पहले मारा पीलिया ने, अब मारा डॉक्टरों की फीस ने

पीलिया ने अब तक 33 लोगों को लील लिया है। सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर दोषारोपण में व्यस्त हैं, जबकि जनता प्राइवेट अस्पतालों की लूट का शिकार हो रही है

गर्भाशय निकालने और आंखफोड़वा कांड का डर और विवाद ठंडा भी नहीं पड़ पाया है कि पीलिया रूपी महामारी ने राज्य को अपने आगोश में ले रखा है। नतीजतन अब तक 33 लोगों की जान चली गई है। अपने परिजनों को खो चुके लोग दुख से सूखे जा रहे हैं। उधर राजनीतिज्ञ मानो मौत को ‘मनोरंजक’ बनाते हुए ऊलजुलूल बयान दे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने कटाक्ष किया कि इसके लिए खुद आम आदमी जिम्मेदार है, जबकि उन्हीं की सहयोगी महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू को पत्रकारों के सवाल इतने चुभे कि उन्होंने आग उगलते हुए पत्रकारों को दानव की संज्ञा दे डाली!

अब तक प्रदेश में पीलिया से जिन 33 लोगों की मौत हो चुकी है, उनमें रायपुर के 13, धमतरी में 3, दुर्ग के 11, महासमुंद के 2, जांजगीर-चांपा के 3 तथा मुंगेली का एक व्यक्ति शामिल है। छत्तीसगढ़ के अन्य हिस्सों में भी पीलिया का कहर जारी है। दुर्ग में पीलिया के 81 नए मरीजों को भर्ती किया गया है, जबकि रायपुर में पीलिया से 3 और मरीजों ने दम तोड़ दिया। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राजधानी रायपुर में रविवार को कम से कम 1292 ऐसे लोगों के रक्त के नमूने लिए गए हैं, जिनके पीलियाग्रस्त होने की आशंका है।

पीलिया जैसी महामारी ने पहली दस्तक राजधानी के डीडीनगर इलाके में दी, जिसकी मुख्य वजह अशुद्ध पेयजल रहा। क्षतिग्रस्त सीवरेज लाइन, पेयजल लाइन के संपर्क में आ गई, जिससे लोगों ने प्रदूषित पानी का सेवन किया और पीलिया फैलता चला गया। शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विकास उपाध्याय ने स्वयं हर परिवार को प्रतिदिन 20 लीटर बोतलबंद पानी मुहैया कराना शुरू किया, हालांकि कुछ ही दिनों में वह भी बंद हो गया। श्री उपाध्याय ने आपत्ति की कि राजधानी सहित पूरा प्रदेश पीलिया की चपेट में है और भाजपा के मंत्री नरेन्द्र मोदी को जिताने के लिए बनारस चले गए हैं।

वैसे कांग्रेस ने पीलिया फैलने के जो कारण गिनाए हैं, वे जमीन पर दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। सरकार के खाद्य विभाग द्वारा खोमचों, ठेलों, होटलों में बिकने वाली खाद्य सामग्रियों की जांच के लिए कोई अभियान शुरू नहीं किया गया, न ही इन खाद्य पदार्थ की दुकानों के लिए साफ-सफाई जागरूकता अभियान चलाया गया। सरकार ने बर्फ की फैक्ट्रियों को सील करने की औपचारकिता तो जरूर पूरी की है लेकिन इन बर्फ की फैक्ट्रियों में खाने के लिए बनने वाली तथा अन्य उपयोग के लिए बनने वाली बर्फ के लिए गुणवत्ता निर्धारण की कोई नीति नहीं बनाई। इसी तरह अभी तक भूजल स्रोतों की जांच की दिशा में भी कोई पहल नहीं की गई है। सरकार बताए कि राज्य में भूजल परीक्षण के लिए क्या प्रयास किए गए हैं?

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पीलिया फैलने के मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्वीकारा कि दूषित पानी की सप्लाई की वजह से ही पीलिया फैला है। इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। हालांकि सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर जिस तरह दोषारोपण कर रहे हैं, उससे जनता हैरान है। प्रदेश के अधिकांश नगर निगमों में कांग्रेस की सत्ता है और राजधानी रायपुर में भी कांग्रेस ही काबिज है लेकिन महापौर डॉ. किरणमयी नायक ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि राज्य सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही है तथा साफ-सफाई को लेकर जो आर्थिक मदद चाहिए, उसे भी नहीं दे पा रही है जबकि भाजपा ने साफ तौर पर इसे महापौर की नाकामी बताया है। नेता प्रतिपक्ष सुभाष तिवारी ने कहा कि महापौर से यदि हालात नहीं संभल रहे हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

इस राजनीतिक बयानबाजी के उलट आम जनता को चौतरफा मार पड़ रही है। सरकारी अस्पतालों में तो इलाज सस्ता हो जाता है लेकिन प्राइवेट अस्पताल मजबूरी का फायदा उठाकर इलाज के नाम पर लूटने में लगे हैं, नतीजतन कई परिवार कर्ज में डूब गए हैं। डीडीनगर सेक्टर -दो के निवासी लालजी गौतम ने बताया कि उनकी पत्नी संगीता के इलाज में पौने दो लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। इसके पहले संगीता का दो अस्पतालों में इलाज चला। अस्पतालों और दवा का बिल भरने के लिए जब उनके पास पैसे नहीं बचे तो उन्होंने अपना ऑटो ही बेच डाला।

वैसे पीलिया के संक्रमण से गर्भवती महिलाएं भी सुरक्षित नहीं रह पाईं। राजधानी के मेकाहारा अस्पताल में भर्ती हुई सात महिलाओं में से दो की मौत हो गई। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल जिंदल के अनुसार गर्भवती महिलाओं में पीलिया के चलते गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान हो सकता है। जिले के वनांचल क्षेत्रों में भी मलेरिया का प्रकोप बढ़ गया है। मच्छरों के काटने से होने वाली मलेरिया बीमारी जान की आफत बनी हुई है।

पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के मंडला एवं डिडौरी जिले के क्षेत्र में पहले डेंगु मलेरिया का प्रकोप फैल चुका है और क्षेत्र नजदीक होने की वजह से यहां भी आशंका जताई जा रही है कि इस क्षेत्र में डेंगू-मलेरिया का प्रकोप न फैले। जिला अस्पताल कवर्धा (मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह का गृह जिला) में मलेरिया से पीडि़त आठ मरीज मिले हैं, जिनका इलाज जारी है। दरअसल वनांचल क्षेत्रों में वितरित मेडिकेटेड मच्छरदानी में दवाई का घोल नहीं चढ़ाया गया है और न ही दवाओं का छिड़काव किया गया। नतीजतन बीमारी तेजी से फैल रही है।

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Post By: pankajbagwan
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