यदि पर्यावरण बचाने की कोशिश रंग लाती है तो यह अभियान सफल होने में देर नहीं लगाएगा। जानकारों का कहना है कि वैसे राज्य के प्रत्येक बस अड्डो में ‘बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन’ लगनी चाहिए। कहा कि प्रत्येक जिलों के विकास भवनों में यदि बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन लगती है तो पानी में मिलने वाली बिमारियों से 50 प्रतिशत की कमी होगी।
उत्तराखण्ड राज्य का दिल बसता है सुभाष रोड पर स्थित उत्तराखण्ड सचिवालय में। मानों यदि किसी के दिल में छेद हो जाये तो शायद ही वह जिन्दा रह पाये। ऐसा ही होने जा रहा था उत्तराखण्ड के सचिवालय में। जहाँ प्लास्टिक की बोतलें सचिवालय के दिल में छेद करने के लिये आतुर बैठ गई थी। पर राज्य के निजाम ने इसके खतरों को भाँपते हुए बाकायदा एक व्यवस्थित कार्यक्रम बना डाला। और सचिवालय परिसर में फिट करवा डाली बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन। जिसके मार्फत कम-से-कम प्लास्टिक बोतलों का कचरा तो यहाँ सचिवालय में दिखाई ना दे। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो राज्य का सचिवालय प्लास्टिक मुक्त हो सकता है। जो प्रधानमंत्री श्री मोदी के स्वच्छता अभियान की एक कड़ी हो सकती है।वैसे तो उत्तराखण्ड के सचिवालय में दिन भर विशेष सफाई होती है। फिर भी नालियाँ चोक होती ही हैं। नालियों को चोक होने का कोई अलग राज नहीं है। बल्कि प्लास्टिक कचरा यानि पानी की खाली बोतलें ही सीवर की निकासी को रोक देती है। सचिवालय के कर्मचारियों का कहना है कि अभी मात्र प्लास्टिक बोतलों के निस्तारण के लिये ही मशीन लगी है। अन्य कचरा जैसे खाने के पैकेट की पैकिंग, स्टेशनरी में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक सामग्री जो आये दिन सचिवालय में यदा-कदा दिखाई ही देती है के निस्तारण के लिये अब तक सोचा नहीं गया है।
स्पेश संस्था से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि देहरादून में सबसे खतरनाक व जहरीला सीवर सचिवालय से ही निकलता है। कई बार सचिवालय का सीवर जब चोक हुआ तो इससे रीसने वाली बदबू के कारण पास के कन्या इंटर कॉलेज व सेंट जोसेफ स्कूल के बच्चे कई बार बीमार हो गए। और-तो-और सुभाष रोड एवं राजपुर रोड पर चलने वाले मुसाफिरों का चलना इस बदबू से मुहाल हो जाता था।
सचिवालय के आस-पास के लोगों को जब यह खबर मिली कि बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन सचिवालय परिसर में लग चुकी है तो उन्होंने राहत की साँस ली है कहा कि सचिवालय में ही नालियों के चोक होने की सर्वाधिक समस्या थी सो काफी हद तक राहत मिल सकती है।
ज्ञात हो कि सचिवालय में प्रतिदिन लगभग पाँच हजार पानी की बोतलें खाली होती हैं, जो चारो ओर यूँ बिखरी रहती हैं। इन्हीं बोतलों के कारण से कई बार नालियाँ चोक हो जाती थीं। सचिवालय परिसर को ‘ईको फ्रेंडली’ बनाने का यह पहला प्रयास हो सकता है। यह कब रंग लाएगा, यह समय ही बता पाएगा, परन्तु सचिवालय में बैठे हुए सरकार के जिम्मेदार मुलाजिम अब पानी की खाली बोतलों को पुनः उपयोग कर सकते हैं और बिखरी हुई पानी की खाली बोतलों की रिसाइकिल से परिसर का सौन्दर्य वापस लौट सकता है।
यहीं से यदि पर्यावरण बचाने की कोशिश रंग लाती है तो यह अभियान सफल होने में देर नहीं लगाएगा। जानकारों का कहना है कि वैसे राज्य के प्रत्येक बस अड्डो में ‘बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन’ लगनी चाहिए। कहा कि प्रत्येक जिलों के विकास भवनों में यदि बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन लगती है तो पानी में मिलने वाली बिमारियों से 50 प्रतिशत की कमी होगी।
जी हाँ अब हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय परिसर में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अन्तर्गत ‘बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन’ का जो उद्घाटन कर दिया है, देखना यह होगा कि सचिवालय कर्मी और सचिवालय में आने-जाने वाले आगन्तुक कितने संवेदनशील होते हैं कि लोग बन्द बोतल के पानी का इस्तेमाल करके उसके पश्चात प्लास्टिक की खाली हुई बोतल को बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन में रिसाइकिल बाबत उपयोग करें। यह बात इसलिये सन्देह के घेरे में है कि राज्य में जितने भी नगर निकाय हैं उनके पास ‘कचरा निस्तारण’ के लिये करोड़ों की मशीनें जंक खा रही हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि सचिवालय में विभागीय कार्यों के लिये जनता का आवागमन बना रहता है एवं कार्मिकों की संख्या भी अधिक है। इसलिये रिवर्स वेंडिंग मशीन के प्रयोग से लोगों के व्यवहार में परिवर्तन के साथ ही इसका प्रभाव स्वच्छता के लिये बड़े स्तर पर पड़ेगा और उपयोग की गई प्लास्टिक बोतलों का उचित निस्तारण भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसका शुभारम्भ सचिवालय में प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है, ताकि भविष्य में कम-से-कम इस मशीन का प्रयोग सभी सरकारी व गैर सरकारी विभाग कर सकें।
स्वजल परियोजना के निदेशक डॉ. राघव लंगर कहते हैं कि इस आर.वी.एम. द्वारा प्लास्टिक की बोतलों को क्रश कर प्लास्टिक फ्लैक्स के रूप में परिवर्तित किया जाता है। प्लास्टिक की बोतल को मशीन के अन्दर डालने पर सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा स्क्रीन पर अपना मोबाइल नम्बर डालने के पश्चात धन्यवाद सन्देश आएगा। उन्होंने बताया कि इस रिवर्स वेंडिंग मशीन में एक डिजिटल स्क्रीन लगी है। जिसको पेन ड्राइव के माध्यम से चलाया जाएगा तथा राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी इस मशीन की स्क्रीन पर आडियो-वीडियो के माध्यम से प्रसारित की जाएगी।
दिलचस्प यह है कि प्लास्टिक का पूरी तरह से निस्तारण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। पर्यटन प्रदेश कहा जाने वाले उत्तराखण्ड राज्य में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध होने के बावजूद भी धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है। अब पर्यावरण को प्लास्टिक के नुकसान से बचाने के लिये राज्य के सचिवालय में अनोखा उपाय किया जा रहा है। इसके अलावा प्लास्टिक और अपशिष्ट कूड़े से ईंधन बनाने की तैयारी की जा रही है इसके लिये मुम्बई की एक निजी कम्पनी यहाँ देहरादून में प्लांट लगाएगी।
इधर कम्पनी से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि इससे शहर के साथ-साथ अन्य शहरों के 15 टन प्लास्टिक से रोज 700 सौ लीटर तक ईंधन तैयार किया जा सकेगा। बड़ी बात यह है कि इस प्लांट के लगने से राज्य के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बता दें कि प्लास्टिक के इस्तेमाल पर राज्य में पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा हुआ है इसके बावजूद दुकानदार और व्यापारी बिना किसी डर के इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। यही वजह है कि पॉलिथीन के डम्पिंग ग्राउंड बनाने के लिये देहरादून में एक जगह निश्चित कर दी गई है।
इस पर दून के मेयर व मौजूदा विधायक विनोद चमोली ने बताया कि प्लास्टिक निस्तारण के लिये शीशमबाड़ा प्लांट के पास ही जमीन दी जाएगी। कहा कि सरकार इस प्लांट के जरिए प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाना और दूसरा युवाओं को रोजगार से जोड़ना भी है।
कहा जा रहा है कि यदि सरकार की यह योजना परवान चढ़ गई तो देहरादून का सौन्दर्य वापस लौट सकता है। पानी, हवा, धूप जैसी प्रकृति की नेमते देहरादून में फिर से दिखाई देगी। यह सच है कि प्लास्टिक की बोतलों को लोग उपयोग करने के बाद खुले स्थान पर फेंक देते हैं, जिससे गन्दगी फैलने व नालियों के चोक होने की सम्भावना बनी रहती है व पानी का निकास नहीं हो पाता है। प्लास्टिक की बोतलों को जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
स्वजल परियोजना एवं इलाहाबाद बैंक के सहयोग से स्थापित इस बायो-क्रश रिवर्स वेंडिंग मशीन का उद्देश्य सचिवालय परिसर में प्लास्टिक बोतलों के उपयोग के पश्चात उनका निस्तारण एवं रिसाइकिलिंग किया जाना है। मशीन द्वारा प्लास्टिक की बोतलों के निस्तारण होने से स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ पर्यावरण साफ सुथरा रहेगा... उत्पल कुमार सिंह, मुख्य सचिव उत्तराखण्ड
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Post By: RuralWater