागने को मजबूर कर दिया था। वर्तमान में पहाड़ पर मात्र 2 तालाब 3-4 बावड़ियाँ, कुएँ एवं हनुमान मन्दिर सही स्थिति में दर्शनीय हैं। मात्र यहाँ एक महन्त जी रहते हैं एवं क्षेत्र के सैलानी भक्त जन आते-जाते रहते हैं।

कुँवरपुरा का तालाब- ग्राम कुँवरपुरा में एक निस्तारी सुन्दर तालाब है। ग्राम कुआँ तालाब, अमदर तालाब, रैया सांटा तालाब, बांद तालाब, अमहा तालाब, पटौरी तालाब भी अच्छे निस्तारी तालाब हैं।

अजयगढ़ के तालाब- अजयगढ़, खजुराहो के बाद दूसरा पुरा संस्कृति नगर रहा है। यहाँ चन्देल काल में कालिंजर एवं खजुराहो जैसै धार्मिक सांस्कृतिक केन्द्रों के मध्य केदार पर्वत पर अजय पाल नामक एक राजस्थानी ऋषि रहा करते थे। अजय पाल ऋषि के नाम पर लोग केदार पर्वत को अजय पहाड़ कहने लगे थे। अजय पहाड़ बहुत ऊँचा रहा है जिसके शिखर तक पहाड़ी जंगल से चढ़कर पहुँच पाना कठिन था। इस पहाड़ के पश्चिमी भाग से केन नदी प्रवाहित है। वाघिन एवं बेरमा नदियाँ भी इसे पूर्वोत्तर भाग से घेरे हुए हैं। कूँड़े सी प्राकृतिक भौमिक संरचना के मध्य केदार पर्वत खड़ा हुआ है जो समुद्र तल से 1744 फुट ऊँचा है।

सन 830 ई. के लगभग चन्देल राजा जयशक्ति ने केदार पर्वत के शिखर पर अजेय दुर्ग ‘जय दुर्ग’ का निर्माण कर किला बनवाया था तथा किला के नीचे गोलाकार पहाड़ों के मध्य तराई में अजयगढ़ बस्ती बसाई थी। किला पत्थर की शिलाओं से बनाया गया था। किले के अन्दर ‘रंग महल’ बना हुआ है। जिसमें चंदेल राजा निवास किया करते थे। रंग महल और किला खजुराहो से भी अधिक आकर्षक है। सम्पूर्ण रंग महल आकर्षक नवयौवनाओं नर्तकियों, देवियों से चित्रित किया गया है, जिनकी मुद्राएं, भावभंगिमाएं व्यक्ति को चकित कर देती हैं, हैरानी में डाल देने वाली हैं।

अजयगढ़ दुर्ग के अन्दर, रानियों के तैरने, स्नान करने के लिये 2 केलि सारिणी (Swiming Pool) बनी हुई हैं। जिन्हें पहाड़ के पत्थर काटकर बनाया गया था। इनमें चन्देल रानियाँ तैरकर स्नान का आनन्द उठाया करती थीं। इन केलि सारिणियों को गंगा-जमुना कुण्ड कहा जाता है।

अजयगढ़ किले में दो तालाब हैं जिन्हें अजयपाल तालाब एवं परमाल तालाब कहा जाता है। वीर वर्मा चन्देल राजा ने किले के अन्दर ही अपनी रानी कल्याण देवी के नाम पर नन्दीपुर क्षेत्र में कल्याण सागर तालाब का निर्माण कराया था। अजयगढ़ दुर्ग (जय दुर्ग) में एक गहरी बावड़ी भी है जिसे बीरा नामक चन्देल ने बनवाया था। इसे बीरा की बावड़ी कहते हैं।

अजयगढ़ के पास दो तालाब हैं जो ग्रामों से संलग्न हैं। जो पोखना तालाब एवं खोई तालाब हैं वह चन्देलकालीन ही हैं। अजयगढ़ नगर में प्राचीन मिंचन तालाब है जो जन निस्तारी है।

रैपुरा के तालाब- रैपुरा पन्ना राज्य का पूर्वकालिक तहसीली मुख्यालय था। तहसीली कचहरी इमारत से संलग्न मिट्टी का बना हुआ तालाब है। तालाब के घाट पक्के बने हुए हैं। यह ग्राम का निस्तारी तालाब है। एक दूसरा तालाब गाँव के बाहर है, जो मिट्टी से भर चुका है। बाँध की केवल पैरियां दृष्टव्य हैं, समीप में श्री हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है, जो धनुष बाण संधाने हुए है।

कुठार तालाब- कुठार ग्राम अजयगढ़ परिक्षेत्र में है। यह प्राचीन धार्मिक सांस्कृतिक स्थल रहा है। कुठार में माहिल पड़िहार का बनवाया हुआ एक सु्न्दर चन्देली तालाब है। माहिल पड़िहार उरई का था तथा परमालदेव का साला एवं रानी मलना देवी का भाई था।

दुर्गा तालाब- पन्ना राज्य शासनकाल का यह ऐतिहासिक तालाब था जिसका निर्माण चन्देलों के समय हुआ था। इस तालाब पर पन्ना राज्य के दो कामदारों-वैनीहुजुरी एवं चौबे खेमराज के मध्य भीषण युद्ध हुआ था।

सामान्यतः तो पन्ना जिला की भूमि कृषि काबिल है ही नहीं, परन्तु जो भूमि जहाँ समतल है, ऐसी भूमि पर छोटे-छोटे खेत बनाकर, उनकी ऊँची मेड़बन्दी कर छोटी-छोटी बंधियां बनाकर तलइयां सी बना ली जाती हैं। जिनमें धान की खेती की जाती है। बलइया घाटी की तलहटी में ऐसी सैकड़ों तलइया हैं।

.गंगऊ बाँध- सन 1912 ई. में ब्रिटिश सरकार ने केन नदी पर गंगऊ नामक स्थल पर पहाड़ों के मध्य गंगऊ बाँध का निर्माण कराया था। गंगऊ बाँध के नीचे जल प्रवाह को रोकने हेतु बरियारपुर में छोटा बाँध बनाया गया था, जिससे नहर निकालकर कुछ कृषि भूमि अजयगढ़ परिक्षेत्र की सिंचाई करती हुई, पूरा पानी बाँदा जिले की बबेरू तहसील को मिलता रहा है।

बड़ौर का तालाब- बड़ौर ग्राम पन्ना से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर मझगवाँ हीरा खदान के समीप है। बड़ौर में एक सुन्दर तालाब है जो निस्तारी है। उससे कुछ सिंचाई भी होती है। तालाब के बाँध पर एक सुन्दर शिव मन्दिर है जो क्षेत्र का प्रसिद्ध मन्दिर है।

इनके अलावा पन्ना जिले में निम्नांकित तालाब भी हैं-

दुबे तालाब, बृजपुर तालाब, सुनेहरा, तालाब, बराछ तालाब, आधार तालाब, विक्रमपुरा तालाब, रमपुरा तालाब, हाटपुर तालाब, जमुन हाई तालाब, भवानीपुर तालाब, मुठवा तालाब, रानीताल तालाब, भावतपुर तालाब, पवइया तालाब, ककरहाई तालाब, सुगरहा तालाब, राजा तालाब, कोहा तालाब, करही तालाब, चिरहाँ तालाब, कुँवरपुरा तालाब, खमरिया तालाब, ऊमरी तालाब, कुआँताल तालाब, बीरानाला तालाब, रैया साटी तालाब, बड़ागाँव तालाब, अमदर तालाब, कटरा तालाब, पड़रहा तालाब एवं अमहा तालाब।

 

बुन्देलखण्ड के

तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

2

टीकमगढ़ जिले के तालाब एवं जल प्रबन्धन व्यवस्था

3

छतरपुर जिले के तालाब

4

पन्ना जिले के तालाब

5

दमोह जिले के तालाब

6

सागर जिले की जलप्रबन्धन व्यवस्था

7

ललितपुर जिले के तालाब

8

चन्देरी नगर की जल प्रबन्धन व्यवस्था

9

झांसी जिले के तालाब

10

शिवपुरी जिले के तालाब

11

दतिया जिले के तालाब

12

जालौन (उरई) जिले के तालाब

13

हमीरपुर जिले के तालाब

14

महोबा जिले के तालाब

15

बांदा जिले के तालाब

16

बुन्देलखण्ड के घोंघे प्यासे क्यों

 


TAGS

Water Resources in Panna in Hindi, Panna Ponds history in Hindi, history of Ponds of Panna, Panna Ponds history in hindi, Panna city and rural Ponds information in Hindi, Panna palace and Ponds information in Hindi, Panna fort and Ponds, Panna ke talabon ka Itihas, Panna ke talabob ke bare me janakari, hindi nibandh on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel), quotes Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi meaning, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi translation, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi pdf, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, hindi poems Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel), quotations Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi font, health impacts of Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, hindi ppt on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel), Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) the world, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, language, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel), Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, essay in hindi, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi free, formal essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel), essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language pdf, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi wikipedia, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language wikipedia, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language pdf, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi free, short essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) and greenhouse effect in Hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi font, topic on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in 1000 words in Hindi, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) for students in Hindi, essay on Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) for kids in Hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) and solution in hindi, globle warming kya hai in hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) quotes in hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) par anuchchhed in hindi, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi language pdf, Panna Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi language.


Path Alias

/articles/pananaa-jailae-kae-taalaaba

Post By: Hindi
×