पहाड़ और नदी

अधिष्ठित है
नगर का परम पुरुष पहाड़
नवागत चाँदनी के कौमार्य में,
आसक्ति को अनासक्ति से साधे,
भोग को योग से बाँधे,
समय में ही
समयातीत हुआ,

पास ही
प्रवाहित है
अतीत से निकल आई,
वर्तमान को उच्छल जीती,
भविष्य की भूमि की ओर
संक्रमण करती नदी,
गतिशील निरंतरता की जैसे वही हो
एकमात्र सांस्कृतिक,
चेतन अभिव्यक्ति।

संदर्भ : बाँदा का टुनटुनिया पहाड़ और उसकी केन नदी

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