ऊ रव्या तस्य सूत्रावस्य श्री जयनाग सुन
ना आनन्देस्यमुत्कीर्ण विश्वकर्मस्य पुरादिना
आशय है कि सूर्य को प्रणाम सूत्राधार जयनाग के पुत्र आनन्द ने प्राचीन विश्वकर्म आदि के आधार पर इसको उत्कीर्ण किया है।
सूर्य मन्दिरः मण
जिला चम्पावत की तहसील लोहाघाट के अन्तर्गत चमदेवल के समीप ग्राम मण की सीमा में पिढ़ा शैली के शिखर युक्त महत्त्वपूर्ण देवालय हैं। स्थानीय लोग इसे देवी मन्दिर के नाम से पुकारते हैं। देवालय के तलछन्द योजना में गर्भ गृह एवं अन्तराल का प्रावधान है। ऊर्ध्वछन्द योजना के अन्तर्गत खुर कुम्भ तथा अन्तर्पट्ट गढ़नों तथा पट्टियों से युक्त पिढ़ा शिखर और उसके ऊपर आमलसारिका विद्यमान है। सादा प्रवेश द्वार, कपिली अथवा शुकनाश बना चैत्य गवाक्ष के मध्य आसनस्थ सूर्य तदुपरान्त एक मुख बिम्ब का अंकन किया गया है। इसके ऊपर गजसिंह विद्यमान है। देवालय के शुकनाश में विद्यमान प्रतिमा मुझे सूर्य की प्रतीत नहीं होती। इसके अतिरिक्त यह मन्दिर उत्तराभिमुख है। पंचदेव प्रतिमाओं में उत्तर में देवी पार्वती अथवा ब्रह्मा को स्थान दिया गया है। इसलिए भी सूर्य मन्दिर नहीं हो सकता। चूँकि मन्दिर के जंघा भाग की भित्ति पर देवनागरी लिपि में एक अभिलेख अंकित है। यह देवालय कालक्रम की दृष्टि से लगभग 8वीं सदी ई. का प्रतीत होता है। इस स्थल पर एक आधुनिक देवालय विद्यमान है। जिसमें प्राचीन देवालयों के अवशेष के साथ सूर्य की खण्डित प्रतिमाएँ विद्यमान हैं। यह प्रतिमा लगभग 10वीं सदी की प्रतीत होती है।
रमकादित्य
धूनाघाट मोटरमार्ग पर विद्यमान भिंगराड़ा नामक स्थल से रमक पहुँचा जा सकता है। भिंगराड़ से लगभग 10 किमी. की दूरी पर रमकादित्य मन्दिर स्थित है। नवनिर्मित मन्दिर के गर्भ गृह में सूर्य प्रतिमा विद्यमान है। सम्भवतया नवनिर्मित मन्दिर के गर्भ गृह में प्राचीन सूर्य मन्दिर हो सकता है जो स्पष्ट नहीं है।
95 x 40 सेमी. माप की काले प्रस्तर में निर्मित सूर्य की विशाल प्रतिमा स्थानक है। सूर्य समभंग मुद्रा में खड़े हैं। सूर्य के पाद पीठ पर सात अश्वों का अंकन है। दोनों पार्श्वों में अंजलि मुद्रा में एक-एक उपासक बैठा है। दाएँ पार्श्व में पिंगल तथा बाएँ में दण्डी तथा एक-एक चंवरधारिणी निरूपित है। सूर्य के दोनों पार्श्वों के मध्य भू-देवी दर्शायी गई है। चंवरधारिणी सम्भवतः ऊषा एवं प्रत्यूषा हैं। उन दोनों ओर सिंह, ब्याल तथा शीर्ष के दोनों ओर भी एक-एक बैठी प्रतिमाएँ दृष्टिगोचर हैं। शीर्ष पर किरीट तथा पृष्ठ भाग में पद्म पत्रों से युक्त प्रभामण्डल है। सूर्य के दोनों हाथ कन्धे तक उठे हैं। जिसमें सनाल पूर्ण विकसित पद्म पुष्प धारण किये हुए हैं। यह प्रतिमा लगभग 11-12वीं सदी की प्रतीत होती है।
सूर्य मन्दिरः मड़
यह दोनों जिलों का सबसे बड़ा मन्दिर है। तहसील डीडीहाट के अन्तर्गत चौबाटी मोटर मार्ग में ग्राम मड़ में सूर्य मन्दिर विद्यमान है। यहाँ स्थानीय ग्रेनाइट प्रस्तर खण्डों द्वारा निर्मित 10 मन्दिरों का समूह है, जिसमें मुख्य सूर्य मन्दिर है। पूर्वाभिमुख तरछन्द योजना के अन्तर्गत 2.66 x 2.78 मी. माप का गर्भगृह तथा अन्तराल निर्मित है। मन्दिर के सम्मुख मण्डप का निर्माण कालान्तर में ग्रामीण जनों द्वारा किया गया है। ऊर्ध्वछन्द योजना के अन्तर्गत 66 सेमी. ऊँचे अधिष्ठान पर खुर, कुम्भ तथा कलश गढ़नों से युक्त 78 सेमी. ऊँचा वेदीबन्ध 1.10 मी. जंघा में अन्तर्पट्ट देकर भूमि आमलकों से युक्त त्रिरथरेखा शिखर का निर्माण किया गया है। शिखर के ऊपर सग्रीव आमलक विद्यमान है। वेदीबन्ध कलश के गढ़नों के मध्य तीनों ओर लघु आकृति चैत्यगवाक्ष बने है। जंघा भाग के मध्य तीनों ओर एक-एक प्रकोष्ठ बने हैं जिनमें कोई भी प्रतिमा विद्यमान नहीं है। शिखर पर यत्र-तत्र चैत्य गवाक्ष आकृतियाँ बनी हैं। जल प्रलानक उत्तराभिमुख है। मन्दिर के गर्भ गृह में मुख्य देवता के रूप में आसनस्थ सूर्य की पूजा होती है।
1.05 x .54 मी. माप की हरे प्रस्तर में निर्मित द्विभुजी सूर्य सात अश्वों के एक चक्रीय रथ पर सुखासन में बैठे हैं। दोनों हाथ स्कन्ध तक उठे हैं और उनमें पूर्ण विकसित कमल धारण किए हैं। वस्त्राभूषणों आदि में प्रभामण्डल मुकुट, कुण्डल, कण्ठाभरण, रस्सी जैसी ऐंठन वाली मोटी माला, दुपट्टा, मोटी मेखला, वक्षस्थल से नाभि तक चोलक, कंकण तथा उपानह धारण किये हुए हैं। चोलक उदरबन्ध द्वारा भली-भाँति बँधा हुआ है। मेखला की लड़ियाँ जंघा प्रदेश तक लोट रही हैं। घोड़ों की रास पकड़े सारथी घोड़ों को सरपट भगाने मेें तत्पर हैं। सूर्य के ऊर्ध्व पार्श्वों में एक-एक उड़ता हुआ मालाधारी गन्धर्व युगल अंकित है। अधो पार्श्वों में क्रमशः दाएँ एवं बाएँ, अनुचर पिंगल तथा दण्डी, ऊषा एवं प्रत्यूषा पंक्तियाँ निरूपित हैं। दोनों किनारों पर एक-एक गज सिंह की प्रतिमाएँ भी अंकित है।
सूर्य की प्रतीमा आयताकार अर्घा में स्थापित की गई है। कला की दृष्टि से यह प्रतिमा लगभग 9वीं सदी की प्रतीत होती है। यहाँ पर बने सात अन्य लघु देवालय सभी पिढ़ा शैली के हैं।
सूर्य मन्दिरः चौपता
जिला पिथौरागढ़ की डीडीहाट तहसील में देवलथल के निकट चौपाता गाँव में सूर्य मन्दिर है। पिथौरागढ़ देवलथल मोटरमार्ग वाया मसूरैगाड़ से चौपाता तक बस अथवा जीप से पहुँचा जा सकता है। चौपाता ग्राम के मध्य सड़क से मात्र 250 मी. की दूरी पर मन्दिर विद्यमान हैं। चौपाता ग्राम के सूर्य मन्दिर की तलछन्द योजना में सामान्य वर्गाकार गर्भगृह के सामने आयताकार अन्तराल निर्मित किया गया है। गर्भगृह और अन्तराल की दीवारें सादी हैं। गर्भगृह में प्रतिमा स्थापित किये जाने हेतु पीठिका बनाई गई है। गर्भ में रखी प्रतिमा पीठिका के अनुसार बड़ी है। परन्तु इस प्रतिमा को स्थापित किये जाने हेतु पीठिका की माप अलग है। अर्थात यह प्रतिमा किसी अन्य देवालय से उठाकर रखी गई है (प्रतिमा के अनुसार सूर्य मन्दिर कहा जाना सम्भव नहीं है)।
गर्भगृह की बाहरी माप 2.04 x 2.04 मी. है। मन्दिर की ऊर्ध्वछन्द योजना में सामान्य प्रसादपीठ पर जाड्यकुम्भ कर्णिका, कलश, कुम्भ से सज्जित वेदीबन्ध बनाया गया है। उसके ऊपर दो भागों में विभक्त पंचरथ सादे जंघा के ऊपर कपोत पट्टी छाद्य और सादा अन्तर्पत्र छोड़कर नागर शैली का पंचरथ, चतुर्भूमि रेखा शिखर बनाया गया है। शिखर के कर्ण और प्रतिभद्र तीन-तीन भूमि आमलकों द्वारा सज्जित हैं। शीर्ष पर ग्रीवा के ऊपर आमलकसारिका शोभायमान है। मन्दिर का त्रिशाखा द्वार पूर्वाभिमुख है। इसका दाहिना द्वार शाखा भग्न है। ललाट विम्ब पर गणेश विराजमान हैं। शैली के अनुसार यह मन्दिर लगभग 11वीं सदी का है।
मन्दिर के गर्भगृह में रखी हरे प्रस्तर में निर्मित सूर्य की प्रतिमा 71 x 45 सेमी. माप की है। समपाद मुद्रा में खड़े द्विभुज सूर्य को किरीट मुकुट, कर्ण कुण्डल, कण्ठहार, ग्रैवेयक, उदरबन्ध, मेखला और कंकण से सज्जित दर्शाया गया है। वे चोलक और उपानह धारण किये हुए हैं। उनकी बाहों पर लहराता हुआ उत्तरीय प्रदर्शित है। योद्धाओं की सज्जा के अनुरूप उनके हाथों पर चढ़ा हुआ रक्षा-कवच दिखाया गया है। पत्रावली से अंलकृत उत्तरीय के दायें पार्श्व पर कटार बँधी हुई है। कन्धों तक उठे उनके दोनों हाथों में से दायाँ हाथ उनकी कोहनी के ऊपर नग्न है। बाएँ हाथ में फुल्ल पद्म शोभित है। चरण चौकी को पत्रावली द्वारा सजाया गया है। उनके सिर के पीछे पद्म प्रभामण्डल शोभायमान है।
सूर्य के दोनों पार्श्वों वाम में दण्डी एवं दाएँ में पिंगल नामक गण चौरी धारिणी और नमस्कार मुद्रा मेें दोनों हाथ जोड़कर बैठी हुई उपासिकाएँ निरूपित हैं। दाएँ पार्श्व में त्रिभंग मुद्रा में खड़े कूर्चधारी उदीच्यवेशीय पिंगल के दाएँ हाथ में लेखनी और बायें में पत्र है। उनकी दाहिनी कोहिनी के नीचे मसिपात्र दर्शाया गया है। बायें पार्श्व में त्रिभंग में खड़े उदीच्यवेशीय दण्डी के हाथ मेें कृपाण शोभित है, बाँया हाथ कट्यावलम्बित है। चौरीधारिणी स्त्रियों की पहचान कदाचित सूर्य की पत्नियों से की जा सकती है। निचले वान पार्श्व में बैठी स्त्री के दाएँ हाथ में चौरी और वाम में पुष्प है। सूर्य की कोहनी के पार्श्व में निरूपित धनुष लेकर बैठी हुई स्त्रियों की पहचान उनकी अन्य दो स्त्रियों ऊषा एवं प्रत्यूषा से की जा सकती है। उनके पैरों के बीच में महाश्वेता देवी दर्शाई गई हैं। परिकर का उत्तरी सिरा पत्रावली से सज्जित है। उनके ऊपरी पार्श्वोंं में एक-एक मालाधारी विद्याधर दर्शाये गये हैं। परिकर के नीचे वाह्य पार्श्वों पर ब्याल, गज और शार्दूल निरूपित हैं। शैली के अनुसार यह प्रतिमा लगभग 10वीं सदी की प्रतीत होती है।
सूर्य मन्दिरः भाप-पाभैं
चंद राजा उद्योत चंद ने 1693 ई. में गंगोलीहाट के पास भौनादित्य मन्दिर को भूमि दान दिया था। अभी तक ज्ञात चंद राजाओं में सबसे पहले भूमि अर्पण इसी राजा के द्वारा की गई है।
गंगोलीहाट तहसील के अन्तर्गत भाम-पाभैं ग्राम में बड़ादित्य का मन्दिर है। प्राचीन जीर्ण-शीर्ण मन्दिर को तोड़कर नवनिर्मित कर दिया गया है। इस नवनिर्मित मन्दिर में रखी गई सूर्य की प्रतिमा को सीमेन्ट से चिपका दिया गया है जिससे उसका ऊपरी प्रभामण्डल एवं नीचे पाद भाग व दोनों ओर का पार्श्व भाग भी दब चुका है। यह प्रतिमा कला की दृष्टि से लगभग 10वीं सदी की प्रतीत होती है।
सूर्य मन्दिरः दुगई
गंगोलीहाट तहसील के अन्तर्गत दुगई में सूर्य मन्दिर है। यहाँ का सूर्य मन्दिर जंघा भाग तक ईंटों का बना है। इसका शिखर भाग लकड़ियों का बनाया गया है। यह कहा जा सकता है कि यह मन्दिर मूल न होकर ग्रामवासियों द्वारा इसे बाद में अपने ढंग से नवनिर्मित किया गया है। जंघा बाग में लगी ईंट व मन्दिर की लम्बाई x चौड़ाई x ऊँचाई लगभग 4.50 x3.50 x3 मीटर हैं। इस मन्दिर के गर्भगृह में तीन सूर्य प्रतिमाएँ व अन्य देव प्रतिमाएँ भी रखी गई हैं। वर्तमान समय में इसे स्थानीय जन शिव मन्दिर के नाम से भी पुकारते हैं।
जिला पिथौरागढ़ तथा चम्पावत की सूर्य प्रतिमाएँ |
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ग्राम का नाम |
मन्दिर स्थल |
स्वतन्त्र/ स्थानक का नाम |
स्थानक प्रतिमा |
एक /दो चार/ सप्त अश्व |
सुखासन/ उत्कूटिका |
नवगृह |
माप |
लगभग सदी |
मड़ चौबाटी |
सूर्य मन्दिर |
- |
- |
सप्त अश्व |
- |
- |
10x54 सेमी. |
9वीं |
द्यारी |
दुलेश्वर महादेव |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
38x20 सेमी. |
9वीं |
चौपखिया |
चौमू देवता |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
51x29 सेमी. |
4वीं |
नकीमा1 |
भूमिया थान |
- |
द.पि. |
- |
- |
25ंंx14 सेमी. |
15वीं |
|
नकीमा2 |
भूमिया थान |
- |
द.पि. |
- |
- |
-5 |
59x29 सेमी. |
8वीं |
घुंसेरा1 |
गुफा मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
30x21 सेमी. |
9वीं |
घुंसेरा 2 |
गुफा मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
-2- |
21x13 सेमी. |
10वीं |
कुमौड़ |
हथकटिया देवी |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
68x26 सेमी. |
7वीं |
|
गैठना |
मनसादेवी मन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
59x24 सेमी. |
7वीं |
गैठना2 |
मनसा देेवी मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
25x15 सेमी. |
10वीं |
गैठना 3 |
- |
- |
- |
एक अश्व पट्ट |
- |
- |
24x13 सेमी. |
10वीं |
विषाड़ |
विल्वेश्वर महादेव |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
84x25 सेमी. |
7वीं |
मैथाना 1 |
भगवती मन्दिर |
- |
- |
सप्त अश्व |
- |
- |
51x18 सेमी. |
12वीं |
मैथाना 2 |
भगवती मन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
16x11 सेमी. |
8वीं |
रुईना 1 |
सैम मन्दिर |
- |
द.पि. भग्न |
- |
- |
- |
47x19 सेमी. |
13वीं |
रुईना 2 |
सैम मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
47x29 सेमी. |
9वी |
जाख पन्त |
जगदम्बा मन्दिर |
- |
- |
- |
उत्कूटिकासन |
- |
48x36 सेमी. |
9-10वीं |
दुगई आगर 1 |
सूर्य मन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
70x29 सेमी. |
8वीं |
दुगई आगर 2 |
सूर्य मन्दिर |
- |
द.पि. विद्याधर |
- |
- |
- |
35x24 सेमी. |
12वीं |
दुगई आगर 3 |
सूर्य मन्दिर |
- |
द.पि.विद्याधर |
- |
- |
- |
31x19 सेमी. |
15वीं |
चौपाता |
सूर्य मन्दिर |
- |
द.पि उ.वि प्र.सहित |
- |
- |
- |
71x45 सेमी. |
10वीं |
डाबरी 1 |
नकुलेश्वर |
- |
- |
- |
- |
द्वि.धोती |
45x25 सेमी. |
9वीं |
डाबरी 2 |
नकुुलेश्वर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
35x25सेमी. |
9वीं |
मरसोली |
महादेव |
- |
भग्न |
- |
- |
- |
- |
10वीं |
कन्देला |
पुंगेश्वर महादेव |
- |
द.पि. परिकर |
- |
- |
- |
34x21 सेमी. |
10वीं |
भामपाभै |
पड़ादित्य |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
- |
10वीं |
दन्तोली |
कंठकेश्वर महादेव |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
42x23 सेमी. |
8वीं |
देवराड़ी पन्त |
वैष्णवी मन्दिर |
- |
द.पि |
- |
- |
- |
46x26 सेमी. |
9वीं |
रौपयेड़ |
रौद्रेश्वर मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
40x10सेमी. |
10वीं |
हाटगाँव
भुवनेश्वर |
राममन्दिर पाताल भुवनेश्वर |
-
- |
-
द.पि. |
चार अश्व - |
-
- |
-
- |
56x30 सेमी. 36x29 सेमी. |
10वीं
10वीं |
घाट |
राममन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
56x40 सेमी. |
9वीं |
गंगोलीहाट 1 |
विष्णु मन्दिर |
- |
द.पि.प.सहित |
सप्त अश्व |
- |
- |
58x35 सेमी. |
10वीं |
गंगोलीहाट 2 |
विष्णु मन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
खण्डित |
9वीं |
मोस्टा बकोड़ा |
शिव मन्दिर |
- |
द.पि प. सहित |
- |
- |
- |
60x40 सेमी. |
7वीं |
चामी गाँव |
जलधारा |
- |
भूदेवी व गन्धर्व |
- |
- |
- |
60x27 सेमी. |
11-12वीं |
छन्दीरेगडू |
देवी मन्दिर |
- |
- |
- |
- |
द्विभुजी |
72x30 सेमी. |
10वीं |
पसेला |
भूमियाथान |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
73x30 सेमी. |
8वीं |
रकम |
रकमादित्य |
- |
द.पि.भू.ग.उ.प्र |
- |
- |
- |
95x42 सेमी. |
11-12वीं |
चिमोली 1 |
नन्दादेवी मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
71ंx39 सेमी. |
7वीं |
चिमोली 2 |
नन्दादेवी मन्दिर |
- |
द.पि.विद्याधर |
- |
- |
- |
42x32 सेमी. |
10वीं |
गड़सारी 1 |
रक्षादेवी मन्दिर |
अर्ध वि.पु |
- |
- |
- |
- |
- |
8वीं |
गड़सारी 2 |
रक्षादेवी |
- |
- |
एक सप्त अश्व |
- |
- |
66x33 सेमी. |
12वीं |
गड़सारी 3 |
रक्षादेवी |
कदली पत्तियाँ |
- |
- |
- |
- |
53x27 सेमी. |
8वीं |
मड़1 (चमदेवल) |
सूर्य मन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
54x30 सेमी. |
9वीं |
मड़2 (चमदेवल) |
सूर्य मन्दिर |
- |
द.पि. |
- |
- |
- |
48x29 सेमी. |
16वीं |
चौकी |
घटकू मन्दिर |
स्वतन्त्र |
- |
- |
- |
- |
60x22 सेमी. |
9वीं |
खेतीखान1 |
नृहसिंह मन्दिर |
- |
- |
चार अश्व सहित |
- |
- |
- |
12वीं |
खेतीखान 2 |
नृहसिंह मन्दिर |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
9वीं |
रौल मन्दिर |
सदाशिव मन्दिर |
- |
द.पि.व. विद्याधर |
- |
- |
- |
42x25 सेमी. |
11वीं |
चम्पावत |
बालेश्वर |
- |
द्वि.भु.द.पि.वि. |
- |
- |
- |
56x40 सेमी. |
9वीं |
पंचेश्वर1 |
चौमू देवालय |
- |
द्वि.भु.द.पि.वि. |
- |
- |
- |
28x15 सेमी. |
9वीं |
चौमू देवालय |
द्वि.भु.द.पि.वि. |
- |
- |
- |
- |
- |
48x21 सेमी. |
14वीं |
ढकना गाँव 1 |
एकहथिया नौला |
स्वतन्त्र |
द्वि.भु.द.पि.वि. |
- |
- |
- |
40x25 सेमी. |
14वीं |
ढकना गाँव 2 |
एकहथिया नौला |
स्वतन्त्र |
द्वि.भु.द.पि.वि. |
- |
- |
- |
41x26 सेमी. |
14वीं |
सन्दर्भ
1. राम सिंह, 2003, राम-भाग, पहाड़ पोथी, नैनीतालः220;
2. तदैवः 316;
3.तदैवः221;
4.हेमराज, चम्पावत तहसील का ग्राम स्तरीय सर्वेक्षण वर्ष 1983-84-85ः 2-3; सक्सेना, कौशल किशोर, कुमाऊँ कला शिल्प और संस्कृतिः 57;
5.तिवारी, राकेश, ग्राम स्तरीय सर्वेक्षण रिपोर्ट वर्ष 1981-82-83ः 44;
6. राव, गोपनाथ, एलिमैन्ट्स ऑफ हिन्दू आइकनोग्राफी, वाल्यूम प्रथमः322; 7-8. शिव प्रसाद डबराल, उत्तराखण्ड के अभिलेख एवं मुद्राएँ, वीरगाथा प्रकाशन, दोगडाः196
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